मुजफ्फरनगर के चरथावल थाना क्षेत्र के न्यामू गांव में चकबंदी प्रक्रिया ने भ्रष्टाचार का काला चेहरा दिखा दिया। ग्रामीणों ने कचहरी सड़क पर चकबंदी अधिकारी को घेर लिया। उन्होंने एक पक्षीय कार्रवाई का आरोप लगाते हुए जोरदार हंगामा किया। यह प्रदर्शन तानाशाही नक्शा वितरण के खिलाफ था, जो तीन महीनों से किसानों को परेशान कर रहा है।
नक्शे पर प्रधान की मोहर तक नहीं!
पीड़ित किसान प्रवीण कुमार त्यागी ने बताया कि गांव में जबरदस्ती नक्शा बांटा गया। इस नक्शे पर प्रधान की मोहर भी नहीं थी। ग्रामीणों ने आला अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को लगातार शिकायतें भेजीं। एक मंत्री ने भी अधिकारी को नक्शा रद्द कर दोबारा कार्यवाही का आदेश दिया। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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आत्महत्या की धमकी!
प्रवीण कुमार त्यागी ने कहा कि नक्शे 18 की जमीन में उनकी सात बीघा जमीन घट गई। ऊंच-नीच वाली जमीन थमा दी गई। चकबंदी में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल चल रहा है। हम ऐसी स्थिति में आत्महत्या करने को मजबूर हैं।

20/80 का घिनौना खेल
किसानों ने खुलासा किया कि 20/80 का खेल हुआ है। जिन्होंने अधिकारियों को पैसे दिए, उन्हें रेत की जमीन के बदले सोना थमा दिया गया। जिन्होंने पैसे नहीं दिए, उन्हें सोने की जमीन के बदले रेत दी गई। इससे साफ है कि चकबंदी में पैसों का खेल हुआ है।
हवाई चक का खेल
ग्रामीणों ने और आरोप लगाए कि अधिकारियों ने हवाई चक काट दिए। जिनकी 20 मीटर जमीन थी, उन्हें 70-72 बीघा जमीन के चक दे दिए गए। जिसकी जमीन नदी से तीन किलोमीटर दूर थी, उसकी जमीन घर के सामने कर दी गई। यह अनियमितताएं किसानों को बर्बाद कर रही हैं।
प्रदर्शन का नेतृत्व
प्रदर्शन का नेतृत्व प्रवीण कुमार त्यागी ने किया। उन्होंने कहा कि हमारी शिकायतें सुनने के बावजूद कोई राहत नहीं मिली। चकबंदी विभाग की लापरवाही ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई है। पश्चिमी यूपी में चकबंदी विवाद आम हैं, लेकिन न्यामू का मामला भ्रष्टाचार की गहराई दिखाता है।
प्रशासन की चुप्पी
चकबंदी अधिकारी ने घेराव के दौरान सफाई देने की कोशिश की, लेकिन किसानों ने बात नहीं मानी। स्थानीय प्रशासन ने जांच का भरोसा दिया। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि वादे पुराने हो चुके हैं। अब वे बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं।





