नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने संसद के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाद्रा, और अन्य विपक्षी नेताओं ने ‘मिंता देवी’ नाम की 124 वर्षीय कथित मतदाता की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनकर विरोध जताया। विपक्ष का दावा है कि चुनाव आयोग और भाजपा मिलकर मतदाताओं के अधिकार छीन रहे हैं, जिससे लोकतंत्र खतरे में है।
प्रदर्शन का विवरण और विपक्ष का रुख
विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर के मकर द्वार पर ‘हमारा वोट, हमारा अधिकार, हमारी लड़ाई’ और ‘एसआईआर – साइलेंट इनविजिबल रिगिंग’ जैसे नारे लिखे बैनरों के साथ प्रदर्शन किया। कई सांसदों ने ‘मिंता देवी, 124 नॉट आउट’ लिखी टी-शर्ट पहनी, जो बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची में कथित रूप से शामिल एक 124 वर्षीय मतदाता का जिक्र करती है।
यह प्रदर्शन 15वें दिन भी जारी रहा, जिसमें विपक्ष ने आरोप लगाया कि एसआईआर के जरिए बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 65 लाख मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने की साजिश रची जा रही है।
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क्या कहते हैं विपक्षी नेता?
कार्ति पी. चिदंबरम:
“चुनाव आयोग की विश्वसनीयता संदेह में है, जिससे चुनावी परिणाम और लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। यह मुद्दा लगातार उठाया जाना चाहिए।”
प्रमोद तिवारी:
“300 सांसद सड़क पर उतरे, लेकिन सरकार ने हमें चुनाव आयोग तक जाने से रोका और संसद में बिल पास कराया। यह तानाशाही है।”
मणिकम टैगोर:
“चुनाव आयोग भाजपा का विभाग बन गया है। मिंता देवी जैसे फर्जी मतदाता इसका सबूत हैं।”
तारिक अनवर:
“सरकार चर्चा से भाग रही है और सदन को चलने नहीं दे रही।”
गुरजीत सिंह औजला:
“हरियाणा और महाराष्ट्र में उलट नतीजे मिंता देवी जैसे मामलों से साफ हैं। कांग्रेस पूरे देश में इसे उजागर करेगी।”
आदित्य यादव और मोहिबुल्लाह नदवी:
“एसआईआर पर चर्चा जरूरी है। समाजवादी पार्टी ने 18,000 हलफनामे जमा किए, लेकिन आयोग चुप है। यह लोकतंत्र की लड़ाई है।”
मिंता देवी मामला और आरोप
‘मिंता देवी’ का मामला विपक्ष के प्रदर्शन का केंद्र रहा। राहुल गांधी ने दावा किया कि बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची में 124 वर्षीय मिंता देवी को पहली बार मतदाता के रूप में दर्ज किया गया, जो मतदाता सूची में धांधली का प्रतीक है।
विपक्ष का कहना है कि यह केवल एक उदाहरण है; बिहार, कर्नाटक, हरियाणा, और महाराष्ट्र में भी ऐसी अनियमितताएं सामने आई हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर याचिकाएं लंबित हैं, और 12 अगस्त से सुनवाई फिर शुरू होगी।
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सरकार और चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ड्राफ्ट मतदाता सूची से किसी का नाम बिना नोटिस और सुनवाई के नहीं हटाया जाएगा। आयोग ने दावा किया कि प्रक्रिया पारदर्शी है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।
भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोई ठोस शिकायत नहीं दी गई। कर्नाटक और हरियाणा के चुनाव आयुक्तों ने राहुल गांधी को नोटिस भेजकर सबूत मांगे हैं।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
यह प्रदर्शन लोकतंत्र और चुनावी पारदर्शिता पर एक बड़ी बहस का हिस्सा है। विपक्ष का ‘वोट चोरी’ कैंपेन, खासकर ‘मिंता देवी’ जैसे मामलों के जरिए, जनता में जागरूकता बढ़ा रहा है। सोशल मीडिया पर #StopSIR और #VoterFraud जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
हालांकि, सरकार और आयोग के जवाबों ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। यह विवाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को प्रभावित कर सकता है।
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आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल
विपक्ष का संसद के बाहर प्रदर्शन और ‘मिंता देवी’ टी-शर्ट कैंपेन चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। ‘एसआईआर’ और ‘वोट चोरी’ के आरोपों ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है।
विपक्ष की मांग है कि संसद में इस मुद्दे पर खुली चर्चा हो, ताकि लोकतंत्र की रक्षा हो सके। यह मुद्दा न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।