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मंत्री का ये कैसा बाढ निरीक्षण? पानी तक नहीं पहुंचे, "घर-घेर और मंदिर" से वापस लौटे - the x india
उत्तर प्रदेशमुजफ्फरनगरराजनीति

मंत्री का ये कैसा बाढ निरीक्षण? पानी तक नहीं पहुंचे, “घर-घेर और मंदिर” से वापस लौटे

muzaffarnagar minister anil badh nirikshan
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  • बाढ़ के पानी से चंद कदमों की दूरी से लौटा कैबिनेट मंत्री का काफिला
  • ‘घर-घेर और मंदिर’ तक सिमटकर रह गया कैबिनेट मंत्री का बाढ़ दौरा
  • काफिले में वन विभाग, सिंचाई विभाग, एडीएम, एसडीएम और पुलिस रही मौजूद
  • सबसे ज्यादा प्रभावित राम नगर गांव में बाढ़ के पानी के बीच धरने पर बैठे आक्रोशित ग्रामीण

यूपी। मुजफ्फरनगर के पुरकाजी का शेरपुर खादर इलाका बाढ़ की जद में हैं. इलाके के 12 से 15 गांवों में बाढ़ का पानी पहुंच चुका है. रविवार को योगी की कैबिनेट के मंत्री और पुरकाजी विधानसभा से विधायक अनिल कुमार ने इस बाढ प्रभावित इलाका का दौरा किया.

आपको जानकर हैरत होगी कि मंत्री अनिल कुमार बाढ़ प्रभावित इलाके के अडोस-पडोस के गांवों में तो जरूर पहुंचे, लेकिन जहां असल बाढ समस्या थी, वहां से चंद कदमों की दूरी से ही वापस लौट गए. जिसको लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश भी है और ग्रामीण कह रहे हैं कि मंत्री का ये कैसा बाढ निरीक्षण?

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मुजफ्फरनगर के पुरकाजी खादर इलाके से सोलानी नहीं होकर गुजर रही है. गत दिनों पहाडों में आई भारी बरसात के बाद उत्तराखंड से सोलानी नदी में छोड़े गए 18 हजार क्यूसेक पानी की वजह से इस इलाके में बाढ़ आ गई है. हजारों बीघा फसल पूरी तरह से जलमग्न हो गई है. कई गांवों के संपर्क मार्ग पूरी तरह से टूट चुके हैं.

आलम ये है कि लोगों को नाव अथवा टेक्टर आदि की मदद से एक-दूसरे गांव में पहुंचना पड रहा है. इसी बाढ इलाका का दौरा करने के लिए रविवार को कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार यहां पहुंचे थे. सबसे पहले वो बडीवाला गांव के जंगल में पहुंचे और वहां औपचारिकता पूरी कर इसी गांव के रविदास मंदिर में आ गए. चंद ग्रामीणों से वार्ता करने के बाद मंत्री का काफिला खेड़की गांव की तरफ बढ़ गया.

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इस गांव में रविदास मंदिर में कुछ लोगों से मिले. बाढ और मुआवजे को लेकर अधिकारियों के सामने ग्रामीणों से वार्ता की. उसके बाद यहां से निकलकर अंत में रजकल्लापुर गांव पहुंचे. बामुश्किल 5 मिनट रूककर कुछ ग्रामीण से मिलकर मंत्री का काफिला शेरपुर गांव में पहुंचा और एक ग्रामीण के घर पर फिर से बाढ और मुआवजे की वार्ता कर औपचारिकता पूरी कर मंत्री का काफिला वापस लौट गया.

आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस घर से मंत्री का काफिला वापस लौटा, वहां से चंद कदमों की दूरी पर ही बाढ का पानी भरा हुआ है. प्राथमिक विद्यालय पूरी तरह से जलमग्न है. महीनों से स्कूल बंद है. इसी गांव के पड़ोसी गांव राम नगर का संपर्क मार्ग पूरी तरह से जलमग्न होने की वजह से टूट गया है.

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मंत्री की इस कार्यशैली से नाराज कुछ ग्रामीण मीडिया कर्मियों को ट्रैक्टर पर सवार करके बाढ़ के पानी में से होते हुए पडोसी गांव रामपुर में लेकर पहुंचे, जहां ग्रामीण रिया किन्नर के साथ विरोध-प्रदर्शन करते हुए धरने पर बैठे हुए थे.
ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव के सभी संपर्क मार्ग पूरी तरह से टूट गए हैं. नाव का सहारा लेकर सालोनी नदी पार करके दूसरी तरफ जाना पड़ता है, दशकों से हमारी पुल की मांग है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती.

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ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ के पानी की वजह से दो-तीन महीने से लडकियां स्कूल नहीं जा रही है. गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बूढों को सबसे बड़ी परेशानी है. ऐसी परिस्थितियों में उनको अगर कोई दिक्कत हो जाती है तो उन्हें अस्पताल तक लेकर जाने में भारी परेशानियों का सामना करना पडता है.

मंत्री के बाढ प्रभावित दौरे को लेकर ग्रामीण बोले कि मंत्री यहां तक पहुंचे ही नहीं है. वो बाहर-बाहर से औपचारिकता पूरी करके वापस लौट गए. उन्हें यहां पहुंचकर असल समस्या और परेशानी देखनी चाहिए थे.

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क्या कहती है धरनारत रिया किन्नर
राष्ट्रीय महिला एकता संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष रिया किन्नर का कहना है, “ये राम नगर गांव है. सोलानी नदी का पानी इस गांव में घुस गया है. फसलें बर्बाद हो गई हैं. घर तक पानी भरा हुआ है. इस गांव के चारों तरफ पानी ही पानी है. सभी संपर्क मार्ग टूट चुके हैं. नाव से सोलानी नदी को पार करके दूसरी तरफ जाना पड़ता है.”

रिया किन्नर कहती हैं, “इस गांव में कई गर्भवती महिलाएं है. ऐसी स्थिति में अगर उनको प्रसव पीड़ा हो जाए तो ना कोई एंबुलेंस आ पाएगी और ना ही कोई अन्य साधन है, केवल नाव के अलावा. पानी की वजह से लडकियों का पढना मुश्किल हो गया है. महीनों से वो स्कूल-कॉलेज नहीं जा पाई हैं.”

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रिया आगे कहती हैं, “हम लोग सुबह से धरने पर बैठे हैं. मंत्री बाहर-बाहर घूम कर चले गए हैं. यहां तक नहीं आए. आते तो उन्हें पानी में घुसना पडता, इसलिए वो दूर से ही वापस लौट गए.”

रिया और ग्रामीणों की मांग है कि सोलानी नदी पर बडा नहीं तो छोटा ही पुल बना दिया जाए. अगर पुल भी नहीं बनाया जाता तो कम से कम सोलानी नदी को इतना बड़ा कर दिया जाए कि अगर उत्तराखंड के पहाड़ों से पानी छोडा भी जाए तो पानी नदी से निकलकर गांव और किसानों के खेतों में ना घुस पाए.”

रिया किन्नर ने चेतावनी दी, “वो लोग 10 अगस्त तक यहां धरने पर बैठें रहेंगे. उसके बाद वो डीएम कार्यालय जायेंगे. अगर वहां भी समाधान ना मिला तो वो दिल्ली के जंतर-मंतर पर जाकर धरना-प्रदर्शन करेंगे.”

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क्या कहते हैं कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार?

कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार कहते हैं, “बरसात के दिनों में सोलानी नदी में उत्तराखंड के पहाड़ों से अधिक पानी आने की वजह से इस इलाके की फसलों में बड़ा नुकसान होता है. कई बार जान-माल का भी नुकसान हो जाता है. यहां वाकई में बड़ी परेशानी और दिक्कत है. हम हर साल इन लोगों के बीच आते हैं.”

मंत्री ने आगे कहा, “इस बार इलाके के लोगों को मुझसे काफी उम्मीद है. इस विषय पर काम होना चाहिए और मेरा भी प्रयास ये ही है कि यहां पर बांध की जो सालों-साल से समस्या है और उसके लिए इलाके के लोग संघर्ष कर रहे हैं, मेरा प्रयास है कि ये बांध जल्द बने. इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात भी हुई है. केंद्र सरकार के पास फाइल गई हुई है. बहुत जल्द बांध के लिए पैसा सेंशन कराने की कोशिश करेंगे.”

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मंत्री अनिल कुमार ने बताया, “इस इलाके के 20-30 गांव प्रभावित होते हैं. फिर मीरापुर विधानसभा के भी 15-20 गांव प्रभावित होते हैं.”

वो कहते हैं, “आज प्रशासन के लोग भी हमारे साथ आए हैं. कोशिश है कि जो नुकसान हुआ है, उसका आकंलन करके उचित मुआवजा मिल जाए. पिछले साल आई बाढ़ का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है, इस पर मंत्री कहते है, कुछ तकनीकी समस्या की वजह से मुआवजा नहीं मिल सका था. इस संबंध में भी अधिकारियों से वार्ता हुई है.”

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बाढ़ चौकियों के बारे में सवाल पूछने पर अगल-बगल झांकते हुए मंत्री बोले कि प्रशासन ने निश्चित तौर पर बाढ़ चौकियां बनाई होंगी. मेरे पास विस्तृत जानकारी नहीं है.”

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