ऑपरेशन सिंदूर के झटके के बाद जैश ने महिलाओं को जिहाद में शामिल करने की रणनीति अपनाई, बहावलपुर में भर्ती शुरू—सुरक्षा एजेंसियां सतर्क, आतंकी नेटवर्क के विस्तार की आशंका।
नई दिल्ली। पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JEM) ने अपनी रणनीति में अभूतपूर्व बदलाव करते हुए पहली महिला ब्रिगेड ‘जमात-उल-मोमिनात’ का गठन किया है। यह घोषणा संगठन प्रमुख और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित वैश्विक आतंकी मसूद अजहर के नाम से जारी एक पत्र के माध्यम से की गई।
‘अल-कलम मीडिया’ पर प्रसारित
पत्र जैश के प्रचार तंत्र ‘अल-कलम मीडिया’ पर प्रसारित हुआ, जिसमें 8 अक्टूबर 2025 से बहावलपुर के मरकज उस्मान-ओ-अली में भर्ती प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी दी गई। यह मरकज लंबे समय से जैश का प्रमुख केंद्र रहा है, जहां ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने 7 मई 2025 को सटीक हमला कर सैकड़ों आतंकियों को नेस्तनाबूद किया था।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को नया आयाम देगा, जहां महिलाओं को अब लड़ाकू और आत्मघाती अभियानों में शामिल किया जा सकता है।
सादिया अजहर की कमान, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का बदला?
ब्रिगेड का नेतृत्व मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर को सौंपा गया है, जिनका पति यूसुफ अजहर ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया था। खुफिया सूत्रों के अनुसार, मसूद अजहर और उनके भाई तल्हा अल-सैफ ने मिलकर इस फैसले को मंजूरी दी।
सादिया का चयन न केवल पारिवारिक बंधन का प्रतीक है, बल्कि संगठन की नई परिचालन संरचना का हिस्सा भी। जैश ने भर्ती के लिए कमांडरों की पत्नियों, रिश्तेदार महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर युवतियों को निशाना बनाया है, जो बहावलपुर, कराची, मुफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मंसहरा जैसे शहरों के धार्मिक केंद्रों में पढ़ रही हैं।
यह ब्रिगेड सेल-आधारित संरचना पर काम करेगी, जिसमें मनोवैज्ञानिक युद्ध, सोशल मीडिया प्रचार और ग्रामीण भर्ती पर फोकस होगा।
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जैश जैसी दक्षिण एशियाई संगठनों ने अब तक महिलाओं को सशस्त्र जिहाद से दूर रखा था, लेकिन पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद विचारधारा में बदलाव आया। आईएसआईएस, बोको हराम, हमास और लिट्टे जैसे समूहों ने महिलाओं को आत्मघाती हमलों में इस्तेमाल किया है और जैश का यह कदम उसी दिशा में इशारा करता है।
खुफिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि ब्रिगेड का उद्देश्य महिला आत्मघाती दस्तों को प्रशिक्षित करना है, जो भविष्य के हमलों में इस्तेमाल होंगी। 2024 से जैश महिलाओं को कट्टर बनाने पर काम कर रहा था, और अब यह विंग जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश व दक्षिण भारत में ऑनलाइन सक्रिय हो गई है।
व्हाट्सएप ग्रुप्स और मदरसों के जरिए धार्मिक अपील के साथ भर्ती हो रही है।
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश, हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तैयबा ने अपने प्रशिक्षण केंद्रों को पाक अधिकृत कश्मीर व पंजाब से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शिफ्ट करना शुरू कर दिया। यह कदम भारत की सटीक हवाई कार्रवाइयों से बचाव के लिए है।
पाकिस्तान, जो आतंकवाद का वैश्विक केंद्र माना जाता है, अब महिलाओं को शामिल कर नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। क्षेत्रीय एजेंसियां इसे कट्टरकरण की चिंताजनक प्रक्रिया मान रही हैं और भारत ने संयुक्त राष्ट्र से जैश पर अतिरिक्त प्रतिबंध की मांग की है।