रांची, 23 अक्टूबर। झारखंड भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी सिंह ने जेएमएम की गठबंधन समीक्षा बैठक पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि इससे न तो बिहार की जनता को फर्क पड़ेगा और न ही झारखंड की। उन्होंने इसे ‘मीडिया में बने रहने’ की चाल बताया और कहा कि चुनाव के बाद समीक्षा का कोई मतलब ही नहीं, खासकर जब जेएमएम को बिहार में एक भी सीट न मिली हो।
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आईएएनएस से विशेष बातचीत में सिंह ने कहा, “जेएमएम बिहार चुनाव नहीं लड़ रही, फिर समीक्षा करके क्या हासिल होगा? यह सब भाजपा के डर से ‘चोर-चोर मौसेरे भाई’ की तरह एकजुट होने का प्रयास है। जेएमएम में समीक्षा की हिम्मत ही नहीं, सब शोशेबाजी है।” उन्होंने जेएमएम की इस कवायद को विपक्ष की हताशा का प्रतीक बताया, जो महागठबंधन की दरारों को उजागर कर रही है।
गौरतलब है कि जेएमएम ने बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन से किनारा कर लिया था। पार्टी ने छह सीटों की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस-राजद ने सीट न देकर ‘राजनीतिक धोखा’ दिया, जिसके बाद जेएमएम ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन अंततः हट गई।
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जेएमएम नेता सुदीव्या कुमार ने इसे ‘साजिश’ करार दिया था, जबकि कांग्रेस के राकेश सिन्हा ने महागठबंधन नेताओं से ‘इस पर विचार’ करने को कहा था। भाजपा ने इसे विपक्षी गठबंधन की कमजोरी का सबूत बताया, जहां मुक्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ‘महागठबंधन पूरी तरह बेनकाब हो गया’।
झारखंड में जेएमएम का कांग्रेस-राजद के साथ गठबंधन जारी है, लेकिन बिहार विवाद ने दरारें पैदा की हैं। कांग्रेस नेताओं ने स्वीकार किया कि जेएमएम को सीट मिलनी चाहिए थी, और हेमंत सोरेन का ‘त्याग’ चुनाव बाद सुलझेगा। भाजपा के प्रतीत शाहदेव ने जेएमएम को ‘यू-टर्न की मास्टर’ कहा, जबकि चिराग पासवान ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘गठबंधन की देखभाल न कर सके, राज्य की कैसे करेंगे’।
सिंह ने कहा कि बिहार चुनाव में NDA का पलड़ा भारी है, और विपक्ष की आपसी खींचतान जनता को फायदा पहुंचाएगी। बिहार में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को है, और NDA ने पहले ही सीट बंटवारा पूरा कर लिया है।




