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मुजफ्फरनगर: प्रदूषण कार्यालय में भाकियू कार्यकर्ताओं का हंगामा! ‘तू–तड़ाक’, गाली–गलौज और अभद्रता, दोनों पक्षों ने दी तहरीर

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मुजफ्फरनगर। नई मंडी स्थित क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय कार्यालय में भाकियू कार्यकर्ताओं ने मंगलवार शाम जमकर हंगामा किया।

साल 2019 के एक पुराने मामले में लगाए गए जुर्माने को माफ कराने का दबाव बनाए जाने के दौरान मामला बिगड़ गया। RO गीतेश चंद्रा और दिव्यांग JE सर्वेश कुमार से गाली-गलौज और बदतमीजी की गई।

कार्यकर्ता नियमों को ताक पर रखकर मनमानी करने पर उतारू हो गए, जिसको लेकर मामला गाली गलौज और बदज़ुबानी तक पहुंच गया।

ADM रिपोर्ट का हवाला, लेकिन सुनने को तैयार नहीं

RO गीतेश चंद्रा ने बताया कि “ADM की रिपोर्ट का हवाला देकर उन्होंने नियमानुसार कार्रवाई करने की बात कही। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से रेवेन्यू जमा नहीं करने की स्थिति दर्ज है। लेकिन कार्यकर्ता “भट्ठा नहीं चला तो जुर्माना कैसा” का राग अलापते रहे।”

उन्होंने आगे बताया कि “वे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुए। धरना देने की धमकी देते हुए भला-बुरा कहा और जुर्माना माफ करने का दबाव बनाते रहे।”

दिव्यांग JE के साथ भी अभद्र व्यवहार

RO गीतेश चंद्रा के मुताबिक, दिव्यांग JE सर्वेश कुमार के साथ भी अभद्रता की गई। कार्यकर्ताओं ने दोनों अधिकारियों से बदतमीजी की, यहां तक कि गालियां तक दी गई, जो बर्दाश्त के बाहर हैं। इसमें भाकियू से जुड़े कपिल सोम, मोनू चौधरी और विकास शर्मा आदि शामिल रहे। कार्यालय में तनाव का माहौल बन गया और कर्मचारी सहमे रहे।

भाकियू का रिश्वत मांगने का आरोप

भाकियू जिला अध्यक्ष नवीन राठी से हुई वार्ता में उन्होंने ‘द एक्स इंडिया’ को बताया कि कपिल सोम का रतनपुरी इलाके में ईंट भट्ठा है, जो 2023 में चला था। प्रदूषण बोर्ड ने कई साल पहले से भट्ठा चलाने का दावा कर 4 लाख रुपये जुर्माना लगा दिया। शिकायत करने पहुंचे तो अधिकारियों ने रिश्वत मांगी। न देने पर बदतमीजी की गई। भाकियू ने भी नई मंडी कोतवाली में अधिकारियों के खिलाफ तहरीर दी है।

राकेश टिकैत का इनकार

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मामले की जानकारी होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना की कोई जानकारी नहीं है।

नियमों की अवहेलना का गंभीर मामला

यह घटना प्रदूषण नियंत्रण के नियमों की अवहेलना को उजागर करती है। जुर्माना माफ कराने के लिए दबाव और अभद्रता लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है। दूसरी तरफ रिश्वत मांगने का आरोप भी गंभीर है। दोनों पक्षों से तहरीर मिलने से मामला उलझ गया है। पुलिस अब दोनों शिकायतों की जांच कर रही है।

प्रशासनिक गरिमा पर आघात

ऐसे हंगामे सरकारी कार्यालयों की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण विभाग में यह व्यवहार चिंता का विषय है। जांच के बाद ही असल तथ्य सामने आएंगे, लेकिन यह घटना प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।

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