कॉपर दिखाकर लाल पत्थर का चूरा बेचने वाले गिरोह का भंड़ाफोड, बैंक खाते में 3 हजार करोड़ की ट्रांसजेक्शन
मुजफ्फरनगर। नई मंडी कोतवाली पुलिस ने कॉपर का सेंपल दिखाकर लाल पत्थर का चूरा बेचकर लाखों का चूना लगाने वाले तीन आरोपियों को धर दबोच लिया, जिनके कब्जे से पुलिस ने करीब ढाई लाख की नकदी और अन्य सामान बरामद करने का दावा किया है। पुलिस ने तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया है, जबकि मास्टर माइंड समेत दो मुख्य आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
पुलिस लाइन में प्रेस वार्ता के दौरान एसपी सिटी सत्य नारायण प्रजापति ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि नई मंडी कोतवाली पुलिस ने दिल्ली के कालका निवासी सफीक अहमद, बदायूं निवासी अजरूल और नजरूल को धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार किया है।
आरोपी ऐसे फंसाते हैं पार्टियां!
एसपी सिटी के मुताबिक, जून 2023 में उत्तरी सिविल लाइन मोहल्ला निवासी दीपक सिंघल ने नई मंडी कोतवाली में मनीष कुमार, योगेश कुमार अग्रवाल, राजेश शुक्ला और जावेद के खि्,ालाफ लॉ कॉपर एश की जगह लाल पत्थर का चूरा बेचकर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर करीब 5 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है। पुलिस ने मामले की जांच की तो पाया कि आरोपीगण अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर ये गौरख धंधा चला रहे हैं। आरोपी असली कॉपर का सेंपल दिखाकर पार्टी को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर कैश एवं ऑनलाइन के जरिए पैसा लेकर लाल पत्थर का चूरा भेज देते हैं।
आरोपियों से ये सामान हुआ बरामद
एसपी सिटी सत्य नारायण प्रजापति के मुताबिक, आरोपियों के कब्जे से 2 लाख 40 हजार की नकदी, एक किलो कॉपर ऐश, दो मोबाइल, चार आधार कार्ड और कार बरामद हुई है। एसपी सिटी बताते हैं आरोपी पहले भी इस मामले में जेल जा चुके हैं। ये गिरोह असली कॉपर दिखाकर पार्टी को अपने झांसे में लेते हैं और जब पार्टी उन पर भरोसा कर लेती है तो उनसे एमाउंट लेकर उनको लाल पत्थर का चूरा भेज देते हैं।
एकाउंट में 3 हजार करोड़ की ट्रांजेक्शन!
एसपी सिटी सत्य नारायण प्रजापति ने बताया कि आरोपियों द्वारा बनाई गई एक फर्म के बैंक एकाउंट की जांच की गई तो हैरान कर देने वाली बात सामने आई। एकाउंट में करीब 3 हजार करोड़ की ट्रांजेक्शन है। इस बैंक खाते में एक-एक बार में 25 से 40 लाख रुपये डिपोजिट हुए हैं, जबकि करोड़ों में वो रकम दूसरे बैंक एकाउंट में ट्रांसर्फर हुई है। ऐसे में संदेह किया जा रहा है कि ब्लैक मनी को व्हाइट मनी किया गया। जिसके लिए एसएसपी के माध्यम से अन्य विभागों को जांच के लिए लिखा गया है।