मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने हाल के समाचार पत्रों में प्रकाशित मानव अधिकार उल्लंघन से संबंधित 9 मामलों में संज्ञान लिया है। आयोग के सदस्य राजीव कुमार टंडन ने इन मामलों में संबंधित अधिकारियों से जांच और कार्यवाही का विस्तृत प्रतिवेदन मांगा है। इनमें जेल में कैदी की आत्महत्या, आवारा कुत्ते के हमले, छात्रा पर मारपीट और श्मशान घाट की कमी जैसे गंभीर मुद्दे शामिल हैं।
जेल में कैदी की आत्महत्या
रायसेन के गौहरगंज उपजेल में 22 वर्षीय कैदी पॉक्सो एक्ट के तहत सजा काट रहा था, जिसने कथित तौर पर कपड़ों से फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। शनिवार को हुई इस घटना के बाद उसे औबेदुल्ला गंज अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित किया गया। आयोग ने डीजी जेल, भोपाल और जेल अधीक्षक, रायसेन से एक माह में जांच प्रतिवेदन मांगा है।
मासूम पर आवारा कुत्ते का हमला
भोपाल के कटारा हिल्स में एक दो साल के बच्चे पर आवारा कुत्ते ने हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। बच्चे की पीठ पर दर्जनों घाव आए और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। आयोग ने कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और नगर निगम आयुक्त भोपाल से जांच और कार्यवाही का प्रतिवेदन मांगा है।
छात्रा पर वार्डन की मारपीट
सीधी के अमिलिया में कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में वार्डन ने 12वीं की छात्रा को उसके बेटे के रोने पर ताबड़तोड़ थप्पड़ मारे, जिससे छात्रा बेहोश हो गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। आयोग ने कलेक्टर (सीधी) से एक माह में जांच प्रतिवेदन मांगा है।
कुएं में डूबने से बालक की मौत
सतना के उसरहाई टोला में 15 वर्षीय बालक की कुएं में डूबने से मृत्यु हो गई। सड़क न होने के कारण एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी और ग्रामीणों को शव चारपाई पर ले जाना पड़ा। आयोग ने कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सतना) से प्रतिवेदन मांगा।
जर्जर स्कूल भवन, शिक्षिका का घर बना स्कूल
अनूपपुर के बरटोला प्राथमिक विद्यालय के जर्जर भवन से प्लास्टर गिरने के कारण शिक्षिका अपने घर के एक कमरे में 21 बच्चों को पढ़ा रही है। प्रशासन की अनदेखी पर आयोग ने कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी, अनूपपुर से जांच प्रतिवेदन मांगा है।
अन्य गंभीर मामले
रतलाम में अवैध क्लिनिक में इलाज से 14 वर्षीय बालक की मौत, रीवा में मजदूर की पिटाई, शहडोल में सांप के काटने से दंपती की मौत और रायसेन के पांच गांवों में श्मशान घाट की कमी जैसे मामलों में भी आयोग ने संज्ञान लिया है। संबंधित अधिकारियों से 15 दिन से एक माह के भीतर कार्यवाही का प्रतिवेदन मांगा गया है।
मानव अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग की यह कार्रवाई मानव अधिकारों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। जेल सुधार, आवारा पशुओं पर नियंत्रण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई की मांग से प्रशासन पर दबाव बढ़ेगा। यह कदम न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में भी महत्वपूर्ण होगा।
