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Muzaffarnagar से हरेंद्र मलिक को टिकट, बिजनौर के लिए... - the x india
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Muzaffarnagar से हरेंद्र मलिक को टिकट, बिजनौर के लिए…

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मुजफ्फरनगर। रालोद से अलग हो जाने के बाद सपा ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से पूर्व राज्यसभा सांसद हरेंद्र मलिक को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पश्चिम यूपी की राजनीति में रसूख रखने वाले मलिक चार बार विधायक रहे और अब तक लोकसभा के भी चार चुनाव लड़ चुके हैं। इनेलो ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। देखने वाली बात यह होगी कि साइकिल को वह कितनी दूर ले जाएंगे।

पूर्व सांसद मलिक जिले की राजनीति के दिग्गजों में शामिल हैं। पश्चिम यूपी में समाजवादी पार्टी ने जाट राजनीति में मजबूत पकड़ बनाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया था। सपा-रालोद गठबंधन में लोकसभा के टिकट के लिए उनका नाम सबसे आगे माना जा रहा था, लेकिन रालोद नेता उनके नाम पर सहमत नहीं थे। इसके बाद रालोद गठबंधन से अलग होकर एनडीए में चला गया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों लखनऊ में जिले के नेताओं की बैठक बुलाई थी, जिसमें पूर्व सांसद के नाम पर ही भरोसा जताया गया। उनके टिकट की विधिवत घोषणा सोमवार को की गई है।

छात्र राजनीति से राज्यसभा तक का सफर

सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक जिले की छात्र राजनीति से निकलकर राज्यसभा तक पहुंचे। मलिक ने 1982 में बीडीसी का चुनाव लड़ा। उनके भाई बघरा के ब्लॉक प्रमुख चुने गए थे। 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने उन्हें खतौली से टिकट दिया तो वह पहली बार विधायक चुने गए थे। इसके बाद 1989, 1991 और 1993 में वह बघरा सीट से विधायक रहे। 2004 में यूपी में विस्तार की चाह में इंडियन नेशनल लोकदल ने उन्हें राज्यसभा भेजा था।

इस तरह लोकसभा के मैदान में भी लड़े

पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने सपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से 1998 में पहला और 1999 में दूसरा चुनाव लड़ा। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे। इसके बाद 2019 में कांग्रेस के टिकट पर ही कैराना लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़े, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।

वक्ता के साथ दल बदलते गए हरेंद्र मलिक

पूर्व सांसद ने राजनीति की शुरूआत लोकदल से की थी। इसके बाद वह सपा में शामिल हुए। सपा छोड़कर इनेलो का हिस्सा बनें और फिर कांग्रेस में लंबी पारी खेली। कांग्रेस के बाद दोबारा सपा में शामिल हुए और वर्तमान में राष्ट्रीय महासचिव हैं।

बेटे पंकज को तीसरी बार बनवाया विधायक

पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने अपने बेटे पंकज मलिक को तीसरी बार विधानसभा पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। पूर्व मंत्री अनुराधा चौधरी के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई बघरा सीट से उपचुनाव में पंकज मलिक पहली बार विधायक बने थे। दूसरी बार शामली से कांग्रेस के विधायक बने और तीसरी बार सपा के टिकट पर वर्तमान में चरथावल से विधायक हैं।

सपा को अपने समीकरण पर भरोसा

रालोद के अलग हो जाने के बावजूद सपा को अपने समीकरण पर भरोसा है। जाट, मुस्लिम व अन्य मतों के गणित के सहारे ही सपा ने उन्हें मैदान में उतारा है। पूर्व सांसद की पकड़ प्रत्येक वर्ग में है। लंबे समय से वह राजनीति में सक्रिय हैं। 2022 में भाजपा के प्रभाव वाली चरथावल विधानसभा सीट पर बेटे पंकज मलिक को जिताकर मलिक ने सपा के शीर्ष नेतृत्व को अपनी मजबूती का अहसास भी कराया था।

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