उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली और हर्षिल क्षेत्र में मंगलवार (5 अगस्त 2025) को बादल फटने से आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन धराली’ के तहत राहत और बचाव कार्यों की कमान संभाली है।
अब तक 357 से अधिक नागरिकों को हवाई और स्थल मार्ग से सुरक्षित निकाला गया है, जिसमें 119 को देहरादून एयरलिफ्ट किया गया। हालांकि, 14 राजपूताना राइफल्स के 8 सैनिक और करीब 100 नागरिक अभी भी लापता हैं। दो नागरिकों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
राहत और बचाव कार्य
भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ, और नागरिक प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं। 7 अगस्त को 68 हेलिकॉप्टर उड़ानें संचालित की गईं, जिनमें वायुसेना की 6, सेना की 7, और नागरिक हेलिकॉप्टरों की 55 उड़ानें शामिल थीं।
सी-295 विमान के जरिए देहरादून, हर्षिल, मतली, और धारासू के बीच ‘हेलि-ब्रिज’ प्रणाली से राहत सामग्री और लोगों को पहुंचाया जा रहा है। सेना की इंजीनियरिंग टीमें, मेडिकल स्टाफ, और खोजी कुत्ते प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं।
चुनौतियां और बुनियादी ढांचा
धराली क्षेत्र सड़क मार्ग से पूरी तरह कटा हुआ है। लिमचिगाड़ तक सड़क साफ करने का कार्य चल रहा है, और शुक्रवार शाम तक एक बेली ब्रिज पूरा होने की उम्मीद है। बार्टवारी, लिंचिगढ़, और गंगरानी में सड़कें क्षतिग्रस्त हैं, और गंगोत्री नेशनल हाईवे कई जगह अवरुद्ध है।
भारी बारिश और कीचड़ ने बचाव कार्यों को और जटिल बना दिया है। हर्षिल में सेना ने सैटेलाइट कनेक्टिविटी और वाई-फाई के साथ एक संचार नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है, जबकि बीएसएनएल और एयरटेल संचार सेवाएं बहाल करने में जुटे हैं।
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प्रशासन और नेतृत्व की भूमिका
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को धराली का हवाई सर्वेक्षण किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने देहरादून में आपदा नियंत्रण कक्ष से स्थिति की समीक्षा की और केंद्र सरकार से हर संभव सहायता का आश्वासन प्राप्त किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी धामी से बात कर समर्थन का वादा किया। उत्तरी भारत क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग और 9 माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर हर्षिल में राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
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पूरी तरह तबाह हो गया धराली!
गंगोत्री मंदिर के रास्ते में एक प्रमुख पर्यटक स्थल धराली है, जो इस आपदा में पूरी तरह तबाह हो गया। कीर गंगा नदी में आए उफान ने घरों, होटलों और सेना के शिविरों को बहा दिया। यह आपदा 2013 की केदारनाथ त्रासदी की याद दिलाती है, जब बादल फटने से हजारों लोग प्रभावित हुए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित शहरीकरण ने ऐसी आपदाओं की तीव्रता बढ़ा दी है।
‘ऑपरेशन धराली’
ऑपरेशन धराली’के तहत सेना और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों से 357 लोग सुरक्षित निकाले गए हैं, लेकिन 8 सैनिक और 100 नागरिक अभी भी लापता हैं। प्रतिकूल मौसम और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे के बावजूद राहत कार्य 24 घंटे जारी हैं।
यह आपदा उत्तराखंड की भौगोलिक नाजुकता और आपदा प्रबंधन की चुनौतियों को उजागर करती है। प्रशासन और सेना की प्रतिबद्धता से उम्मीद है कि शेष लापता लोगों को जल्द ही सुरक्षित निकाला जाएगा।