खेतों में पककर तैयार फसल पर साहूकारों का बोझ, जहां भुगतान की प्रतीक्षा ने किसानों को मजबूरी और आंदोलन के दो रास्तों पर खड़ा कर दिया
बागपत के मलकपुर शुगर एंड ऑयल मिल्स पर गन्ना भुगतान का संकट गहरा गया है। पिछले पेराई सत्र का 184 करोड़ रुपये बकाया अटका होने से हजारों किसान परेशान हैं। हाल ही में जिलाधिकारी ने बकायेदार मिलों की सूची सार्वजनिक बोर्ड पर चस्पा करने का आदेश दिया, जिसमें मलकपुर मिल का नाम प्रमुखता से शामिल है। किसान संगठनों का कहना है कि यह देरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को चूर-चूर कर रही है।
सांसद का कलेक्ट्रेट दौरा
सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान बागपत कलेक्ट्रेट पहुंचे और मीडिया से कहा कि सरकार ने तीन-चार मिलों पर सख्ती का फैसला लिया है। मलकपुर मिल का नाम लिए बिना उन्होंने बताया कि अधिग्रहण नोटिस जारी हो चुका है। यह कदम लंबे समय बाद किसी मिल पर इतनी कठोरता का उदाहरण है। सांगवान ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद गन्ना भुगतान की निगरानी कर रहे हैं।
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सरकार का सख्त संकल्प
सांसद ने स्पष्ट किया कि पिछले सत्रों में बकाया कम करने के लिए मिलों पर दबाव बनाया गया था। इस बार किसानों को परेशान नहीं होने देंगे। मिल मालिकों को चेतावनी दी गई है—भुगतान रोका तो अधिग्रहण और दंड तय। सांगवान ने दावा किया कि इस सत्र में किसान हित सर्वोपरि होगा। मई 2025 में गन्ना आयुक्त ने भी 452 करोड़ बकाया पर मिल के खिलाफ आरसी जारी की थी, जो कार्रवाई की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।
किसानों की मजबूरी
मिल ने सोमवार से गन्ना इंडेंट जारी कर दिए, जिससे किसान मजबूरन फसल देने को तैयार हो रहे। रतनेश सोलंकी (जीवाणा गुलियान निवासी) ने कहा, “गन्ना खेत में ज्यादा दिन नहीं टिकता, इसलिए देना पड़ता है। लेकिन भुगतान कब? बच्चों की फीस रुकी, घर में राशन खत्म, पशु भूखे।” किसानों का आरोप है कि उठान और भुगतान दोनों लचर हैं।
अनशन की धमकी
किसान 4 नवंबर से अनशन की तैयारी में हैं। सोलंकी ने कहा, “यदि हालात न सुधरे तो आत्महत्या ही रास्ता बचेगा। सेंटर मलकपुर से हटाकर कीणौनि मिल में शिफ्ट करें, भुगतान तुरंत करें।” शिकायतें विधायक-सांसद तक पहुंचीं, लेकिन जमीन पर राहत न मिलने से नाराजगी बढ़ी। सितंबर 2025 में बामनौली गांव की बैठक में भी 250 करोड़ बकाया पर भूख हड़ताल की चेतावनी दी गई थी।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर
यह बकाया छोटे किसानों को साहूकारों के चंगुल में धकेल रहा। कई पशु बेचने को मजबूर हो गए। किसानों का कहना है कि मिल ने कृषि को असंतुलित कर दिया। यदि भुगतान न हुआ तो उत्पादन और विश्वास दोनों प्रभावित होंगे। जुलाई 2025 में उप गन्ना आयुक्त ने भी आनाकानी करने वाली मिलों को फटकार लगाई थी।
मिल का पक्ष
मिल के गन्ना जीएम मुकेश मलिक ने कहा, “सोमवार से इंडेंट जारी हैं। गेट और मैसेज से सूचना भेजी जा रही।” लेकिन किसान नोटिस से पेट नहीं भरते। नजरें अब सत्र शुरू होने से पहले भुगतान पर टिकी हैं।





