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कांवड़ यात्रा 2024: ‘मोदी-योगी’ ट्रेंड से बाहर, कलश कांवड़ का बढ़ा क्रेज!

kanwar yatra
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मुजफ्फरनगर (यूपी). हिंदुओं की सबसे बडी धार्मिक यात्रा कांवड़ चल रही है. हर साल की तरह लाखों शिवभक्त कांवडिया हरिद्वार से पवित्र गंगा जल लेकर अपने आराध्य बाबा भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए आगे बढ़ रहे है. लेकिन कांवड़ यात्रा में इस बार एक बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है… और वो है कलश कांवड़ का ट्रेंड…. चलिए देखते हैं इस रिपोर्ट में कि आखिरकार ये बडा बदलाव इस बार क्यों है और क्यों शिवभक्तों की पहली पसंद कलश कांवड़ बनी हुई है?

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मुजफ्फरनगर की सड़कों पर इस वक्त पीले और भगवा वस्त्रों में शिवभक्त कांवडियां ही कांवडियां नजर आ रहे है. बोल बम-बम और हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए शिवभक्त कांवडियां अपने गंतव्य की ओर बढ रहे है. मगर इस बार कांवड़ यात्रा में एक बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. इस साल कांवड़ियों की पहली पसंद कलश कांवड़ बनी हुई है. अधिकांश कांवडियां अपने कंधों पर कलश कांवड़ लेकर आगे बढ़ रहे है.

पिछले दो-दिन सालों में जिस तरह से राम मंदिर, मोदी और योगी की फोटो वाली कांवड़ देखने को मिल रही थी, इस बार वो एकदम ट्रेंड से बाहर हो गई है और कांवड़ यात्रा में कलश कांवड़ पूरी तरह से ट्रेंड कर रही है. शिव भक्तों का कहना है कि वैसे तो अपने-अपने मन की बात है कि किसको कौन सी कांवड़ लेकर जानी है, मगर इस बार कलश कांवड़ का ट्रेंड है तो हम सब भी कलश कांवड़ लेकर ही चल रहे हैं.

 

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आपको बता दें कि कांवड़ वैसे तो कई प्रकार की होती है, जैसे झूला कांवड़, दंडवत कांवड़, खडी कांवड़, ग्रुप कावड़, डाक कावड़ और साधारण कांवड़. और इन सभी कांवड़ की अपनी-अपनी अलग-अलग मान्यताएं और नियम भी है. इसी तरह से कलश कांवड़ भी महत्ता अलग है. सबसे बडी बात ये है कि ये अन्य कांवड़ के मुकाबले अधिक वजनी होती है. क्योंकि कलश में जल भरा होता है.

किसी कांवड़ में 50 लीटर तो किसी में 250 लीटर जल होता है. इसका डंडा भी लचकदार होता है, जबकि अन्य कांवड़ में एक साधारण और बिना लचक वाला डंडा लगा होता है. अधिक वजनदार होने की वजह से कलश कांवड़ उठाकर चलने में शिव भक्तों को अन्य के मुकाबले काफी परेशानी होती है. लेकिन शिव भक्तों का कहना है कि बाबा उन्हें शक्ति देता है और वो आगे बढते रहते है. उन्हें कोई परेशानी नहीं होती.

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उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर जिला एक तरह से शिव कांवड़ यात्रा की धूरी है…, क्योंकि अधिकांश कांवडियां यहीं से होकर गुजरते है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के कांवडियां मुजफ्फरनगर से होकर ही गुजरते है. मुजफ्फरनगर से होकर गुजरने वाले कुल 7 मार्ग है, जहां से कांवडियां अपने गंणत्व की तरफ बढते हैं. इन सभी 7 मार्गां की लंबाई औसतन करीब 240 किमी है.

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