‘आई लव मोहम्मद’ विवाद से भड़की हिंसा के बाद बरेली प्रशासन ने मौलाना तौकीर रजा के सहयोगी मोहम्मद आरिफ की 17 अवैध दुकानों को सील किया, योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई तेज
बरेली की सड़कों पर 26 सितंबर को ‘आई लव मोहम्मद’ के पोस्टरों पर भड़की हिंसा के बदले योगी सरकार ने सख्ती का रंग दिखाया। 11 अक्टूबर को बरेली विकास प्राधिकरण (BDA) ने मौलाना तौकीर रजा खान के करीबी मोहम्मद आरिफ की पीलीभीत बाईपास रोड पर स्थित 17 अवैध दुकानों और शोरूम को सील कर दिया।
ये सभी प्रतिष्ठान बिना नक्शा स्वीकृति के चल रहे थे, जो हिंसा के बाद प्रशासनिक छापे का निशाना बने। बीडीए अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई अवैध निर्माण के खिलाफ है और आरिफ पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। सीलिंग के दौरान इलाके में अफरा-तफरी मच गई, दुकानदारों ने विरोध किया, लेकिन भारी पुलिस बल ने स्थिति संभाली।
तौकीर के ‘साम्राज्य’ पर बुलडोजर
नफीस से नादिम तक तबाह!
यह कार्रवाई हिंसा के बाद की दूसरी बड़ी सर्जरी है। इससे पहले डॉ. नफीस खान के अवैध बारातघर ‘राजा पैलेस’ को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया था। नफीस और नादिम दोनों तौकीर के करीबी के नाम पर फर्जी पत्र बनाकर हिंसा भड़काने का आरोप है।
170 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त
फारहत खान का घर, नादिम की चार दुकानें नौमहला मस्जिद के पास और शराफत खान का शादी हॉल नरियावल सील हो चुके हैं। कुल 170 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त हो चुकी हैं, जिसमें फैहम लॉन, फ्लोरा गार्डन, स्काईलार्क होटल और ई-चार्जिंग स्टेशन शामिल हैं।
प्रशासन ने साफ शब्दों में कहा, ‘हिंसा में शामिलों की कोई भी अवैध संपत्ति बख्शी नहीं जाएगी।’
126 नामजद, 83 गिरफ्तार, पुलिस की दबिश जारी
बरेली हिंसा में अब तक 126 नामजद हो चुके हैं, जिनमें से 83 को जेल की हवा खानी पड़ चुकी है। तौकीर रजा खान समेत 8 मुख्य आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, जिन्होंने जुमे की नमाज के बाद ‘आई लव मोहम्मद’ के पोस्टरों के साथ जुलूस निकालने का आह्वान किया था।
पुलिस ने एसएसपी अनुराग आर्य के नेतृत्व में दबिशें तेज कर दी हैं और फर्जी पत्रों के मामले में नफीस-नादिम पर नई एफआईआर दर्ज की गई।
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हिंसा का काला अध्याय, पोस्टरों से पत्थरबाजी तक
26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद आला हजरत दरगाह और तौकीर के निवास के पास हजारों लोग ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर लेकर जमा हुए। विरोध के बाद पत्थरबाजी शुरू हो गई, पुलिस पर एसिड बोतलें फेंकी गईं और लाठीचार्ज से स्थिति संभली।
यह विवाद शाहजहांपुर और कानपुर के ईद-ए-मिलाद जुलूसों से जुड़ा था, जहां पैगंबर के अपमान के आरोप लगे। योगी सरकार ने इसे ‘उपद्रव’ करार देकर बुलडोजर एक्शन शुरू किया, जो उत्तर प्रदेश की ‘बुलडोजर जस्टिस’ की मिसाल बन गया।
विपक्ष ने इसे ‘राजनीतिक बदला’ बताया, लेकिन प्रशासन का कहना है कि कार्रवाई कानूनी है।