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मुजफ्फरनगर की शेरनगर पंचायत में बोले किसान, ‘हम मर जाएंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे’

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  • किसानों का जमीन अधिग्रहण के खिलाफ जोरदार विरोध
  • 4,700 बीघा उपजाऊ जमीन बचाने की एकजुट लड़ाई

 

• अमित सैनी, ‘द एक्स इडिया’ के लिए मुजफ्फरनगर से…


पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के शेर नगर में जानसठ बाइपास पर पांच गांवों शेर नगर, सरवट, कुकड़ा, धंधेड़ा और बिलासपुर के सैकड़ों किसानों ने एक पंचायत आयोजित कर सरकार द्वारा 4,700 बीघा कृषि भूमि के प्रस्तावित अधिग्रहण का कड़ा विरोध किया। एकजुट किसानों ने नारा दिया, “हम मर जाएंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे।”

 

उन्होंने सरकार पर उनकी आजीविका को नष्ट करने और उपजाऊ जमीन को आवास विकास कॉलोनियों के नाम पर निजी डेवलपर्स को सौंपने का गंभीर आरोप लगाया। किसानों का कहना है कि क्षेत्र में पहले से ही कई कॉलोनियां मौजूद हैं, फिर भी सरकार उनकी आखिरी बची जमीन पर नजर गड़ाए हुए है।

 

 

  • पहले भी हुए जबरन अधिग्रहण के आरोप

शेर नगर के किसान तौसीब चौधरी ने बताया कि “यह पहली बार नहीं है जब उनकी जमीन को निशाना बनाया गया है।”

उन्होंने कहा, “पहले 110 बीघा जमीन पुलिस फायरिंग रेंज के लिए ली गई थी। इसके बाद सुरेंद्र नगर और द्वारका सिटी के लिए हमारी जमीन जबरन अधिग्रहण की गई।”

चौधरी ने आरोप लगाया कि तत्कालीन एमडीए मंत्री चित्रंजन स्वरूप ने धोखाधड़ी से द्वारका सिटी बनवाई, जो पूरी तरह शेर नगर के रकबे में है। गोकुल सिटी के निर्माण में भी ऐसी ही नीति अपनाई गई, जिसका “भांडा फूट चुका है।”

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पहले से ही गोकुल सिटी, वृंदावन, द्वारका सिटी, सुरेंद्र नगर और ओम पैराडाइज जैसी कॉलोनियां मौजूद हैं, और एनएच-58 व 709-एडी के चौड़ीकरण में भी उनकी जमीन चली गई। अब बची जमीन पर भी सरकार की नजर है।

 

  • निजी बिल्डरों को लाभ पहुंचाने का दावा

किसानों ने दावा किया कि सरकार उनकी उपजाऊ जमीन को निजी बिल्डरों को सौंपने की योजना बना रही है। चौधरी ने बताया कि हाल ही में हरियाणा के कुछ बिल्डरों ने क्षेत्र का दौरा किया और कहा कि वे सरकार के माध्यम से जमीन लेकर निजी प्लॉटिंग करेंगे।

“हमें 250 खसरा नंबरों के 700 किसानों को प्रशासन से नोटिस मिले, जिनका हमने जवाब दे दिया है। हमने स्पष्ट कर दिया कि हम अपनी जमीन नहीं देंगे,” उन्होंने कहा। किसानों ने सुझाव दिया कि यदि सरकार को आवास विकास कॉलोनी बनानी ही है, तो मखियाली, चरथावल या पिन्ना जैसे अन्य क्षेत्रों का चयन करे, जहां पहले से सात-आठ कॉलोनियां मौजूद हैं। “सरकार का मकसद शेर नगर को बर्बाद करना है,” उन्होंने आरोप लगाया।

 

 

  • संघर्ष समिति का गठन और आंदोलन की रणनीति

पंचायत में सैकड़ों किसानों ने हिस्सा लिया और एक संघर्ष समिति का गठन किया गया, जो आंदोलन को आगे बढ़ाएगी। समिति धरने, प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई की रणनीति तैयार करेगी।

चौधरी ने बताया कि जल्द ही एक बड़ी महापंचायत आयोजित की जाएगी, जिसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और अन्य नेता शामिल होंगे।

“टिकैत ने तीन कृषि कानूनों की वापसी के समय चेतावनी दी थी कि सरकार की नजर अब किसानों की जमीन पर है। यह सिलसिला पूरे देश में चल रहा है,” उन्होंने कहा। समिति जिलाधिकारी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हर मंच पर अपनी बात रखने को तैयार है।

 

  • किसानों की एकजुट आवाज

कुकड़ा गांव के प्रमोद राठी ने कहा कि यह तीसरी पंचायत है, जिसमें किसानों ने जमीन न देने का संकल्प दोहराया। “मुजफ्फरनगर में पहले से मौजूद आवास विकास कॉलोनियां पूरी तरह विकसित भी नहीं हुईं।

फिर 4,200 बीघा उपजाऊ जमीन और 4,700 बीघा जंगल की जमीन क्यों छीनी जा रही है?” उन्होंने सवाल उठाया। शेर नगर के मोहम्मद माजिद ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है, दूसरी तरफ हमारी बहु-फसली जमीन हड़पना चाहती है।” उन्होंने मांग की कि इस फैसले पर तत्काल रोक लगाई जाए।

 

 

आगे की लड़ाई

किसानों ने एकजुट होकर स्पष्ट किया कि वे अपनी जमीन की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे। “हमारी यह जमीन उपजाऊ है, हमारी आजीविका का आधार है। हम इसे किसी भी कीमत पर नहीं देंगे,” मनोज कुमार गुर्जर ने कहा। संघर्ष समिति अब पूरे क्षेत्र में जागरूकता फैलाने और बड़े स्तर पर आंदोलन की तैयारी में है। यह मुद्दा न केवल स्थानीय किसानों की आजीविका से जुड़ा है, बल्कि देश भर में कृषि भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ बढ़ते असंतोष को भी दर्शाता है।

 

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