बीआरडी मेडिकल कॉलेज से मरीजों के खरीद-फरोख्त के मामले में एक और गिरोह के सक्रिय होने की जानकारी मिली है। पुलिस को पता चला है कि ऑटो से गिरोह के लोग मरीजों को मेडिकल कॉलेज से निकालकर प्राइवेट अस्पताल ले जाते हैं। इनके नेटवर्क में भी 10 नर्सिंग होम की जानकारी मिली है।
आमतौर पर यह मेडिकल कॉलेज के आसपास के नर्सिंग होम के संपर्क में हैं, ताकि मरीज को ज्यादा दूरी तक ढोना ना पड़े। खबर है कि पुलिस ने अब तक की जांच में पूछताछ केंद्र के कर्मचारियों की भूमिका सामने आने के बाद उनके बारे में पूरी जानकारी मेडिकल कॉलेज प्रशासन से मांगी है, ताकि उन पर शिकंजा कसा जा सके।
जेल भेजे गए तीन बिचौलियों का इसी ऑटो गिरोह से सांठगांठ था। इसके अलावा कुछ और लोग सामने आए हैं, जो मेडिकल कॉलेज से मरीज को बरगला कर आसपास के नर्सिंग होम में लेकर जाते हैं। यह भी अपना भुगतान नकद में लिया करते थे। पुलिस की जांच में सामने आया है कि गिरोह में शामिल मेडिकल कर्मियों की मदद से मरीज को बाहर निकाला जाता है।
मरीज को बाहर बड़े नर्सिंग होम के नाम पर लाया जाता है। उसे ऐसे नर्सिंग होम का नाम बताया जाता है जो प्रतिष्ठित है। उसी विश्वास पर लोग बाहर आते हैं। बाहर आते ही तीमारदार को मरीज माफिया गिरोह में शामिल लोग बड़े अस्पताल में महंगा इलाज बताकर सस्ता और बेहतर इलाज कराने का झांसा देकर सेटिंग वाले अस्पताल में लेकर चले जाते हैं।
ऑटो के पीछे का मकसद है कि एंबुलेंस होने पर पुलिस या दूसरे लोगों की नजर पड़ेगी और अगर ऑटो से लेकर जाएंगे तो किसी को शक नहीं होगा। पुलिस की जांच में सामने आया है कि शहर के 10 और नर्सिंग होम ऐसे हैं, जो इसी तरह के नेटवर्क के भरोसे संचालित किए जा रहे हैं। इन संदिग्ध नर्सिंग होम की जांच तेज कर दी गई है। सबूत मिलते ही उन पर कार्रवाई की जाएगी।
धंधे में सबसे ज्यादा पैठ वाला है मनोज
एंबुलेंस माफिया गिरोह में शामिल मनोज मरीज एंबुलेंस माफिया गिरोह का सबसे बड़ा सरगना है। इसके बाद एंबुलेंस माफिया दीपू की दूसरी सबसे बड़ी पैठ पुलिस की जांच में सामने आई है। जांच में पता चला है कि यह सभी मिलकर मरीजों को बरगलाने का काम करते हैं। मरीज को प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर वसूली की जाती है।
सरकारी एंबुलेंस वाले लेते हैं ज्यादा मुनाफा
पुलिस की जांच में कुछ सरकारी एंबुलेंस वालों की सांठगांठ भी सामने आई है। सरकारी एंबुलेंस वाले जो इस गिरोह में शामिल हैं, वह ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। उन्हें सीधे पैसा मिलता है। अगर, एंबुलेंस माफिया गिरोह के जेल भेजे गए लोगों को देखे तो वह तो प्रति मरीज मिलने वाले रुपयों को कई जगह पर बांट दिया करते थे, लेकिन सरकारी एंबुलेंस वाले कहीं नहीं बांटते। वह सीधे रुपये लेकर चले जाते हैं।
एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि पुलिस इस पूरे प्रकरण की गंभीरता से जांच कर रही है। ऑटो से भी मरीजों को बाहर ले जाने की जानकारी हुई है। इसके अलावा कुछ सरकारी एंबुलेंस वाले भी राडार पर है। पुलिस तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर जांच को आगे बढ़ा रही है और उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।