उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार का “मेरा क्षेत्र नहीं” बयान तमाशा बन गया है। उन्होंने जिम्मेदारी कपिलदेव अग्रवाल पर डालने की कोशिश में ऐसा बयान दे डाला, जो अब वायरल हो रहा है। हालांकि पत्रकारों ने याद दिलाया कि वो सिर्फ विधायक नहीं, पूरे प्रदेश के मंत्री हैं, तो लड़खड़ाती जुबान से प्रार्थना-पत्र की बात करने लगे। कैमरों ने उनकी फिसलन कैद कर ली और अब सोशल मीडिया पर उनकी किरकिरी हो रही है।
- मुजफ्फरनगर से ‘द एक्स इंडिया’ के लिए अमित सैनी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के पुरकाजी से रालोद के झंडे तले तीसरी बार विधायक बने अनिल कुमार अब बाबा योगी आदित्यनाथ की यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री की शानदार कुर्सी पर विराजमान हैं।
रविवार को मंत्री अनिल कुमार ऐसी फिसलन भरी पिच पर आउट हुए कि उनका बयान अब चाय की टपरी से लेकर ट्विटर तक तमाशा बन गया है।
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मेरठ रोड पर एक कार्यक्रम में पहुंचे ‘मंत्री जी’ से जब पत्रकारों ने जलभराव और जनता के तीखे विरोध पर सवाल दागा, तो उन्होंने तड़ से गेंद उछाली कि, ‘वो मेरा क्षेत्र नहीं, कपिलदेव अग्रवाल का है!’ मानो कैबिनेट मंत्री का रुतबा सिर्फ उनकी विधानसभा की गलियों तक सिमट गया हो।
लेकिन जब पत्रकारों ने उनकी भूली हुई ‘मंत्रीगिरी’ की याद दिलाई, तो उनकी जुबान लड़खड़ाई और डैमेज कंट्रोल की कोशिश में वो ‘प्रार्थना-पत्र’ लेने की बात करने लगे।
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#मुज़फ़्फ़रनगर: कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार भूले अपना ‘कद’,
– याद दिलाने पर ‘लड़खड़ाने’ लगी जुबां
– जलभराव पर महिलाओं के विरोध के सवाल पर ‘तेरा-मेरा’ करने लगे @AnilKumarMZN
– पत्रकारों ने दिखाया आईना, तब जगी याद, वीडियो हुआ वायरल #Muzaffarnagar #Minister #kanwaryatra pic.twitter.com/1LMeDZVYkz
— The X India (@thexindia) July 13, 2025
‘जलभराव में डूबी जनता, बहानों में डूबे मंत्री’
बात दो दिन पूर्व शहर के रामलीला टिल्ला के गणेशपुरी मोहल्ले की है, जहां बारिश ने घरों को तालाब और गलियों को नदी बना दिया।
कई-कई फीट पानी में डूबे लोग सड़कों पर उतरे, गुस्साई महिलाओं ने उधर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंच रहे नेताओं को घेरा और जमकर खरी-खोटी सुनाई। जिसको लेकर रविवार को सवाल दागने पर ‘मंत्री जी’ को लगा कि यह सब उनके ‘क्षेत्र’ से बाहर का ड्रामा है।
उन्होंने बिना पलक झपकाए सारा ठीकरा स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री कपिलदेव अग्रवाल के सिर मढ़ दिया। सवाल यह है कि क्या कैबिनेट मंत्री का दायरा सिर्फ वोट की गलियों तक सीमित है? या फिर यह वही पुराना राजनीतिक खेल है, जहां जिम्मेदारी को ‘तू देख ले’ कहकर टरकाया जाता है?
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‘कैमरे की नजर और किरकिरी का तमाशा’
मंत्री जी की यह ‘फिसलन’ अब उनके लिए मुसीबत बन चुकी है। पत्रकारों के कैमरों ने उनकी लड़खड़ाती जुबान को कैद कर लिया और यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर उनकी साख का मजाक उड़ा रहा है।
जनता पूछ रही है कि अगर कैबिनेट मंत्री ही ‘मेरा क्षेत्र नहीं’ का राग अलापेंगे, तो फिर आम आदमी अपनी फरियाद लेकर जाए तो जाए कहां? क्या यह बयान उनकी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने की मानसिकता को उजागर करता है, या बस एक पल की चूक थी?
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‘सत्ता की कुर्सी और जनता की नजर’
नेताओं का समस्याओं को टालने और जिम्मेदारी को एक-दूसरे के पाले में धकेलने का खेल नया नहीं है। लेकिन जब कैबिनेट मंत्री जैसे बड़े ओहदे पर बैठा शख्स ऐसा करे, तो जनता की भौंहें तन जाती हैं।
अनिल कुमार का यह बयान न सिर्फ उनकी छवि को धक्का पहुंचा रहा है, बल्कि यह सवाल भी उठा रहा है कि क्या सत्ता की कुर्सी नेताओं को जनता की समस्याओं से और दूर कर देती है?
बहरहाल, मंत्री जी को अब यह समझ लेना चाहिए कि कैमरे की नजर और जनता का गुस्सा किसी ‘क्षेत्र’ में बंधा नहीं होता। उनकी एक लड़खड़ाहट उनकी साख को लंबे वक्त तक डगमगा सकती है।
