नई दिल्ली। सावन मास का समापन 9 अगस्त 2025 को पूर्णिमा तिथि के साथ हो रहा है, जो सावन पूर्णिमा व्रत और रक्षा बंधन के पर्व के रूप में मनाया जाएगा। इस बार शनिवार को पड़ने वाली सावन पूर्णिमा पर आयुष्मान और सौभाग्य योग का शुभ संयोग बन रहा है, जो इस दिन को और भी खास बनाता है।
यह दिन भगवान शिव, माता पार्वती, और चंद्रमा की पूजा के लिए समर्पित है। साथ ही, रक्षा बंधन के अवसर पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगी।
सावन पूर्णिमा का महत्व
सावन पूर्णिमा भगवान शिव और चंद्रमा को समर्पित एक पवित्र दिन है। ज्योतिष के अनुसार, जिनकी कुंडली में चंद्रमा पीड़ित या पाप ग्रहों की युति में हो, उनके लिए यह व्रत विशेष महत्व रखता है। इस दिन भद्रा का प्रभाव सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगा, जिससे पूरे दिन रक्षा बंधन और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा।
दृक पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि दोपहर 2:12 बजे शुरू होगी, और शुभ मुहूर्त सुबह 5:47 से दोपहर 1:24 तक रहेगा। सूर्योदय 5:46 बजे और सूर्यास्त 7:07 बजे होगा।
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पूजा विधि और व्रत के नियम
सावन पूर्णिमा व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती है। प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती, और चंद्रमा की पूजा करें। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, और घी अर्पित करें। बेलपत्र, काला तिल, जौ, गेहूं, गुड़, और इत्र चढ़ाएं। चंद्रमा को जल और दूध से अर्घ्य दें, जिसमें चीनी मिलाकर चांदी के पात्र का उपयोग करें। ‘ओम सोम सोमाय नम:’, ‘ओम नमः शिवाय’ और ‘ओम सोमेश्वराय नमः’ मंत्रों का जप करें।
व्रत के दौरान फलाहार लें और चंद्रोदय के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोलें। पूजा के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है।
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रक्षा बंधन और परंपराएं
रक्षा बंधन के दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है। इस दिन भद्रा का प्रभाव न होने से राखी बांधने का समय पूरे दिन उपलब्ध रहेगा। महाराष्ट्र में इसे नारली या नारियल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
तमिलनाडु में अवनी अवित्तम या श्रावणी के रूप में ब्राह्मण समुदाय नए यज्ञोपवीत धारण करता है। आंध्र प्रदेश मंम इसे जन्ध्याला पूर्णिमा और अन्य क्षेत्रों में उपाकर्म के रूप में जाना जाता है। ये परंपराएं सावन पूर्णिमा की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती हैं।
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सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व
सावन पूर्णिमा और रक्षा बंधन का संयोग न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक एकता को भी मजबूत करता है। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को सम्मान देने और आध्यात्मिक शुद्धता के लिए महत्वपूर्ण है।
आयुष्मान और सौभाग्य योग इस दिन किए गए कार्यों को और फलदायी बनाते हैं। चंद्रमा की पूजा से मानसिक शांति और कुंडली के दोषों का निवारण होता है। यह पर्व समाज में प्रेम, विश्वास, और भक्ति की भावना को बढ़ावा देता है।
विशेष अवसर
9 अगस्त 2025 को सावन पूर्णिमा और रक्षा बंधन का शुभ संयोग भक्तों और परिवारों के लिए विशेष अवसर लेकर आ रहा है। इस दिन व्रत, पूजा, और राखी बांधने की परंपरा न केवल आध्यात्मिक शुद्धता लाती है, बल्कि पारिवारिक बंधन को भी मजबूत करती है।
शुभ मुहूर्त और योगों का संयोग इस दिन को और भी प्रभावशाली बनाता है। भक्तों को चाहिए कि वे इस अवसर का लाभ उठाकर भगवान शिव और चंद्रमा की कृपा प्राप्त करें।