नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में सड़क कुत्तों की समस्या पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अन्य सार्वजनिक स्थानों से सड़क कुत्तों को हटाने का आदेश दिया है, लेकिन स्टेरलाइजेशन (नसबंदी) और टीकाकरण के बाद उन्हें वापस उसी क्षेत्र में छोड़ने की अनुमति दी है।
कोर्ट ने पशु प्रेमियों को पालने के लिए आवेदन करने की छूट दी, लेकिन सड़क पर वापसी पर रोक लगाई। कोर्ट ने सभी राज्यों के समान मामलों को एकत्र कर राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया।
मुख्य बिंदु:
- हटाने का आदेश: स्कूल, अस्पतालों आदि से कुत्तों को हटाकर शेल्टर में रखें।
- वापसी: स्टेरलाइजेशन के बाद उसी जगह वापस, लेकिन rabies प्रभावित कुत्तों को नहीं।
- पालन: पशु प्रेमी आवेदन करें; ₹25,000 (व्यक्ति) और ₹2 लाख (NGO) जमा।
- समय सीमा: 8 सप्ताह में शेल्टर स्थापित करें; सभी हाईकोर्ट केस SC में ट्रांसफर।
वकील ननिता शर्मा की प्रतिक्रिया: SC वकील और याचिकाकर्ता ननिता शर्मा ने फैसले को “पीड़ादायक” बताया, लेकिन कहा, “हम इसका सम्मान करेंगे क्योंकि यह SC का आदेश है।” उन्होंने कहा, “यह August 11 के फैसले जैसा है, लेकिन स्थानीय निकायों को जिम्मेदारी दी गई। कुत्तों को स्टेरलाइजेशन के बाद वापस छोड़ना होगा।” शर्मा ने कहा, “निष्पक्षता होनी चाहिए।” (वीडियो: ANI)।
अन्य प्रतिक्रियाएं:
- मनेका गांधी: “अव्यवहारिक। 8 लाख कुत्तों में से 5,000 हटाने से क्या फर्क? शेल्टरों की कमी है।”
- पीपल फॉर एनिमल्स: “कोर्ट ने कोई पक्ष नहीं सुना। सवाल उठते हैं।”
- राहुल गांधी: “प्रगतिशील कदम, लेकिन पशु कल्याण और सार्वजनिक सुरक्षा का संतुलन।”
पृष्ठभूमि: SC ने 28 जुलाई को suo motu संज्ञान लिया, जब Times of India ने “City Hounded by Strays” रिपोर्ट प्रकाशित की। 11 अगस्त के फैसले में सभी सड़क कुत्तों को शेल्टर में रखने का आदेश था, लेकिन 22 अगस्त को संशोधन किया गया। दिल्ली में 25,000 बाइट केस (2024) और 3,000 (जनवरी 2025) दर्ज हैं। ABC नियमों के अनुसार, सड़क कुत्तों को स्टेरलाइजेशन के बाद वापस छोड़ना जरूरी है। कोर्ट ने राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए सभी हाईकोर्ट केस एकत्र करने का आदेश दिया।





