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मुजफ्फरनगर में फैक्ट्रियों का काला धुआं बन रहा मौत का सौदागर! जिम्मेदारों की अनदेखी ने गिरवी रखी जिले की सांसे!

Muzaffarnagar Chokes in Toxic Smog: Factories Kill
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प्रदूषण का घातक खेल, मुजफ्फरनगर में हवा बनी काल


मुजफ्फरनगर की हवा जहर बन चुकी है, जहां फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलता काला धुआं सांसों को चुरा रहा है। भोपा रोड, जानसठ रोड और जौली रोड पर जहरीला धुआं और कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। क्या प्रशासन जागेगा या यह शहर कूड़े का कब्रिस्तान बन जाएगा?


 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की हवा में जहर (Toxic Air) घुल चुका है और जिम्मेदारों की चुप्पी शहर की सांसों को चुरा रही है। औद्योगिक चिमनियों (Industrial Chimneys) से निकलता काला-जहरीला धुआं (Poisonous Black Smoke) हर रोज लोगों का दम घोंट रहा है।

विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों (Most Polluted Cities) में मुजफ्फरनगर का नाम बार-बार उभरता है, 2024 की IQAir रिपोर्ट में 10वां स्थान और AQI 144 का खतरनाक स्तर। फिर भी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) और प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंगती।

वायरल वीडियो (Viral Videos) और स्थानीय लोगों की चीखें हर बार सच्चाई उजागर करती हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी घोड़े (Paperwork) दौड़ाए जाते हैं। क्या यह शहर कूड़े का कब्रिस्तान (Waste Graveyard) बनकर रह जाएगा या कोई जिम्मेदार इस जहर को रोकेगा?

 

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आरामको पेपर्स की चिमनी से काला धुआं आसमान को ढक रहा

 

जानसठ और जौली रोड: जहर की फैक्ट्री

जानसठ रोड (Jansath Road) और जौली रोड (Jauli Road) पर फैक्ट्रियां हर दिन जहर उगल रही हैं। ‘द एक्स इंडिया’ की पड़ताल में चौंकाने वाली हकीकत सामने आई। रविवार शाम 5 बजे, पानीपत-खटीमा हाईवे (Panipat-Khatima Highway) पर मुस्सा-शेरनगर (Mussa-Shernagar) के पास सिलाजुड्डी (Silajuddi) रोड पर आरामको पेपर्स (Aramco Papers) की चिमनी से काला धुआं (Black Smoke) आसमान को ढक रहा था।

 

 

एक स्थानीय महिला ने कहा, यहां गत्ता (Cardboard) बनता है, लेकिन कूड़ा जलाने से धुआं इतना घना कि सूरज दिखना बंद।

 

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एक चायवाले ने खुलासा किया, फैक्ट्री में RDF (Refuse-Derived Fuel) के नाम पर कचरा (Garbage) जलाया जाता है, जिसमें प्लास्टिक (Plastic Waste) और रबर (Rubber Waste) भी शामिल है।

 

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आरामको पेपर्स की चिमनी से से निकलता काला और जहरीला प्रदूषित धुआं

 

इसी तरह, जौली रोड पर सिखरेड़ा-भगवानपुरी (Sikhera-Bhagwanpuri) में दिशा पेपर मिल (Disha Paper Mill) की चिमनी रविवार सुबह 10 बजे जहरीला धुआं उगल रही थी। यह धुआं डाइऑक्सिन (Dioxins) जैसे कैंसरकारी तत्व (Carcinogens) छोड़ता है, जो सांस और फेफड़ों (Lungs) को नष्ट कर रहा है।

 

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जौली रोड की सिखरेडा-भगवानपुरी में स्थित दिशा पेपर मिल की चिमनी से निकलता काला धुआं

 

इस फैक्टरी के इस प्रदूषित धुएं से सिखरेडा, भगवानपुरी और भंडूरा समेत आसपास के कई गांव पूरी तरह से प्रभावित हैं। ग्रामीणों की लंबे समय से इस फैक्टरी के प्रदूषण की रोकथाम के लिए मांग रही है, लेकिन जिम्मेदार ग्रामीणों की मांगों को पहले से ही अनदेखी करते चले आ रहे हैं।

 

 

एक कर्मचारी ने गुप्त रूप से बताया, “RDF के साथ प्लास्टिक और रबर जलाया जाता है, इसलिए धुआं इतना काला है

 

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जौली रोड की सिखरेडा-भगवानपुरी में स्थित दिशा पेपर मिल की चिमनी से निकलता काला धुआं

 

बिलासपुर (Bilaspur) में इलायची दाना (Cardamom Seeds) बनाने वाली छोटी फैक्ट्री ‘श्री बालाजी कंपनी’ भी कम खतरनाक नहीं, इसके वायरल वीडियो पहले भी चर्चा में रहे, नोटिस (Notices) भी जारी हुए, लेकिन धुआं आज भी थमने का नाम नहीं ले रहा।

 

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RTI से खुला खेल, लेकिन अधूरा!

RTI कार्यकर्ता सुमित मलिक (Sumit Malik) ने 20 अगस्त को किसान दिवस (Kisan Diwas) पर डीएम उमेश मिश्रा (DM Umesh Mishra) के सामने प्रदूषण का मुद्दा उठाया। उनकी शिकायत और मीडिया की खबरों ने UPPCB को मजबूर किया कि 17 पेपर मिल्स पर 52 लाख 2 हजार 500 रुपये का जुर्माना (Fine) लगाया जाए। लेकिन बोर्ड ने सिर्फ एक-दो फैक्ट्रियों के नाम उजागर किए, बाकी के नाम छिपाकर सवाल खड़े कर दिए।

सुमित ने कहा, यह खानापूर्ति है। नाम क्यों छिपाए? क्या बड़े उद्योगपतियों (Industrialists) का दबाव है?”

 

बोर्ड के अधिकारी गीतेश चंद्रा (Gitesh Chandra) ने वादा किया, जांच होगी, मानक उल्लंघन पर कार्रवाई होगी।

 

लेकिन ग्रामीणों का कहना है, नोटिस तो आते हैं, पर फैक्ट्रियां चलती रहती हैं।

 

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उत्तर भारत का कचरा डंप, मुजफ्फरनगर बनाकूड़ाघर

मुजफ्फरनगर उत्तर भारत का कचरा डंप (Waste Dump) बन गया है। दिल्ली के गाजीपुर (Ghazipur), देहरादून (Dehradun), और चंडीगढ़ (Chandigarh) से रोजाना हजारों टन RDF कचरा (RDF Waste) भोपा रोड (Bhopa Road), जानसठ  और जौली रोड की मिल्स में जलाया जा रहा है। इसमें प्लास्टिक, रबर और घरेलू कचरा (Household Waste) शामिल है, जो जहरीले रसायन (Toxic Chemicals) छोड़ता है। यह कचरा न केवल हवा, बल्कि  भूजल (Groundwater) को भी दूषित कर रहा है।

 

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स्वास्थ्य पर संकट: कैंसर और सांस की बीमारियां

निराना (Nirana), भिक्की (Bhikki), और शेरनगर (Shernagar) जैसे गांवों में कैंसर (Cancer), अस्थमा (Asthma) और COPD (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं।

स्थानीय ग्रामीण ने कहा, पिछले 5 साल में फेफड़ों की बीमारियां (Lung Diseases) 30% बढ़ी हैं।

 

ग्रामीण सुमन (Suman) ने बताया, धुएं से आंखें जलती हैं, बच्चे बीमार पड़ते हैं।

आपको बता दें कि सर्दियों में AQI 300 पार (Hazardous Level) कर जाता है, जिससे सड़क हादसे (Road Accidents) भी बढ़ते हैं। IQAir की 2024 रिपोर्ट में मुजफ्फरनगर विश्व के टॉप-10 प्रदूषित शहरों में था।

 

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आरामको पेपर्स की चिमनी से से निकलता काला और जहरीला प्रदूषित धुआं

 

लापरवाही का काला सच: बोर्ड की नाकामी!

UPPCB की लापरवाही साफ दिखती है। वायरल वीडियो और शिकायतों के बावजूद, ठोस कार्रवाई (Concrete Action) गायब है। सुमित मलिक की RTI ने कुछ हद तक दबाव बनाया, लेकिन जुर्माना और नोटिस महज दिखावा साबित हुए।

ग्रामीणों का सवाल है, क्या भ्रष्टाचार (Corruption) के कारण कार्रवाई रुक रही है?”

बोर्ड के पास रियल-टाइम मॉनिटरिंग (Real-Time Monitoring) की कमी और कमजोर इच्छाशक्ति (Weak Will) समस्या को और गहरा रही है।

 

रास्ता क्या? जिंदगी बचाने की पुकार

मुजफ्फरनगर को जहर की इस जकड़ से बचाने के लिए जरूरी है:

  • दोषी फैक्ट्रियों को सील (Seal Factories) करें।
  • रियल-टाइम AQI मॉनिटरिंग (Real-Time AQI Monitoring) शुरू करें।
  • RDF और प्लास्टिक जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध (Complete Ban) लगाएं।
  • स्वास्थ्य शिविर (Health Camps) और जागरूकता अभियान (Awareness Campaigns) चलाएं।
  • नदी और भूजल की सफाई (Water Cleanup) शुरू करें।

 

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जौली रोड की बिलासपुर में स्थित श्री बालाजी कंपनी की चिमनी से निकला काला जहरीला धुआं

 

सांसों की जंग!

मुजफ्फरनगर की हवा में घुला जहर अब चुपके से नहीं, बल्कि खुलेआम लोगों की जिंदगी छीन रहा है। सुमित मलिक जैसे कार्यकर्ता और मीडिया की मेहनत ने कुछ हद तक सच उजागर किया, लेकिन जब तक प्रशासन और बोर्ड कठोर कदम (Strict Measures) नहीं उठाएंगे, यह शहर कूड़े का कत्लघर (Slaughterhouse of Waste) बन जाएगा। क्या मुजफ्फरनगर की सांसें बचेंगी या यह जहर का गुलाम बनकर रह जाएगा?

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