उत्तर प्रदेश के संवेदनशील जिले मुजफ्फरनगर में बाल्मीकि जयंती के बहाने लगाए गए होर्डिंग ने भाईचारे की नींव हिला दी, जिससे स्थानीय समुदायों के बीच नाराजगी भड़क उठी।
- ‘द एक्स इंडिया’ के लिए प्रधान संपादक अमित सैनी की रिपोर्ट
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर शहर के मीनाक्षी चौक पर अचानक लगे होर्डिंग ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। तथाकथित हिंदूवादी नेताओं द्वारा इस संवेदनशील चौराहे को ‘महर्षि वाल्मीकि चौक’ नाम देने की कोशिश ने स्थानीय माहौल को गरमा दिया।
यह घटना बाल्मीकि जयंती के दिन सामने आई, जब पूरा प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश ‘I Love Muhammad’ के विवाद पर पहले से ही सांप्रदायिक सद्भाव की नाजुक डोर पर चल रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह नाम बदलाव की मांग न केवल परंपराओं से छेड़छाड़ है, बल्कि जानबूझकर तनाव फैलाने की साजिश भी।
वाल्मीकि क्रांति दल का तीखा विरोध
वाल्मीकि क्रांति दल के अध्यक्ष दीपक गंभीर ने इस कदम को समाज के त्योहारों का अपमान बताया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मीनाक्षी चौक का वाल्मीकि समुदाय से कोई सीधा संबंध नहीं है और कुछ लोग इसका फायदा उठाकर शहर के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं।
गंभीर ने चौराहे को ‘नॉनवेज होटल का केंद्र’ करार देते हुए विरोध जताया, जो पहले से ही विवादास्पद रहा है। उनका आरोप है कि ऐसे प्रयास आपसी भाईचारे को तोड़ने का काम कर रहे हैं, जिससे पूरे समुदाय में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है।
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हिंदू युवा वाहिनी के पोस्टरों ने भड़काया मामला!
दरअसल, मंगलवार को हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने खालापार थाना और सिविल लाइन क्षेत्र में आपत्तिजनक पोस्टर चस्पा कर दिए, जो स्थानीय प्रशासन के लिए चुनौती बन गए। इन पोस्टरों में सांप्रदायिक संदेश छिपे होने की शिकायतें मिलीं, जिससे इलाके में हलचल मच गई।
दीपक गंभीर ने इन कृत्यों को ‘निरंतर साजिश’ करार दिया और चेतावनी दी कि इससे न केवल वाल्मीकि समाज, बल्कि पूरे शहर का सामाजिक ताना-बाना खतरे में पड़ सकता है।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
सूचना मिलते ही पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची और सभी विवादित होर्डिंग व पोस्टरों को तुरंत हटा लिया। वरिष्ठ अधिकारीयों ने आश्वासन दिया कि कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए सख्त निगरानी बरती जाएगी।
गंभीर ने प्रशासन से ऐसे उकसाने वालों पर कठोर एक्शन की मांग की, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। मुजफ्फरनगर, जो 2013 के दंगों की यादों से अभी उबर रहा है, इस घटना से फिर सतर्क हो गया है।