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गाजा शांति योजना पर इजरायल का साफ रुख: तुर्की सेना को मंजूर नहीं, अमेरिका को बता दिया – FM सार

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बुडापेस्ट.  इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20-सूत्रीय गाजा शांति योजना के तहत गाजा में तुर्की सेना की तैनाती का विरोध किया है। हंगरी के बुडापेस्ट में अपने समकक्ष पीटर सिज्जार्टो से मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार ने कहा कि इजरायल किसी भी देश की सेना को गाजा में बर्दाश्त नहीं करेगा, खासकर तुर्की की। उन्होंने अमेरिकी पक्ष को यह बात स्पष्ट रूप से बता दी है।

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सार ने कहा, “जो देश सेना भेजना चाहते हैं, उन्हें कम से कम इजरायल के प्रति निष्पक्ष होना चाहिए। एर्दोगन के नेतृत्व में तुर्की ने इजरायल के खिलाफ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया है—बयानों से लेकर आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर।

इसलिए, गाजा पट्टी में उनकी सेना की मौजूदगी अस्वीकार्य है।” यह बयान ट्रंप की योजना के पहले चरण (10 अक्टूबर से लागू) के कार्यान्वयन के बीच आया है, जिसमें हमास ने 20 जीवित बंधकों को रिहा किया और इजरायल ने 1,900 फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ा।

योजना का दूसरा चरण अंतरराष्ट्रीय शांति बल की तैनाती पर केंद्रित है, लेकिन इजरायल ने तुर्की को इसमें शामिल करने से इनकार कर दिया।

इससे पहले, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी कैबिनेट को बताया था कि गाजा में अंतरराष्ट्रीय बलों का फैसला इजरायल का है, और “किसी भी देश की सेना” को अनुमति नहीं दी जाएगी। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयिप एर्दोगन ने गाजा हमलों की निंदा की और इजरायल को ‘नाजी’ करार दिया, जबकि तुर्की हमास का खुला समर्थक रहा है।

तुर्की ने योजना में मध्यस्थता की भूमिका निभाई, लेकिन इजरायल ने उनकी सेना को ‘अस्वीकार्य’ बताया।

ट्रंप की योजना में अंतरराष्ट्रीय साझेदारों (अमेरिका, कतर, मिस्र, तुर्की आदि) से एक टास्क फोर्स बनाने का प्रावधान है, जो सीमा सुरक्षा, वस्तुओं का प्रवाह नियंत्रण और फिलिस्तीनी पुलिस प्रशिक्षण पर काम करेगा।

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इजरायल ने योजना को मंजूरी दी, लेकिन तुर्की सैनिकों पर असहमति जताई। इजरायली कार्यालय ने कहा, “भविष्य में गाजा में स्थिरीकरण बल में तुर्की सैनिक नहीं होंगे।” इंडोनेशिया ने 20,000 सैनिक भेजने की पेशकश की, जबकि इटली और अजरबैजान ने समर्थन जताया।

सार ने कहा, “हम अमेरिकी मित्रों को बता चुके हैं कि तुर्की की भूमिका सीमित रहे।” यह बयान ट्रंप-शी जिनपिंग की एपीईसी मुलाकात (31 अक्टूबर) से पहले आया, जहां व्यापार और मध्य पूर्व शांति पर चर्चा होगी।

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