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UP: मुजफ्फरनगर में आचार संहिता पर दोहरा मापदंड: सिर्फ कादिर राणा ही निशाने पर क्यों?

Kadir Rana hi Kyu
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  • उपचुनाव प्रचार में नियमों की अनदेखी पर सपा नेता और प्रत्याशी पर कार्रवाई
  • कादिर राणा के बाद पुत्रवधु सपा प्रत्याशी संबुल राणा पर भी मुकदमा दर्ज
  • क़ादिर राणा समेत सपा कार्यकर्ताओं पर अब तक 5 मुक़दमे हो चुके दर्ज़
  • सत्ताधारी बीजेपी एवं रालोद गठबंधन की प्रत्याशी समेत अन्य दलों को छूट!

मुजफ्फरनगर। मीरापुर उपचुनाव में राजनैतिक माहौल गर्म है, जहां सभी दल और प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। लेकिन आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में दोहरे मापदंड की शिकायतें भी सामने आ रही हैं। एक तरफ समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों पर कड़ी निगरानी और कार्रवाई हो रही है, तो दूसरी ओर NDA और AIMIM के प्रत्याशियों के मामलों में प्रशासन के रुख को लेकर अन्य दलों में नाराजगी है।

 

नामांकन के बाद से आचार संहिता का उल्लंघन लगातार देखा जा रहा है। सपा प्रत्याशी, उनके वरिष्ठ नेता ससुर और पूर्व सांसद कादिर राणा समेत समर्थकों पर प्रशासन ने सख्त नजर रखते हुए आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में अब तक पांच प्राथमिकी दर्ज की हैं। वहीं, अन्य दलों के प्रत्याशी भी भारी भीड़ जुटाकर प्रचार कर रहे हैं, लेकिन उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

 

ससुर से नोंकझोंक, बहु पर मुकदमा

मंगलवार को मोरना में कार पर नियमा के विपरित बड़ा झंडा लगाने के मामले में पूर्व सांसद कादिर राणा की पुलिस के साथ में नोंकझोंक हुई थी, जिसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। हैरत की बात ये है कि इस बार पुलिस ने कादिर राणा को नहीं, बल्कि उनकी पुत्रवधु एवं सपा प्रत्याशी संबुल राणा को आरोपी बनाया है। ये मुकदमा मोरना पुलिस चौकी प्रभारी एसआई जोगेंद्र पाल की तरफ से भोपा थाने में दर्ज कराया गया है।

Kadir_Sambul

प्रशासन पर पक्षपात का आरोप

एनडीए गठबंधन की ओर से रालोद के सिंबल पर चुनाव मैदान में उतरीं पूर्व विधायक मिथलेश पाल भी लगातार भीड़ जुटाकर जनसभाएं कर रही हैं। नामांकन के दिन भी वे भारी संख्या में समर्थकों के साथ पहुंची थीं और उनके साथ नामांकन कक्ष में सात लोग मौजूद रहे थे, जबकि नियम के अनुसार वहां केवल प्रत्याशी समेत कुल पांच लोग ही उपस्थित हो सकते हैं। नामांकन स्थल पर मंत्रियों समेत समर्थकों की भारी भीड मौजूद रही थी। इसके बावजूद, इस उल्लंघन पर प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया।

 

इंडिया गठबंधन पर प्रशासन की पैनी नजर!

वहीं दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी संबुल राणा और उनके ससुर कादिर राणा की हर गतिविधि पर प्रशासन की पैनी नजर है। उनकी जनसभाओं में समर्थकों की संख्या, भाषणों का तरीका और अन्य हर गतिविधि पर प्रशासनिक अधिकारी लगातार नजर रखे हुए हैं। इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रशासन उनके साथ भेदभाव कर रहा है और चुनाव प्रचार में उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है। दूसरी ओर, एआईएमआईएम के प्रत्याशी अरशद राणा और असपा नेता जाहिद हसन भी भीड़ के साथ जनसभाएं कर रहे हैं, मगर प्रशासन की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है।

 

प्रशासन पर पक्षपात का आरोप, रोष

इंडिया गठबंधन के नेताओं का कहना है कि प्रशासन की कार्रवाई में भेदभाव साफ दिखाई दे रहा है। सपा नेता कादिर राणा और उनकी बहू संबुल राणा पर तो लगातार कार्रवाई हो रही है, लेकिन अन्य दलों के नेताओं को रियायत मिल रही है। एनडीए, असपा और एआईएमआईएम के प्रत्याशियों को नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद कार्रवाई से बचाया जा रहा है। ऐसे में विपक्षी दलों का आरोप है कि प्रशासन निष्पक्षता बरतने के बजाय एकतरफा कार्रवाई कर रहा है, जो लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।

 

निष्पक्ष चुनाव पर उठे सवाल

मीरापुर उपचुनाव में यह स्थिति प्रशासनिक निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करती है। जहां एक ओर कुछ प्रत्याशियों पर कड़ी निगरानी और त्वरित कार्रवाई हो रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ प्रत्याशियों को विशेष छूट दी जा रही है। ऐसे में जिला एवं पुलिस प्रशासन को लग रहे आरोपों का नजर अंदाज करने के बजाए अन्य दलों द्वारा किए जा रहे आचार संहिता के उल्लंघनों के मामले में कार्रवाई करनी चाहिए। अब देखना यह भी होगा कि इस पक्षपात के बीच चुनाव आयोग निष्पक्षता बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाता है?


क्या कहते हैं कादिर राणा?

“हम चुनाव आयोग में शिकायत कर रहे हैं। हमारे खिलाफ ही मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं, जबकि दूसरे दलों के प्रत्याशी खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन हमारे खिलाफ ही कार्रवाई कर रहा है, ये गलत है। हम पर दबाव बनाने और चुनाव प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। ये सबको दिखाई दे रहा है।”

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