- नंदा नगर में मलबे का कहर: बादल फटने से तबाही
चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदा नगर (Nanda Nagar) में बुधवार देर रात मूसलाधार बारिश (Heavy Downpour) के कारण बादल फटने (Cloudburst) से भारी तबाही मच गई। मलबा (Debris) बहने से कम से कम 5 लोग लापता (Missing) हो गए, और 6 घर (6 Houses) पूरी तरह बह गए।
एसडीआरएफ (SDRF), एनडीआरएफ (NDRF), और लोक निर्माण विभाग (PWD) की टीमें बचाव कार्य (Rescue Operations) में जुटी हैं। जेसीबी मशीनें (JCB Machines) और उपकरण लगाकर मलबा हटाने का प्रयास जारी है। अधिकारियों ने पुष्टि की कि मलबे से 2 लोगों को जीवित (Rescued Alive) निकाला गया, जबकि प्रतिकूल परिस्थितियों (Adverse Conditions) में खोज जारी है।
रात के अंधेरे में मलबे की बाढ़
घटना बुधवार रात करीब 11 बजे हुई, जब अचानक बादल फटने से नंदा घाटी (Nanda Valley) में मलबा और पानी का सैलाब आ गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई परिवार सो रहे थे, जब घरों पर मलबा गिर पड़ा।
5 लापता लोगों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। 3 एम्बुलेंस (Ambulances) और मेडिकल टीम (Medical Team) मौके पर हैं। जिलाधिकारी ने कहा, “बचाव कार्य तेज है, लेकिन भूस्खलन (Landslides) का खतरा बरकरार है।”
सहस्त्रधारा की याद: ’13 मौतें, मंदिर को नुकसान’
यह घटना देहरादून के सहस्त्रधारा (Sahastradhara) में 14 सितंबर को हुए बादल फटने की याद दिलाती है, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई और सड़कें (Roads) बह गईं। टपकेश्वर महादेव मंदिर (Tapkeshwar Mahadev Temple) पर मलबा गिरा, शिवलिंग (Shivling) डूब गया, और दीवारों में दरारें (Cracks) पड़ गईं। दो बड़े पुल (Two Bridges) नष्ट हो गए। चमोली में भी इसी तरह का खतरा मंडरा रहा है।
रेड अलर्ट (Red Alert), भूस्खलन का डर
मौसम विभाग (IMD) ने चमोली, देहरादून (Dehradun), चंपावत (Champawat), उधम सिंह नगर (Udham Singh Nagar), टिहरी गढ़वाल (Tehri Garhwal), पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal), और चमोली के लिए रेड अलर्ट (Red Alert) जारी किया।
20 सितंबर तक अत्यधिक भारी वर्षा (Very Heavy Rainfall), भूस्खलन (Landslides), बुनियादी ढांचे का क्षय (Infrastructure Damage), और मौतों (Fatalities) की आशंका है। राज्य सरकार (State Government) ने राहत कार्य (Relief Efforts) तेज कर दिए हैं।
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राहत और बचाव
उपमुख्यमंत्री ने जिलों में हेल्पलाइन (Helpline) नंबर जारी किए। चमोली DM ने कहा, “टीमें जमीनी स्तर पर तैनात हैं। लापता लोगों का पता लगाने के लिए ड्रोन (Drones) का उपयोग हो रहा है।” यह घटना उत्तराखंड में मानसून (Monsoon) की भयावहता को दर्शाती है।