ऑपरेशन सिंदूर में 400 पाकिस्तानी ड्रोनों को ध्वस्त करने के बाद सेना ने ‘सक्षम’ काउंटर-यूएएस ग्रिड को फास्ट-ट्रैक अधिग्रहण किया, जो 3,000 मीटर ऊंचाई तक हवाई क्षेत्र को सुरक्षित करेगा।
नई दिल्ली। 9 अक्टूबर को भारतीय सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नए दौर में एक क्रांतिकारी कदम उठाया। स्वदेशी ‘सक्षम’ (सिचुएशनल अवेयरनेस फॉर काइनेटिक सॉफ्ट एंड हार्ड किल एसेट्स मैनेजमेंट) काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम ग्रिड सिस्टम के अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज कर दी गई।
यह अत्याधुनिक प्रणाली दुश्मन ड्रोनों और यूएएस की रीयल-टाइम पहचान, ट्रैकिंग व निष्प्रभावीकरण करेगी, जो युद्धक्षेत्र में हवाई श्रेष्ठता सुनिश्चित करेगी। फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट के तहत अगले एक साल में सभी फील्ड फॉर्मेशनों में तैनाती का लक्ष्य है।
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), गाजियाबाद द्वारा विकसित यह सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित डेटा फ्यूजन तकनीक से लैस है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूत बनाएगा।
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ऑपरेशन सिंदूर की सीख, टैक्टिकल बैटलफील्ड का विस्तार
‘सक्षम’ की जरूरत मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में महसूस हुई, जब पाकिस्तान ने 400 से अधिक ड्रोनों से भारतीय रक्षा संरचनाओं व नागरिक क्षेत्रों पर हमला किया। सेना ने इन्हें सफलतापूर्वक नष्ट किया, लेकिन इसने पारंपरिक टैक्टिकल बैटल एरिया (टीबीए) को टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस (टीबीएस) में बदलने की आवश्यकता उजागर की।
अब टीबीएस में जमीनी क्षेत्र से 3,000 मीटर (10,000 फीट) ऊंचाई तक का एयर लिटोरल शामिल है। यह बदलाव सुनिश्चित करेगा कि थलसेना का यह हवाई क्षेत्र नियंत्रण में रहे, मित्रवत हवाई संपत्तियां बिना रुकावट संचालित हों और दुश्मन ड्रोनों को तुरंत भनक लग जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सेना के 2023-2032 ‘डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ का हिस्सा है, जो डिजिटल युद्धक्षेत्र को साकार करेगा।
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सक्षम की ताकत, मॉड्यूलर कमांड एंड कंट्रोल का जाल
‘सक्षम’ एक हाई-टेक, मॉड्यूलर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम है, जो आर्मी डेटा नेटवर्क (एडीएन) पर संचालित होता है। यह अपने और दुश्मन यूएएस डेटा, सेंसर व हथियार प्रणालियों को जीआईएस-आधारित प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करता है, फील्ड कमांडरों को रीयल-टाइम विजुअलाइजेशन प्रदान करता है।
‘अकाशतीर सिस्टम’ से इनपुट लेकर युद्धक्षेत्र की हवाई गतिविधियों की मैपिंग करता है, एआई से खतरों का विश्लेषण कर त्वरित निर्णय लेने में मदद करता है। सॉफ्ट किल (जैमिंग) और हार्ड किल (मिसाइल) दोनों विकल्पों से लैस यह प्रणाली सटीक निशाना साधने में माहिर है।
अन्य परिचालन प्रणालियों के साथ इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित करती है, जो भविष्य के यूएएस खतरों के लिए लचीली व स्केलेबल है।
आत्मनिर्भर भारत की उड़ान, सेना की नई ताकत
पूरी तरह स्वदेशी ‘सक्षम’ बीईएल की देन है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित होकर अपग्रेडेबल है। संचालन शुरू होने पर यह काउंटर-यूएएस नेटवर्क की रीढ़ बनेगी, ग्राउंड व हवाई खतरों की एकीकृत तस्वीर देगी।
इससे कमांडरों के निर्णय तेज होंगे, त्वरित कार्रवाई संभव होगी और एयर लिटोरल में पूर्ण नियंत्रण कायम रहेगा। 2025 में ड्रोन युद्ध की बढ़ती चुनौतियों के बीच यह प्रणाली सेना को अजेय बनाएगी, जहां दुश्मन ड्रोन महज एक धूल का कण साबित होंगे।