• बिलासपुर कट बंद करना ’बाजू काट’ समाधान
• कट बंदी से परेशानियां बढ़ेगी, घटेगी नहीं!
• आमजन के लिए ‘मौत-ओ-मुसीबत’ का सबब
- मुजफ्फरनगर से ‘द एक्स इंडिया’ के लिए अमित सैनी
मुजफ्फरनगर। दिल्ली-देहरादून नेशनल हाईवे-58 पर बिलासपुर कट को बंद करने का प्रशासनिक निर्णय हादसों को रोकने की आड़ में लिया गया एक हास्यास्पद कदम है। डीएम उमेश कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद एनएचएआई, यातायात पुलिस, पीडब्ल्यूडी और एआरटीओ की तथाकथित ’संयुक्त निरीक्षण समिति’ ने ऐसा नायाब नुस्खा निकाला, मानो सिरदर्द हो तो सिर ही काट दो!
जौली-मुजफ्फरनगर का सीधा रास्ता बंद कर, अब लोगों को भोपा या जानसठ रोड ओवरब्रिज के लंबे चक्कर काटने को मजबूर कर दिया गया है। यह फैसला उपयोगी कम और जनता के साथ मजाक ज्यादा लग रहा है।

आमजन के लिए मुसीबत!
बिलासपुर कट बंद होने से भोपा अंडरपास पर जाम का आलम और बदतर हो जाएगा। जौली रोड और आसपास के गांवों के कामकाजी लोग महंगाई के इस दौर में अब कई किलोमीटर के चक्कर काटने को विवश होंगे। ईंधन और समय की बर्बादी तो छोड़िए, यकीनन लोग अब जानसठ ओवरब्रिज से रॉन्ग साइड ड्राइविंग या हाईवे की ग्रीन बेल्ट की नालियों को पार करने जैसे खतरनाक रास्ते चुनेंगे। कांवड़ यात्रा में कट बंद होने से कांवड़िए और स्थानीय लोग जोखिम भरे रास्तों पर उतर आते हैं, जिससे हादसों का खतरा और माहौल बिगड़ने की आशंका बढ़ती है।

ये भी होंगे प्रभावित!
जौली रोड से डायवर्ट किया गया ट्रैफिक अब जानसठ रोड के अलमासपुर चौराहे और टिकैत चौराहे से होकर गुजरेगा। कट बंदी से पूर्व ये ट्रैफिक कूकड़ा चौराहे और बालाजी चौराहे से तीन-चार रास्तों पर डायवर्ट होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इससे अलमासपुर चौराहा सबसे अधिक प्रभावित होगा। आपको पता ही है कि अलमासपुर चौराहा पहले से ही जाम की जद में हैं। खासकर स्कूल टाइमिलंग के दौरान यहां लंबा जाम लग जाता है। इसके अलावा जौली रोड की ओर जाने वाले लोग शॉर्टकट के लिए शेरनगर के संकरे रास्तों से होकर गुजर सकते हैं। इससे शेरनगर में भी जाम लगने की आशंका है। साथ ही, जौली रोड पर स्थित पेपर मिलों और डिस्टलरी में जाने वाले ईंधन आदि के ओवरलोड वाहनों के कारण भोपा ओवरब्रिज पर जाम लगने की पूरी संभावना है।

हादसों की जड़ और प्रशासन की नाकामी
बिलासपुर कट, जिसे अब ’डेथ पॉइंट’ की बदनामी झेलनी पड़ रही है, हादसों का शिकार इसलिए है क्योंकि तेज रफ्तार वाहनों को ये चौराहा दिखता ही नहीं। मैनुद्दीन की दुखद मृत्यु और रेत से भरे ट्रक के पलटने की वजह से सचिन और छोटू की दर्दनाक मौत हो या फिर सिपाही दंपति की मौत जैसी घटनाएं इसकी गवाही देती हैं। लेकिन प्रशासन ने असल वजह अपर्याप्त सिग्नलिंग, अवैध पार्किंग और ट्रैफिक प्रबंधन की कमी को ठीक करने की बजाए कट को ही बंद कर अपनी पीठ थपथपाने का काम किया है। यह बिल्कुल ऐसा है जैसे बुखार हो तो थर्मामीटर तोड़ दो!
क्या है असल वजह?
काश… इस संयुक्त टीम ने इलाज करने से पहले बीमारी का पता लगा लिया होता तो बाजू कट वाला नुस्खा अपनाने के बजाए सही कदम उठाया होता। बिलासपुर कट पर हादसों की असल वजह है, हरिद्वार की साइड से आने वाले वाहन चालकों को इस कट का सही से ना दिखना। इस कारण को अगर टीम का एक सदस्य भी प्रैक्टिकली अनुभव कर लेता तो शायद ऐसा निर्णय तो कतई ना लिया जाता।

असल में क्या करना चाहिएा?
प्रशासन को कट बंद करने की बजाए जमीनी कदम उठाने चाहिए थे, जैसेः-
- हरिद्वार और दिल्ली दिशा से 100 से 200 मीटर पहले चमकती रेड/रिफ्लेक्टिव लाइट्स लगाकर।
- हाई मास्क लाइट लगाकर, ताकि रात्रि में कट का पता चल सके।
- हरिद्वार साइड के पेड़-पौधों की छटाई-कटाई कर, ताकि दूर से कट का पता चल सके और चालकों को सतर्क किया जा सकता है।
- हरिद्वार की साइड में बिलासपुर कट पर स्थित कोल्ड स्टोर के बाहर अवैध पार्किंग पर नकेल कसी जानी चाहिए।
- ट्रैफिक पुलिस को चालान की लालच छोड़, सिर्फ यातायात प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए। हरिद्वार की साइड

परेशानी-जोखिम बढ़ाने वाला ‘फरमान’
बिलासपुर कट बंद करना हादसों का इलाज नहीं, बल्कि जनता की परेशानी और जोखिम बढ़ाने वाला प्रशासनिक फरमान है। ये मुजफ्फरनगर को ’डेथ पॉइंट’ और असुरक्षा की राजधानी के तमगे को और चमकाने वाला कदम है। प्रशासन को चाहिए कि सिग्नलिंग, पार्किंग नियंत्रण और ट्रैफिक प्रबंधन जैसे ठोस उपाय अपनाए, ताकि हादसे रुकें और जिले की बदनामी भी धुले। वरना, यह ’बाजू काट’ नीति जनता को और चोट पहुंचा सकती है।