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पीओके में अधिकारों और सुधारों की मांग को लेकर हिंसक झड़पें, नौ की मौत

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इस्लामाबाद. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेएएसी) द्वारा बुलाई गई हड़ताल के दौरान हिंसक झड़पों में तीन पुलिसकर्मियों सहित नौ लोगों की जान चली गई।यह हड़ताल क्षेत्र में सुधारों और बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर आयोजित की गई थी।

 

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स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इन झड़पों में 172 पुलिसकर्मी और 50 नागरिक घायल हुए हैं।पाकिस्तानी समाचार पत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, हड़ताल के कारण पीओके में व्यापार, यातायात और संचार सेवाएं ठप हो गईं।

 

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मुजफ्फराबाद, मीरपुर, पुंछ, नीलम, भीम्बर और पलंद्री जैसे क्षेत्रों में जनजीवन पूरी तरह प्रभावित रहा। खैबर-पख्तूनख्वा की सीमा से सटे इलाकों को छोड़कर, मुजफ्फराबाद में बाजार बंद रहे, सड़कों पर आवागमन रुका और इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं।

 

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रिपोर्टों के अनुसार, धीर कोट में जेएएसी से जुड़े हथियारबंद प्रदर्शनकारियों ने हमला किया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी मारे गए और नौ अन्य घायल हो गए।

 

जेएएसी ने हड़ताल के जरिए कई मांगें उठाई हैं, जिनमें सत्ताधारी वर्ग को मिलने वाले विशेषाधिकारों को खत्म करना, शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को समाप्त करना, कोटा प्रणाली को हटाना, मुफ्त और समान शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं, न्यायिक सुधार और एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण शामिल है।

 

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अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने जेएएसी की कुछ मांगों को स्वीकार कर लिया है, लेकिन कई मुद्दों पर सहमति न बन पाने के कारण वार्ता विफल रही।

 

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इसके बाद, जेएएसी ने विरोध प्रदर्शन और हड़ताल का आह्वान किया, जो बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। प्रदर्शनकारियों ने पीओके को पाकिस्तान से जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे व्यावसायिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं।

 

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जेएएसी के प्रमुख नेता शौकत नवाज मीर ने पाकिस्तान सरकार और सेना पर स्थानीय लोगों के उत्पीड़न का आरोप लगाया। उन्होंने सेना की तुलना एक ऐसी ताकत से की जो स्थानीय लोगों को निशाना बना रही है।

 

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मीर ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हिंदुओं को “काफिर” कहने वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा कि जहां पाकिस्तान दूसरों पर अत्याचार का आरोप लगाता है, वहीं वह स्वयं पीओके में स्थानीय लोगों का दमन कर रहा है।

 

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आम लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है और मीडिया को चुप कराया जा रहा है। मीर ने पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे उन लोगों को निशाना बना रहे हैं, जिनका प्रतिनिधित्व करने का वे दावा करते हैं।

 

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