नई दिल्ली। साल 2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में विशेष एनआईए अदालत ने 31 जुलाई 2025 को सभी सात आरोपियों, जिनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित शामिल हैं, को बरी कर दिया। इस फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ने इसे ‘हिंदुत्व और भगवा की जीत’ करार देते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि ‘हिंदू आतंकवाद’ का जुमला गढ़ने वाली कांग्रेस का ‘मुंह काला’ हो गया है। यह फैसला मालेगांव मामले में 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आया है, जिसने सनातन धर्म और भगवा को आतंकवाद से जोड़ने के आरोपों को खारिज कर दिया।
‘हिंदुत्व की जीत, कांग्रेस का मुंह काला’: साध्वी प्रज्ञा
फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
उन्होंने लिखा, “भगवा आतंकवाद और हिंदू आतंकवाद के जन्मदाता कांग्रेस सहित सभी विधर्मियों का मुंह हुआ काला। भगवा, हिंदुत्व और सनातन की विजय पर समस्त सनातनियों और देशभक्तों का हुआ बोलबाला।”
कोर्ट में फैसला सुनाए जाने के दौरान वह भावुक हो उठीं और फूट-फूटकर रो पड़ीं।
उन्होंने जज से कहा, “मुझे 13 दिन तक सताया गया। मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी गई। 17 साल तक मेरा अपमान हुआ। मुझे अपने ही देश में आतंकवादी कहा गया।”
साध्वी ने इसे हिंदुत्व की जीत बताते हुए उन लोगों को माफ न करने की बात कही, जिन्होंने हिंदुत्व को बदनाम करने की कोशिश की।
भगवा आतंकवाद और हिन्दू आतंकवाद के जन्मदाता कांग्रेस सहित सभी विधर्मियों का मुंह हुआ काला..
भगवा ,हिंदुत्व और सनातन की विजय पर समस्त सनातनियों और देशभक्तों का हुआ बोलबाला बहुत-बहुत बधाई….
जय हिन्दूराष्ट्र, जय श्री राम…— Sadhvi Pragya Singh Thakur (@sadhvipragyag) August 1, 2025
कोर्ट का फैसला?
विशेष एनआईए अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि विस्फोट में इस्तेमाल मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की थी या लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने उसमें बम रखा था।
सबूतों के अभाव में कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित और अन्य पांच आरोपियों—सुदर्शन मिश्रा, शिव नारायण कल्सांगरा, श्याम साहू, अजय रहीरकर और समीर कुलकर्णी को बरी कर दिया। इस फैसले ने 17 साल पुराने मामले को नया मोड़ दे दिया, जो शुरू से ही विवादों में रहा।
क्या था मालेगांव बम धमाका?
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे बम में विस्फोट हुआ था। यह हमला रमजान के दौरान और नवरात्रि से कुछ दिन पहले हुआ, जिसमें छह लोग मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हुए।
इस घटना ने मालेगांव जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में तनाव पैदा कर दिया था। जांच शुरू में महाराष्ट्र एटीएस ने की थी, लेकिन बाद में इसे एनआईए को सौंप दिया गया।
हिंदुत्व और भगवा पर बहस
साध्वी प्रज्ञा ने अपने बयान में कहा कि इस मामले में भगवा और हिंदुत्व को गलत तरीके से आतंकवाद से जोड़ा गया। उन्होंने इसे सनातन धर्म के खिलाफ साजिश करार दिया और कोर्ट के फैसले को सत्य की जीत बताया।
उनके इस बयान ने एक बार फिर ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसे शब्दों पर बहस छेड़ दी है, जिसे कांग्रेस सरकार के दौरान इस मामले में बार-बार इस्तेमाल किया गया था। साध्वी ने इसे अपने और हिंदुत्व के अपमान का प्रतीक बताया।
लंबी कानूनी लड़ाई का अंत
मालेगांव बम धमाके मामले में साध्वी प्रज्ञा और अन्य आरोपियों को बरी किए जाने से न केवल इस लंबी कानूनी लड़ाई का अंत हुआ, बल्कि यह हिंदुत्व और भगवा को आतंकवाद से जोड़ने की बहस को भी नया आयाम दे गया।
