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भारत-अमेरिका वायुसेना संयुक्त अभ्यास 2025: सामरिक साझेदारी का मजबूत प्रदर्शनभारत–अमेरिका वायुसेना का जोरदार युद्धाभ्यास: बी-1बी लांसर ने दिखाया दम, आज फाइनल डे

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नई दिल्ली. भारतीय वायुसेना (IAF) और अमेरिकी वायुसेना (USAF) के बीच चल रहा द्विपक्षीय वायु अभ्यास आज (13 नवंबर) अपने अंतिम चरण में है। यह अभ्यास 10 नवंबर से शुरू हुआ था और इसका मुख्य फोकस दोनों वायुसेनाओं के बीच अंतरसंचालन (interoperability), सामरिक तालमेल और उन्नत तकनीकी आदान-प्रदान पर रहा।

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अभ्यास में अमेरिका की ओर से अत्याधुनिक बी-1बी लांसर (B-1B Lancer) सुपरसॉनिक बमवर्षक विमानों की भागीदारी खास आकर्षण का केंद्र रही, जो अपनी लंबी रेंज, भारी पेलोड और सटीक हमले की क्षमता के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।

अभ्यास की मुख्य गतिविधियाँ

अभ्यास के दौरान दोनों देशों की वायुसेनाओं ने जटिल युद्ध परिदृश्यों पर संयुक्त रूप से कार्य किया:

  • एयर डिफेंस ऑपरेशंस
  • स्ट्राइक मिशन्स (हमलावर अभियान)
  • इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू)
  • एयर-टू-एयर रीफ्यूलिंग (हवा में ईंधन भराई)
  • संयुक्त मिशन प्लानिंग और एक्सीक्यूशन

भारतीय वायुसेना की ओर से राफेल, सुखोई-30 एमकेआई, जगुआर, सी-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमान और स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियाँ (जैसे आकाशतट) शामिल हुईं। पायलटों व ग्राउंड क्रू ने एक-दूसरे की ऑपरेशनल प्रक्रियाओं, taktik और तकनीकी नॉलेज को करीब से समझा।

अभ्यास का रणनीतिक महत्व

  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर दोनों देशों की संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करना।
  • QUAD (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) फ्रेमवर्क के तहत रक्षा सहयोग का विस्तार।
  • भविष्य के बहुराष्ट्रीय अभियानों (जैसे मालाबार, रेड फ्लैग आदि) में बेहतर कोऑर्डिनेशन।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि B-1B लांसर जैसे सामरिक एसेट्स की भागीदारी से भारत को लंबी दूरी के प्रिसिजन स्ट्राइक और नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर का प्रत्यक्ष अनुभव मिला, जो आने वाले वर्षों में IAF की क्षमता को नई ऊँचाई देगा।

नौसेना स्तर पर भी मजबूत होते संबंध

समानांतर रूप से, भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी 12 से 17 नवंबर तक अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं। इस दौरान वे अमेरिकी नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों, पेंटागन प्रतिनिधियों और इंडो-पैसिफिक कमांड के कमांडर से मुलाकात कर रहे हैं। यात्रा का उद्देश्य:

  • समुद्री सुरक्षा सहयोग को और गहरा करना
  • संयुक्त नौसैनिक अभ्यास (मालाबार, टाइगर ट्रायम्फ आदि) की योजना
  • सूचना साझेदारी और तकनीकी ट्रांसफर पर चर्चा

यह वायु + नौसेना स्तर का समन्वित सहयोग भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक सामरिक साझेदारी (Comprehensive Global Strategic Partnership) का जीवंत उदाहरण है।

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यह अभ्यास और यात्रा दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों का स्पष्ट संकेत हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता और साझा मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता दर्शाते हैं। भविष्य में ऐसे आयोजन और अधिक नियमित व वृहद रूप लेते दिखाई देते हैं।

 

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