लखनऊ: म्यांमार में साइबर अपराधियों के चंगुल से छूटकर रविवार रात लौटे गुडंबा के आधार खेड़ा के रहने वाले सागर चौहान ने आपबीती सुनाई , सागर बेहद डरे हुए थे। वह आपबीती सुनाने के दौरान कई बार तो फूट-फूटकर रोने लगे।
सागर ने बताया कि सुअर का मांस और चावल खिलाते थे, उल्टी होने पर बेल्ट और डंडे से मारते थे। कभी कभार को उल्टा लटका देते थे। प्रताड़ना की सारी हदें पार कर देते थे म्यांमार के अपहर्ता। नींद आने पर बिजली का करंट लगाते थे और 22 घंटे तक चाइना के लिए साइबर ठगी करवाते थे। नहाने और नित्य क्रिया करने के लिए भी जाने नहीं देते थे। ज्यादा दिक्कत होने पर बहुत गिड़गिड़ाना पड़ता था। इसके बाद उनके लोग अपने साथ लेकर नित्य क्रिया कराने के लिए आंख में पट्टी बांध कर ले जाते थे।
सागर ने बताया कि म्यांमार में उनके जैसे कई देशों के 2500 से अधिक डाक्टर, इंजीनियर, साइबर एक्सपर्ट और कंप्यूटर का काम जानने वाले लोगों को बंधक बनाकर रखा गया है। उन सबको साइबर ठगी में लगाया गया है। तमाम तरीके की एप का इस्तेमाल करते हैं।
म्यांमार में कई भारतीय, पाकिस्तानी, श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, नेपाल, समेत अन्य देशों के लोग बंधक है। सागर ने बताया कि अभी तक उनके दोस्त अजय और राहुल वहीं बंधक हैं। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल के इंस्पेक्टर दशरथ सिंह ने बताया कि सागर आ गया है। अब राहुल और अजय को लाने के लिए दूतावास से पत्राचार जारी है। सागर का मेडिकल परीक्षण सोमवार को कराकर बयान दर्ज किया जाएगा।
सागर ने बताया कि उसके एक पड़ोसी ने बीते शुक्रवार को दस करोड़ रुपये की ठगी की थी। अमेरिका के एक व्यक्ति को झांसा देकर ठगी की गई थी। वहां बड़ी ठगी करने वाले के लिए तालियां बजाई जाती हैं। ठगी करने वाले को मनपसंद खाना, पीना, सोने का समय मिलता है, जबकि जो उनकी मर्जी के मुताबिक काम नहीं करते है, उन्हें टॉर्चर किया जाता है।
आठ लाख 14 हजार रुपये देने के बाद छूटे सागर
सागर ने बताया कि उनके भाई जोगिंदर चौहान से आरोपितों ने 8.14 लाख रुपए मंगवाया था। उनके खाते में पैसा आने के बाद प्रतिदिन एक लाख रूपये निकालते थे। पूरा पैसा निकालने के बाद शनिवार की सुबह आरोपित उसे बैंकाक एयरपोर्ट पर छोड़ा। किसी तरह से भाई को फोन किया। भाई ने दिल्ली के लिए जहाज का टिकट कराया और रविवार दोपहर दिल्ली पहुंचा। वहां से लखनऊ आया। सागर के पिता राम सरीक चौहान, भाई और अन्य परिवारीजन उसको लगे लगाकर रोने लगे।