बागपत. जिले के किसान गन्ना भुगतान में लगातार हो रही देरी से त्रस्त हैं, खासकर मलकपुर शुगर चीनी मिल से जुड़े 35,000 किसान। मिल पर 184 करोड़ रुपये का बकाया अटका हुआ है, जबकि 30 अक्टूबर से नया पेराई सत्र शुरू होने वाला है। इस देरी ने न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति बिगाड़ी, बल्कि कई परिवारों की दिवाली भी फीकी कर दी।
राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े वादों के बावजूद, जमीनी स्तर पर कोई राहत नजर नहीं आ रही। क्षेत्र में 23,000 हेक्टर से अधिक जमीन पर गन्ना उगाया जाता है, लेकिन मिल का पुराना बकाया 400 करोड़ से अधिक था।

2024-25 सत्र के बाद शेष 184 करोड़ रुपये का भुगतान अब तक नहीं हुआ। चिंताजनक बात यह है कि मिल के गोदामों में चीनी का स्टॉक शून्य है, यानी भुगतान के लिए या तो नया ऋण लेना पड़ेगा या अगले सत्र की चीनी बेचनी होगी।
इससे भुगतान में और देरी की आशंका है। किसान नेता राजीव चौधरी ने कहा, “मिल प्रबंधन और जिला गन्ना विभाग चुप हैं। रालोद जैसी किसान पार्टी भी ठोस कदम नहीं उठा रही।”
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किसान अब आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने मिल को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। जून 2025 में भी इसी मिल पर 15 दिन का अल्टिमेटम दिया गया था, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने मई 2025 में मलकपुर सहित 6 मिलों पर वसूली प्रमाण-पत्र जारी किए थे, लेकिन भुगतान में प्रगति नगण्य रही। गन्ना आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने कहा था कि 84% भुगतान हो चुका है, लेकिन किसान वर्तमान बकाए से असंतुष्ट हैं।

डॉ. अजय कुमार (विधायक, छपरौली) ने कहा, “गन्ना भुगतान में देरी पर कार्रवाई जारी है। शासन स्तर पर दबाव बनाया जा रहा है।” रालोद के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कुलदीप उज्ज्वल ने बताया, “पुराने बकाए को अनुपात में लाया जा रहा है।
मिल को जल्द भुगतान का इंतजाम करना होगा।” लेकिन किसानों का कहना है कि वादों से पेट नहीं भरता। एक किसान ने कहा, “दिवाली पर तो बच्चों के लिए कुछ नहीं खरीद सके। मिल का स्टॉक खत्म होने से भुगतान कब होगा, पता नहीं।”
यह समस्या बागपत के अलावा लखीमपुर खीरी, मुरादाबाद जैसे जिलों में भी है, जहां चीनी मिलों पर 4,000 करोड़ से अधिक बकाया है। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों में भुगतान न हुआ, तो आंदोलन होगा।





