नई दिल्ली. डीपी वर्ल्ड इंडिया चैंपियनशिप ने भारतीय गोल्फरों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान किया, जिसमें विश्व के शीर्ष खिलाड़ी जैसे नंबर दो रैंकिंग के रोरी मैक्लरॉय और नंबर पांच के टॉमी फ्लीटवुड शामिल हुए।
40 लाख डॉलर की इनामी राशि वाला यह टूर्नामेंट भारत में अब तक का सबसे बड़ा गोल्फ आयोजन था। हालांकि, भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन उम्मीदों से कम रहा, और इसने उनके सामने मानसिक और तकनीकी चुनौतियों को उजागर किया।
चैंपियनशिप में 26 भारतीय गोल्फरों ने हिस्सा लिया, लेकिन केवल पांच ही कट पार कर सके। शिव कपूर ने 9-अंडर 279 (72-69-70-68) के स्कोर के साथ संयुक्त 32वां स्थान हासिल कर भारतीयों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। ध्रुव श्योराण 8-अंडर 280 (68-73-67-72) के साथ संयुक्त 36वें स्थान पर रहे।
शुभांकर शर्मा और अनिर्बान लाहिड़ी 3-अंडर 285 के स्कोर के साथ संयुक्त 56वें स्थान पर रहे, जबकि अभिनव लोहान 1-अंडर 287 के साथ संयुक्त 63वें स्थान पर रहे।
भारतीय गोल्फरों की इस प्रदर्शन ने कई सवाल खड़े किए। गगनजीत भुल्लर और एसएसपी चौरसिया जैसे दिग्गजों को प्रोफेशनल गोल्फ टूर ऑफ इंडिया (पीजीटीआई) से निमंत्रण नहीं मिला, क्योंकि वे इंडियन गोल्फ प्रोफेशनल लीग (आईजीपीएल) से जुड़े हैं।
यदि ऐसा न होता, तो शायद कुछ और भारतीय खिलाड़ी इस बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा दिखा सकते थे। गौरतलब है कि आखिरी बार किसी भारतीय ने यूरोपीय टूर्नामेंट 2018 में जीता था, जब गगनजीत भुल्लर ने फिजी इंटरनेशनल और खलिन जोशी ने पैनासोनिक ओपन में जीत हासिल की थी।
शुभांकर शर्मा ने भी उसी साल यूरोपीय टूर पर कामयाबी हासिल की थी।शुभांकर ने इस आयोजन के बाद कहा, “विश्व स्तर के कोर्स और बदलती परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाना आसान नहीं है।