प्रदूषण की जांच करने मुजफ्फरनगर पहुंचे चेयरमैन, मिल मालिकों में मचा हड़कंप
मुजफ्फरनगर। प्रदूषण की बढ़ती समस्या और लगातार मिल रही शिकायतों के बीच, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डॉ. आर.पी. सिंह ने मुजफ्फरनगर का दौरा किया. बोर्ड के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि चेयरमैन स्वयं इस तरह के निरीक्षण के लिए जिले में पहुंचे. उन्होंने पेपर मिलों और उद्योगों से निकलने वाले वेस्ट पानी के नालों की स्थिति का निरीक्षण किया और संबंधित इंडस्ट्रीज के मालिकों के साथ बैठक कर प्रदूषण नियंत्रण को लेकर विचार-विमर्श किया.
मुजफ्फरनगर का नाम हाल ही में अत्यधिक प्रदूषित शहरों की सूची में आने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे गंभीरता से लिया. चेयरमैन का यह दौरा जिले की बिगड़ती हवा की गुणवत्ता और प्रदूषण को रोकने के लिए उठाया गया एक अहम कदम माना जा रहा है.
लगातार मिल रही थी शिकायतें
प्रदूषण की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए चेयरमैन का दौरा पूर्वनिर्धारित था. जानकारी के मुताबिक, उद्योगों से निकलने वाली बदबू और पेपर मिलों के धुएं को लेकर स्थानीय लोग लगातार शिकायत कर रहे थे. इन शिकायतों की वास्तविकता जानने के लिए चेयरमैन ने खुद स्थिति का जायजा लिया.
वेस्ट वाटर नाले की जांच
चेयरमैन ने निरीक्षण के दौरान पेपर मिलों से निकलने वाले नाले के पानी की जांच की. जौली रोड पर धंधेड़ा इलाके के पास उन्होंने नाले का निरीक्षण किया, जहाँ करीब एक किमी तक चलकर उन्होंने स्थिति का मुआयना किया. स्थानीय लोग बदबू के चलते परेशान थे, जिसका समाधान खोजने के लिए चेयरमैन ने यह दौरा किया.
बिंदल पेपर मिल में घंटों तक निरीक्षण
भोपा रोड स्थित बिंदल पेपर मिल में चेयरमैन ने घंटों बिताए, मिल में इस्तेमाल हो रहे ईंधन और अन्य सामग्री का निरीक्षण किया. मिल प्रबंधक अंकुर बिंदल ने जानकारी दी कि चेयरमैन और उनकी टीम ने मिल का बारीकी से निरीक्षण किया और जल प्रदूषण पर भी चर्चा की.
कोल्हूओं से निकलता धुआं बना चिंता का कारण
हाईवे पर चल रहे कोल्हू और उनकी चिमनियों से निकलने वाले धुएं को देखकर चेयरमैन ने चिंता व्यक्त की. उन्होंने क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारियों को इस पर रोकथाम के निर्देश दिए, ताकि वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके.
दिए गए निर्देश और चेतावनियां
डॉ. आर.पी. सिंह ने पेपर मिल मालिकों को चेतावनी दी कि यदि बड़े पैमाने पर प्रदूषण पाया गया तो ईटीपी प्लांट मानकों के पूरा न होने पर प्लांट बंद कर दिया जाएगा. उन्होंने जल एवं वायु प्रदूषण में सुधार हेतु आधुनिक तकनीक अपनाने का सुझाव दिया. साथ ही कॉमन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर काम के लिए देश की शीर्ष आईआईटी के इंजीनियर्स से प्रशिक्षण दिलाने का भी आश्वासन दिया.