मुजफ्फरनगर. शहर के लोहिया बाजार इलाके में बाग जानकी दास निवासी गौरव की पत्नी वर्षा (उम्र करीब 32 वर्ष) सुबह नहाने के लिए बाथरूम में गई थीं। बाथरूम में गैस गीजर जल रहा था और सिलिंडर भी अंदर ही लगा था। काफी देर तक बाहर न आने पर परिजनों ने आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आनन-फानन में दरवाजा तोड़ा गया तो वर्षा अचेत अवस्था में फर्श पर पड़ी मिलीं। तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिजनों ने गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस का कहना है कि अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है, इसलिए कोई केस दर्ज नहीं हुआ।
मौत की असली वजह: कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस
जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. योगेंद्र तिरखा ने बताया, “गैस गीजर से होने वाले ज्यादातर हादसे कार्बन मोनोऑक्साइड गैस की वजह से होते हैं। यह गैस बिना रंग-बिना गंध वाली होती है, इसलिए पता ही नहीं चलता। बंद बाथरूम में ऑक्सीजन कम होने पर अधजली गैस (CO) बनती है जो फेफड़ों में पहुंचकर खून में ऑक्सीजन की जगह ले लेती है। पहले चक्कर आते हैं, फिर बेहोशी और कुछ ही मिनटों में मौत हो जाती है।”
जान बचाने के लिए जरूरी सावधानियां
- गैस सिलिंडर हमेशा बाथरूम के बाहर रखें।
- गीजर के ऊपर चिमनी (एग्जॉस्ट पाइप) जरूर लगवाएं जो बाहर निकले।
- बाथरूम में कम से कम एक वेंटिलेशन विंडो या एग्जॉस्ट फैन होना चाहिए।
- नहाते समय दरवाजा थोड़ा खुला रखें या ऊपर का हिस्सा खुला छोड़ें।
- 10-15 मिनट से ज्यादा लगातार गीजर न जलाएं।
- हर साल गीजर की सर्विसिंग और चिमनी की सफाई जरूर करवाएं।
पिछले 3 सालों में उत्तर प्रदेश में गैस गीजर से दम घुटने के 50 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें ज्यादातर सर्दियों में हुए।
परिजनों का कहना है कि उन्हें इस खतरे की जानकारी ही नहीं थी। इस हादसे ने एक बार फिर सबको चेता दिया है – छोटी सी लापरवाही पूरी जिंदगी छीन सकती है।





