नई दिल्ली. आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 11 अरब डॉलर की फंडिंग के हिसाब-किताब पर जवाब मांगा है। इस फटकार के बाद पाकिस्तान अब चीन, अमेरिका और अन्य देशों से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहा है।
अमेरिका: टेनेसी सैन्य विस्फोटक प्लांट में भयानक धमाका, 18 लापता, कई लोगों की मौत
पाकिस्तान ने पहले चीन से रक्षा उपकरणों और वित्तीय सहायता के लिए संपर्क बनाए रखा था, जबकि अमेरिका और पश्चिमी देशों ने उसे ऋण और कुछ हथियारों की आपूर्ति में सहायता प्रदान की थी। लेकिन वर्तमान में उसकी स्थिति इतनी नाजुक हो चुकी है कि वह रणनीतिक और सुरक्षा मामलों के लिए चीन और आर्थिक, व्यापारिक व संस्थागत समर्थन के लिए अमेरिका की ओर देख रहा है।
पीएम मोदी की नई योजनाएं: किसानों के लिए ‘धन धान्य’ और ‘दलहन आत्मनिर्भरता’ का वरदान
रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 की दूसरी तिमाही तक पाकिस्तान का कुल विदेशी ऋण लगभग 135 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जिसमें से चीन का अनुमानित 30 अरब डॉलर का कर्ज शामिल है। यह कर्ज मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे, बंदरगाहों, ऊर्जा और परिवहन परियोजनाओं के लिए दिया गया था।
अफगानिस्तान की न्यूज एजेंसी खामा प्रेस ने शनिवार को खुलासा किया कि आईएमएफ ने पिछले दो वित्तीय वर्षों में पाकिस्तान के व्यापार आंकड़ों में 11 अरब डॉलर की विसंगति पर चिंता जताई है। पाकिस्तान रेवेन्यू ऑटोमेशन लिमिटेड (पीआरएएल) के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में आयात के आंकड़े पाकिस्तान सिंगल विंडो के आंकड़ों से 5.1 अरब डॉलर कम थे, और यह अंतर 2024-25 में बढ़कर 5.7 अरब डॉलर हो गया।
इस विसंगति ने आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, जिसके चलते आईएमएफ ने निवेशकों का भरोसा बहाल करने के लिए सुधारात्मक कदम और पारदर्शी संचार रणनीति की मांग की है।