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डॉ विकास पंवार और ‘बैड टच’… ICU-वेंटिलेटर पर तड़फती बेटी, थाने के चक्कर और FIR में देरी, जानिए पूरा मामला

Dr Vikas Panwar Kand
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  • रिपोर्टः अमित सैनी, प्रधान संपादक

“डॉ विकास पंवार रात के वक्त राउंड पर आए थे. पहले उन्होंने परिवार के लोगों को कमरे से बाहर भेजा. उसके बाद स्टाफ को भी बाहर भेज दिया. जब सब बाहर चले गए, तब उन्होंने मेरी टी-शर्ट को गले तक उपर उठा दिया और उन्होंने मेरे साथ ‘बैड टच’ किया. मैंने इसका विरोध किया और मम्मी को पास बुलाने की बात कही. तब डॉक्टर ने कहा कि आंख बंद करके लेटी रहो. मेरे शरीर के अन्य अंगों पर भी हाथ लगाने की कोशिश की. जब मैंने फिर से मम्मी को बुलाने की बात कही तो डॉक्टर कमरे से बाहर चले गए. उसके बाद परिवार के लोग अंदर आ गए. मम्मी के अलावा परिवार के अन्य लोग भी थे, जिस कारण मैं उस समय ये सब बता पाने की हिम्मत नहीं जुटा सकी.”


ये आरोप मुजफ्फरनगर की नई मंडी कोतवाली इलाके की रहने वाली 10वीं क्लास की उस 14 साल की लड़की और उसके परिवार के हैं, जिसका शहर के भोपा रोड स्थित विजय श्री नर्सिंग में उसके मालिक एमबीबीएस-एमएस डॉक्टर विकास पंवार ने गत 17 जुलाई 2024 को पित्त की थैली का ऑपरेशन किया था.

आरोपी डॉक्टर विकास पंवार

इस मामले में 28 अगस्त 2024 को नई मंडी कोतवाली में एसएसपी के आदेश पर आरोपी डॉक्टर विकास पंवार के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया.

चूंकि घटना 17 जुलाई की है तो कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि क्या आखिर में पीडिता के साथ ऐसा कुछ हुआ? क्या डॉक्टर ऐसा कर सकता है?

अगर पीड़िता के साथ ऐसा हुआ तो एफआईआर दर्ज कराने में इतना वक्त क्यों लगा? कहीं ऑपरेशन के बाद केस बिगड़ने की वजह तो नहीं है?

‘द एक्स इंडिया’ ने इन सब सवालों के जवाब इस रिपोर्ट के जरिए तलाशने की कोशिश की है.

एफआईआर दर्ज होने के बाद से फरार डॉ विकास पंवार ने 29 अगस्त को एक वीडियो बयान सोशल मीडिया के जरिए जारी कर अपने आप को बेकसूर बताया.

उन्होंने ये भी दावा किया कि “जिस दिन की घटना बताई गई है, उस दिन वो रात को राउंड पर किसी भी मरीज को देखने के लिए नहीं गए.”

 

डॉक्टर विकास पंवार ने वीडियो के जरिए सीधे तौर पर पीडित परिवार पर पैसों की खातिर ये सब प्रपंच रचने का भी आरोप लगाया. इसके अलावा डॉक्टर विकास ने अपनी वीडियो में पीड़िता का नाम उजागर कर दिया.

जिसको लेकर पीड़ित परिवार ने घोर आपत्ति की है. पीड़ित परिजनों का कहना है, “डॉक्टर विकास पंवार ने बेटी का नाम उजागर करके बदनाम करने का काम किया है. इससे बेटी और परिवार पर गहरा असर पड़ा है.”

 

परिजनों का कहना है, “वो इसके लिए भी पुलिस से कार्रवाई के लिए अलग से शिकायत करेंगे.” आपको बता दें कि ऐसे मामलों में पीडिता अथवा उसके परिवार की पहचान उजागर करना कानूनन अपराध है.

Dr vikas panwar kand
आरोपी डॉक्टर विकास पंवार का परिवार सफाई देते हुए

29 अगस्त को ही डॉक्टर विकास की पत्नी ने भी मीडिया के सामने आकर पति पर लगाए आरोपों को निराधार और बेबुनियाद करार दिया था. उनका ये भी कहना था कि “लडकी और उसके परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों का उसके बच्चों पर बुरा असर पडा है, जिस कारण वो स्कूल भी नहीं गए.”

 

  • कब और क्या-क्या हुआ?

पीड़ित परिजनों से हुई वार्ता में ‘द एक्स इंडिया’ को बताया गया, ” 14 साल की नाबालिग बेटी 10वीं कक्षा में पढती है. उसको काफी दिनों से पेट में दर्द की शिकायत थी. जुलाई में डॉक्टर विकास पंवार को दिखाया गया.”

“दवाईयों से आराम न लगने के बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी. 17 जुलाई को दिन में डॉक्टर विकास ने भर्ती कर बेटी का ऑपरेशन किया. फिर उसे एक कमरे में शिफ्ट कर दिया.” –परिजन

 

  • ऑपरेशन के बाद की थी छेडखानी!

पीड़िता और उसके परिजनों की माने, “17 जुलाई की रात को डॉक्टर अपने स्टाफ के साथ कमरे में आए थे. पहले परिजनों और फिर स्टाफ को डॉक्टर ने बाहर भेज दिया. जिसके बाद डॉक्टर ने चेकअप के बहाने बेटी के साथ छेड़खानी की.

लेकिन बेटी ने उस वक्त उन्हें इस संबंध में कुछ नहीं बताया. इसके पीछे परिजनों ने तर्क दिया कि ऑपरेशन के बाद बेटी को बहुत दर्द था, जो लगातार बढता ही जा रहा था. उसे आराम नहीं लग रहा था.”

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  • टूट गया बेड था, बिगड़ती चली गई तबीयत

परिजनों ने बताया, “बेटी की तबीयत लगातार बिगड़ रही थी. इसी बीच हॉस्पिटल का वो बेड भी अचानक टूट गया, जिस पर बेटी लेटी हुई थी. वो पीछे की तरफ जा गिरी. उसके टांके टूट गए और खून बह निकला. किसी तरह से अस्पताल स्टाफ ने संभाला. जिसके बाद से उसकी हालत और भी बिगड़ती चली गई.”

 

 

  • ज़िंदगी के लिए तड़फती बेटी, दूसरे डॉक्टर्स से सलाह

पीडिता के पारिवारिक सदस्य ने बताया, “जब बेटी की हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने अल्ट्रासाउंड और एमआरआई कराने के बाद दो-तीन अन्य डॉक्टरों से सलाह ली. जिन्होंने बताया कि पूरे पेट में इंफेक्शन फैल गया है. अगर देर कर दी तो बेटी की जान जा सकती है.”

“ये सब सुनकर परिजन सकते में आ गए. उन्होंने इस संबंध में डॉ विकास पंवार से बात की. उसके बाद भी वो बेटी को रेफर करने को तैयार नहीं हुआ. जब परिवार वाले नहीं माने तो डॉक्टर मेरठ में अपने एक परिचित डॉक्टर को यहां ले जाने का दबाव बनाने लगे” -परिजन

 

  • 24 जुलाई की रात दिल्ली रेफर, मेरठ के लिए बनाया दबाव

परिजनों का कहना है, “डॉक्टर विकास पंवार चाहते थे कि बेटी को उसके परिचित डॉक्टर के मेरठ हॉस्पिटल ले जाया जाए. लेकिन मरणासन्न हालत में पहुंची बेटी को बचाने के लिए परिवार कुछ भी करने को तैयार था. सब लोग दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में ले जाना चाहते थे.”

“मगर डॉक्टर विकास ये नहीं चाहते थे. उन्होंने रात को ही अपनी एंबुलेंस पहले हॉस्पिटल के बाहर बुला ली, लेकिन जब परिवार वाले बेटी को लेकर घर पहुंचे तो डॉक्टर की एंबुलेंस पीछे-पीछे वहीं पहुंच गई.” -परिजन

“हालांकि परिजन नहीं माने और बेटी को दूसरी एंबुलेंस से दिल्ली में अपोलो हॉस्पिटल ले गए. वो लोग उसे लेकर 25 जुलाई की सुबह करीब 5 बजे अपोलो लेकर पहुंचे और एडमिट कराया.” -परिजन

 

  • 25 और 26 जुलाई को हुए दो ऑपरेशन

दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में किशोरी के एक के बाद एक करके दो ऑपरेशन हुए. चिकित्सकों ने बताया कि “पूरे पेट में तेजाब फेला हुआ है. करीब एक-सवा लीटर एसिड निकाला गया.”

परिजनों का आरोप है, “ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर विकास द्वारा एसिड वाला पाइप काट दिया गया था, जिस कारण बेटी की ऐसी हालत हुई.”

परिजनों का दावा है कि अपोलो हॉस्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट इस बात का सबूत है. जिसे कोई नहीं झुठला सकता.

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  • बिगड़ गई हालत, ICU से जा पहुंची वेंटिलेटर तक

“अपोलो में लगातार दो ऑपरेशन होने की वजह से बेटी की हालत बेहद नाजुक हो गई. उसे आईसीयू से वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया. डॉक्टर ने 72 घंटे का वक्त दिया. अगर वो इस दौरान होश में आ जाती है तो बचने की संभावना है, वरना उसका बचना मुश्किल है.” -परिजन

“72 घंटे बाद वो होश में तो आ गई, लेकिन पहचानना बंद कर दिया. वो परिवार के किसी भी सदस्यों को नहीं पहचान पा रही थी.” -परिजन

 

  • पुलिस से शिकायत से पहली शिकायत

बेटी के साथ छेड़खानी के मामले से अनभिज्ञ परिजनों ने नई मंडी कोतवाली में डॉक्टर विकास पंवार पर सबसे पहले लापरवाही का आरोप लगाते हुए तहरीर देकर पुलिस से कार्रवाई की मांग की थी.

परिजनों की माने तो “उन्हें तब तक ये मालूम नहीं था कि डॉक्टर विकास ने उनकी बेटी के साथ ऐसा कुछ भी किया है. वो तब तक सिर्फ बेटी की ऐसी हालत का ही उसे जिम्मेदार मान रहे थे.”

 

  • लगातार फोन करता रहा डॉक्टर!

परिजनों ने डॉक्टर विकास की उस बात का समर्थन किया है कि डॉक्टर लगातार उन्हें फोन करके उनकी बेटी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी कर रहा था.

परिजन कहते हैं, “उन्हें तब तक ये ही लग रहा था वो स्नेह स्वरूप उनसे बेटी का हालचाल पूछ रहा है.”

“उन्हें तब तक इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि रोजाना फोन करके बेटी की जानकारी लिए जाने के पीछे कोई ‘डर’ है अथवा कोई दूसरा ‘नापाक मंसूबा’ छिपा है.”

 

  • 12 अगस्त को अपोलो हॉस्पिटल से छुट्टी

अपोलो हॉस्पिटल से किशोरी को 12 अगस्त को छुट्टी मिली और वो पहली बार तब से अपने घर 13 अगस्त को पहुंची. उसके बाद फिर से 15 अगस्त को वो दोबारा अपोलो हॉस्पिटल गई.

इस दौरान वहां पर एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने डॉक्टर विकास पंवार द्वारा किए गए कृत्य के खुलासे में अहम भूमिका निभाई.

परिजनों का दावा है, “बेटी की ड्रेसिंग के दौरान अपोलो अस्पताल की फीमेल स्टाफ से एक गलती हो गई. मेल स्वीपर के काम करते हुए गलती से बेटी की साइड से पर्दा हट गया. परिजनों की नजर पड़ी तो स्टाफ ने माफी मांगी और पर्दा सही किया.”

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  • 20 अगस्त को बेटी ने बयां किया दर्द!

“इस बार घर वापस आने के बाद 19/20 अगस्त को कार में बैठाकर बेटी को परिजनों ने शहर में घुमाया, ताकि उसे अच्छा लगे.

इसी बीच घर पर अपोलो हॉस्पिटल में हुई घटना का जिक्र चल पडा तो बेटी के दिमाग में डॉक्टर विकास पंवार द्वारा किए गए घृणित कृत्य घूमने लगा.” -परिजन

“बेटी ने तुरंत इस संबंध में अपनी मां को बताया. ये सब जानने के बाद परिजनों में आक्रोश फैल गया. हालांकि 4 दिनों तक परिजनों के बीच आपस में ही इस बात को लेकर गहन मंथन हुआ कि आखिरकार क्या किया जाना चाहिए.” -परिजन

“परिवार के कुछ लोग उसे बुरा सपना समझ कर भूलने की बात कहने लगे तो कुछ लोगों ने डॉक्टर को सबक सिखाने की बात कहते हुए कार्रवाई करने का मन बना लिया.” -परिजन

 

  • 24 अगस्त को शिकायत, 4 दिन काटे थाने के चक्कर

पीडिता के चाचा मुताबिक, “हम लोगों ने 24 अगस्त को नई मंडी कोतवाल बबलू कुमार को मिलकर लिखित में शिकायत दी थी. इंस्पेक्टर से इस संबंध में कई बार बातचीत हुई. थाने में भी गए. मगर कोई सुनवाई नहीं हुई.”

“थाना स्तर से सुनवाई न होने के बाद वो लोग निराश हो गए. डॉक्टर विकास पंवार के अस्पताल स्टाफ द्वारा भी तंज कसा गया कि कुछ नहीं हो पाएगा.” -परिजन

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  • 28 अगस्त को एसएसपी से मिले, शाम को हो गई एफआईआर

28 अगस्त को पीडित बच्ची की मां, उसका लेफ्टिनेंट कर्नल मामा और परिवार के अन्य लोग एसएसपी अभिषेक सिंह से पुलिस ऑफिस पर जाकर मिले.

परिजनों की सुनने के बाद एसएसपी ने मामले की गंभीरता को समझा और तुरंत नई मंडी सीओ रूपाली रॉय चौधरी को बुलाकर जांच कर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

 

सीओ तत्काल पीड़िता से मिलने के लिए उसके घर पहुंची. घंटों की काउंसलिंग के बाद पीड़िता की बात सुनकर एसएसपी को अवगत कराया. जिसके बाद 28 अगस्त की शाम को ही नई मंडी कोतवाली में आरोपी डॉक्टर विकास पंवार के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज हो गया.

 

  • भनक लगते ही फरार हो गया डॉक्टर!

मुकदमा दर्ज होने की भनक डॉक्टर विकास पंवार को रात को ही लग गई थी. जिसके बाद डॉक्टर फरार हो गया. ‘द एक्स इंडिया’ समेत कई मीडिया कर्मियों ने डॉक्टर का पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उस वक्त ना ही संपर्क हो सका और ना ही अस्पताल स्टाफ अथवा परिजनों की तरफ से ही कुछ बोल पाया.

 

29 अगस्त को दिन भर फजीहत होने और गिरफ्तारी की तलवार लटकने के बाद डॉक्टर विकास पंवार ने अपने बचाव में एक वीडियो जारी करके अपना पक्ष रखा.

हालांकि वीडियो में ना केवल उन्होंने पीड़ित बच्ची का नाम उजागर कर दिया, बल्कि ये भी बताया कि “उनके पास संबंधित डॉक्युमेंट्स तो मौजूद है, लेकिन ज्यादा दिन होने की वजह से सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है.”

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डॉक्टर विकास पंवार ने अपनी वीडियो में ये भी दावा किया है, “जिस दिन की घटना का जिक्र किया गया है, वो किसी भी मरीज को देखने के लिए कमरों में नहीं गए. इसके उनके पास पुख्ता सबूत है. उनका ये भी कहना है कि वो मरीज और उनके तीमारदार भी इस बात के गवाह हैं, जो उस दिन उनके अस्पताल में भर्ती थे.”

 

  • IMA ने दे दी ‘क्लीन चिट’?

इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिशन के अध्यक्ष डॉ हमेंत शर्मा का भी बयान सामने आया था. जिसमें उन्होंने कहा, “डॉक्टर विकास पंवार पर लगाए गए आरोप गलत है. उन्हांने ऐसा कुछ नहीं किया है. आईएमए उनके साथ है.”

हालांकि परिजनों ने आईएमए की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं. परिजनों का कहना है, “आज तक कोई भी डॉक्टर उनकी पीडित बेटी से आकर नहीं मिला है. ना ही उन्होंने जानने की कोशिश की है कि आखिर उस दिन बेटी के साथ क्या हुआ था?”

परिजन कहते हैं, “अगर उनकी बेटी के साथ ऐसा हुआ होता तो वो लोग क्या करते?”

इतना ही नहीं उनका ये भी कहना है कि “बिना सच्चाई जाने अथवा पीडिता से बात किए हुए, वो डॉक्टर पंवार को कैसे क्लीन चिट दे सकते हैं?”

इससे पहले डॉक्टर का समूह पुलिस कप्तान से मिलने के लिए पुलिस कार्यालय पर भी पहुंचा था. जहां चिकित्सकों ने डॉक्टर विकास पंवार को राहत दिए जाने की मांग की. जिस पर एसएसपी द्वारा उन्हें आश्वस्त किया गया कि निष्पक्ष कार्रवाई होगी.

 

  • नहीं हुए बयान, मंगलवार को संभावना

“किशोरी की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है. 10-15 कदम चलने के बाद उसकी सांस फूलने लगती है. उसे ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. इतना ही नहीं, हर पांचवें दिन अभी उसे अपोलो हॉस्पिटल चैकअप के लिए दिल्ली जाना होता है.” –परिजन

सोमवार को भी शायद इसी वजह से कोर्ट में पीडिता के 164 के बयान नहीं हो सके. बच्ची को सोमवार सुबह ही रूटीन चेकअप के लिए दिल्ली निकलना पड गया. जिस कारण मंगलवार को बयान होने की प्रबल संभावंना जताई जा रही है.

 

  • राहत मुश्किल, लटक रही गिरफ्तारी की तलवार!

कानून के जानकारों के मुताबिक, ‘डॉक्टर विकास पंवार को राहत मिलना मुश्किल है. पीडिता के कोर्ट में 164 के बयान के बाद उनकी गिरफ्तारी हो सकती है.’

एसपी सिटी सत्य नारायण प्रजापत इससे पूर्व ही कह चुके हैं, “किशोरी की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है. पूरे मामले की जांच की जा रही है. जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके मुताबिक ही आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.”

 

 

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