जादू-टोना का खौफनाक अंत: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के छनेरा गांव में रामनाथ बिलोटिया की क्रूर हत्या के दोषी 23 वर्षीय चंपालाल उर्फ नंदू को खंडवा की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. डीएनए रिपोर्ट ने कुल्हाड़ी पर मृतक का खून पकड़ लिया, पुलिस की वैज्ञानिक जांच बनी मिसाल।
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक ऐसी नृशंस हत्या हुई, जो मानवता को शर्मसार कर देती है। 12 दिसंबर 2024 की काली रात को छनेरा गांव, पंधाना में रामनाथ बिलोटिया अपने घर से पेशाब करने निकले, तभी चंपालाल उर्फ नंदू ने जादू-टोना का आरोप लगाकर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया।
रामनाथ की पत्नी शांति बाई की चीखें आसमान सुलगा रही थीं, लेकिन नंदू ने बेरहमी से सिर धड़ से अलग कर दिया। पड़ोसियों को धमकाते हुए नंदू भागा, लेकिन बोरगांव थाना प्रभारी रामप्रकाश यादव ने तुरंत उसे घटनास्थल से गिरफ्तार कर लिया।
कुल्हाड़ी जब्त हुई और शांति बाई की FIR ने भारतीय दंड संहिता की धारा 103(1) के तहत मुकदमा दर्ज कराया। यह हत्या न केवल क्रूरता की मिसाल है, बल्कि ग्रामीण अंधविश्वास की काली सच्चाई भी उजागर करती है।
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DNA का कमाल: ‘बोल पड़ा कुल्हाड़ी पर मृतक का खून’
अपर सत्र न्यायाधीश अनिल चौधरी की खंडवा अदालत ने 11 अक्टूबर 2025 को 23 वर्षीय चंपालाल (पिता जालम मेहर) को फांसी की सजा सुनाई, जो वैज्ञानिक जांच की ताकत का प्रतीक है। पंधाना पुलिस ने वैज्ञानिक तरीके से सिर और धड़ अलग-अलग बरामद किए और डीएनए रिपोर्ट ने साबित कर दिया कि नंदू के कपड़ों और कुल्हाड़ी पर लगा खून रामनाथ का ही था।
सहायक जिला अभियोजन अधिकारी विनोद कुमार पटेल ने डीएनए सबूत और रामप्रकाश यादव की गवाही पेश की, जो अदालत के लिए निर्णायक साबित हुई।
एसपी मनोज राय ने इसे “गंभीर अपराध” करार देते हुए बोरगांव थाना प्रभारी रामप्रकाश यादव को नकद पुरस्कार की घोषणा की।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में 2025 में अब तक 150 से ज्यादा हत्याओं में डीएनए ने 70% मामलों को मजबूत बनाया है।
जादू-टोना का खूनी चेहरा
यह हत्या जादू-टोना के अंधविश्वास की भयावहता दिखाती है, जहां छोटे-मोटे झगड़े खूनी खेल बन जाते हैं। शांति बाई ने अदालत में बताया कि नंदू का रामनाथ से पुराना विवाद था, जो जादू के आरोप में भड़क गया।
पड़ोसियों रामदयाल धानक और नारायण ने भी गवाही दी कि नंदू ने कुल्हाड़ी लहराकर सबको डराया। मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में जादू-टोना से जुड़ी 200 से ज्यादा हत्याएं 2020-2025 के बीच दर्ज हुई हैं और यह फैसला अंधविश्वास के खिलाफ चेतावनी है।
परिवार को इंसाफ, समाज को सबक
रामनाथ के परिवार ने सजा पर राहत की सांस ली, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ।
शांति बाई ने कहा, “मेरा सहारा लौटेगा नहीं, लेकिन दोषी को सजा मिली।”
एसपी राय ने जांच टीम की सराहना की, जो फोरेंसिक साइंस लैब की मदद से तेजी से काम कर रही। यह फैसला मध्य प्रदेश में न्यायिक प्रक्रिया की मजबूती दिखाता है, जहां 2025 में 20 से ज्यादा मौत की सजाएं सुनाई गई हैं।