मुजफ्फरनगर। रामपुर तिराहा कांड में सामूहिक दुष्कर्म, लूट और छेड़छाड़ के दोषी पीएसी के दो सेवानिवृत्त सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने फैसला सुनाया। तीन दशक पहले आंदोलनकारियों के साथ हुई वारदात ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह, सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा और उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि सीबीआई बनाम मिलाप सिंह की पत्रावली में फैसला सुनाया गया। पीएसी के सिपाही रहे दोषी मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह को धारा 376 (2) (जी) में आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।
धारा 392 में सात साल का कठोर कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड, छेड़छाड़ की धारा 354 में दो साल कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड और धारा 509 में एक साल का कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। दोनों दोषियों पर कुल अर्थदंड एक लाख रुपये लगाया गया है। अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि बतौर प्रतिकर पीड़िता को दी जाएगी।
यह था मामला
एक अक्तूबर 1994 की रात अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। इनमें महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं। रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रुकवा ली। दोनों दोषियों ने बस में चढ़कर महिला आंदोलनकारी के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म किया। पीड़िता से सोने की चेन और एक हजार रुपये भी लूट लिए थे। आंदोलनकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए। उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे।
यहां के रहने वाले हैं दोनों दोषी
पीएसी गाजियाबाद में तैनात रहे सिपाही मिलाप सिंह मूल रूप एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होरची गांव का रहने वाला है। दूसरा आरोपी सिपाही वीरेंद्र प्रताप मूल रूप सिद्धार्थनगर के थाना पथरा बाजार के गांव गौरी का रहने वाला है।
पीड़िता को मिलेगा एक लाख का प्रतिकर
डीजीसी फौजदारी राजीव शर्मा ने बताया कि अदालत ने दोनों दोषियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि बतौर प्रतिकर पीड़िता को दी जाएगी। हाईकोर्ट इलाहाबाद (प्रयागराज) ने रामपुर तिराहा कांड की सुनवाई जल्द से जल्द कराने के लिए विशेष तौर पर एडीजे-7 शक्ति सिंह को अधिकृत किया था। न्यायालय ने एक साल में सुनवाई पूरी की और पहली पत्रावली पर फैसला भी आया।
जलियावाला बाग जैसा था रामपुर तिराहा कांड : कोर्ट
अदालत ने टिप्पणी में कहा कि घटना संपूर्ण जनमानस और इस न्यायालय की आत्मा को झकझोर देने वाली है। आजादी से पूर्व जलियावाला बाग की घटना को याद दिलाने वाली है। घटना गांधी जयंती के दिन कारित हुई। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जो सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने हेतु आमजन को प्रेरित करते थे। जिनके द्वारा असंख्य आंदोलन देश को आजाद कराने के लिए किए गए। ऐसी महानविभूति की जयंती के दिन आंदोलन में भाग लेने जा रही महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़ और लूट जैसा जघन्य अपराध पूरी मानवता को शर्मसार करने वाला है।