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मुजफ्फरनगर का रिश्वतखोर लेखपाल अरेस्ट! 20 हजार का टोकन अमाउंट लेते एंटी करप्शन ने धरा राजन शर्मा

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मुजफ्फरनगर शहर कोतवाली की दक्षिणी रामपुरी में बुधवार दोपहर उस वक्त सन्नाटा पसर गया जब सहारनपुर की एंटी करप्शन की 11 सदस्यीय “शिकारी टीम” ने चकबंदी लेखपाल राजन शर्मा (अंकित विहार वाला) को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों धर दबोचा। लेखपाल साहब अपने निजी “ऑफिस” में कुर्सी पर ऐसे ऐंठे बैठे थे, जैसे किसी रियासत के ‘राजन’ हो!

 

2 लाख का टारगेट, 20 हज़ार का टोकन

मेरठ जिले के सरधना निवासी नरेंद्र कुमार की मुथरा गांव (चरथावल ब्लॉक) में 30 बीघा खेती की जमीन है। चकबंदी चल रही थी तो लेखपाल ने मौका देखा और फरमाया – “2 लाख दो, चक सही कर दूंगा!” नरेंद्र ने 8 दिसंबर को शिकायत ठोंक दी। बोले, “साहब, ये तो लूट रहा है!”

 

 

केमिकल के नोट, जाल बिछा, और लेखपाल फंसा

एंटी करप्शन के प्रभारी इंस्पेक्टर साबिर अली ने एक दिन पहले ही जाल बिछा दिया था। नरेंद्र के हाथ में चमचमाते 20 हजार रुपये थमाए,  हर नोट पर केमिकल पाउडर लगाया गया था। नरेंद्र ने जैसे ही लेखपाल की टेबल पर नोट रखे, बाहर से आवाज आई – “हाथ ऊपर!” टीम अंदर घुसी, लेखपाल के हाथ लाल, मुंह पीला, आंखें बाहर!

 

 
 
 
 
 
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“सर, गलती हो गई” की रट, लेकिन नोट बोले सच्चाई

लेखपाल साहब घबराए,  “सर, पहली बार हुआ… बस टोकन था!” लेकिन केमिकल पाउडर ने सारा खेल खोल दिया। हाथ धुले तो लाल रंग चमक उठा। आसपास के लोग तमाशा देखने जुट गए। कोई बोला – “अरे ये तो रोज की कमाई है, आज पकड़ा गया!”

 

 

शहर कोतवाली पहुंचा “रिश्वत का राजा”


हथकड़ी लगाकर लेखपाल को शहर कोतवाली लाया गया। सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज़ हुआ। अब पूछताछ में बाकी एक लाख 80 हजार की कहानी भी खुलेगी। पुलिस बोली – “ये तो सिर्फ ट्रेलर था, पूरी फिल्म बाकी है!”

 

शिफारिशों का दौर, ‘मंत्री जी’ की कॉल

कोई सरकारी कर्मचारी धरा जाए और शिफारिशों का दौर ना चले, ऐसा हो ही नहीं सकता। ना केवल मंत्री–संत्री की कॉल कराई गई, बल्कि रिश्वतखोर लेखपाल के ‘चिरकुटों की टीम’ बाकायदा कोतवाली में जमी रही, जिनका काम ‘साहब’ को किसी तरह से बचाना था । हालांकि बचा तो नहीं पाए, लेकिन ‘घूंघट’ कराने में ज़रूर  कामयाब हो गए। ‘चिरकुटों’ की रिक्वेस्ट और ‘मंत्री’ के कॉल का ये असर हुआ कि मीडिया के सामने लेखपाल राजन शर्मा को तौलिए से मुंह ढककर लाया गया।

 

 

जनता ने ली राहत की सांस

चकबंदी में लेखपालों की मनमानी की कहानियां आम हैं। आज एक पकड़ा गया तो किसान बोले – “शाबाश एंटी करप्शन! अब बाकियों की बारी!”

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