शाहपुर कस्बे में स्थित एमजे हॉस्पिटल की लूट, गरीबों की उम्मीदों पर डकैती, आयुष्मान योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा, पत्रकारों पर हमला, डीएम ने जांच के आदेश दिए,
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर ज़िले के शाहपुर कस्बे में स्थित एम.जे. इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड हॉस्पिटल ने आयुष्मान भारत योजना को ठगी का अड्डा बना डाला। 8 अक्टूबर को यह घिनौना खेल उजागर हुआ, जब बवाना गांव के कैंसर सर्वाइवर ओमपाल सिंह को नसों के दर्द की शिकायत पर ‘बुखार’ का मरीज बताकर फर्जी भर्ती कर अनावश्यक टेस्ट थोपे गए।
गुरुवार को गुस्साए सैकड़ों ग्रामीणों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर धावा बोलकर इस लूटतंत्र के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अस्पताल की गुंडागर्दी यहीं नहीं रुकी, मामले की पड़ताल करने पहुंचे पत्रकारों को गालियां दी गईं, धक्का-मुक्की की गई।
यह कांड न केवल गरीबों की मुफ्त इलाज की उम्मीदों पर डाका डाल रहा है, बल्कि आयुष्मान योजना की साख को भी मटियामेट कर रहा है।
बुखार का बहाना, टेस्टों की बारिश
मेरठ के केएमसी हॉस्पिटल में कैंसर से जंग जीत चुके ओमपाल सिंह मंगलवार को एमजे हॉस्पिटल के मेडिकल कैंप में बाएं पैर में नसों के दर्द की शिकायत लेकर पहुंचे। लेकिन अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड देखते ही मौके की नजाकत भांप ली।
ओमपाल को ‘इलाज’ के नाम पर भर्ती कर लिया गया, मगर चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि उन्हें नसों के दर्द की बजाय ‘बुखार’ का मरीज दर्ज कर ब्लड टेस्ट, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की झड़ी लगा दी गई।
पीड़ित के बेटे मनोज पाल ने बताया कि जब न्यूरोलॉजिस्ट की मांग की, तो स्टाफ ने बेशर्मी से कह दिया, “हमारे पास नसों का डॉक्टर ही नहीं है।” इतना ही नहीं, सवाल उठाने पर परिवार को धमकियां दी गईं।
यह साफ है किअस्पताल सरकारी धन को ठगने की साजिश रच रहा था, जिसमें मरीज की जान जोखिम में डाली गई।
पत्रकारों पर हमला, ग्रामीणों का गुस्सा
जब पत्रकार इस घोटाले की पड़ताल करने पहुंचे, तो अस्पताल कर्मियों और कुछ बाहरी गुंडों ने उन्हें गालियां दीं, धक्का-मुक्की की और धमकाया। यह खबर बुधवार रात तक जंगल की आग की तरह फैली, और गुरुवार को सैकड़ों ग्रामीण जिलाधिकारी कार्यालय पर टूट पड़े।
शिवसेना जिलाध्यक्ष बिट्टू सिखेड़ा और अखिल भारतीय पाल महासभा के जिलाध्यक्ष रमेश चंद्र पाल के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने बैनर और नारों के साथ अस्पताल का एम्पैनलमेंट रद्द करने की मांग की।
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उनका कहना था कि आयुष्मान कार्ड गरीबों का आखिरी सहारा है और ऐसी ठगी इसे बर्बाद कर देगी।
2025 में उत्तर प्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत 50 से ज्यादा फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आ चुकी हैं और यह मामला उसकी सबसे घिनौनी मिसाल है।
डीएम का सख्त रुख, जांच पैनल गठित, कार्रवाई का वादा
DM उमेश कुमार मिश्रा ने इस बेशर्मी भरे कांड का तुरंत संज्ञान लिया और मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) डॉ. सुनील तेवतिया को फटकार लगाते हुए निष्पक्ष जांच के लिए विशेष पैनल गठित करने के आदेश दिए।
सीएमओ ने पीड़ित परिवार को भरोसा दिलाया कि पैनल जल्द काम शुरू करेगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा, “अस्पताल अगर दोषी पाया गया, तो उसका एम्पैनलमेंट रद्द होगा और कानूनी कार्रवाई होगी।”
आयुष्मान योजना की विश्वसनीयता बचाने के लिए सीएमओ ने जीरो टॉलरेंस की बात कही, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जांच कागजी शेर बनकर रह जाएगी या वाकई दोषियों को सजा मिलेगी?
ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई में ढील हुई, तो आंदोलन और तेज होगा।