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अमेरिका की नई एच-1बी वीजा फीस पर राहत: मौजूदा धारकों को कोई अतिरिक्त बोझ नहीं, केवल नए आवेदकों पर लागू

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वॉशिंगटन.विदेशी कुशल पेशेवरों के लिए अमेरिका से एक महत्वपूर्ण राहत की खबर आई है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने एच-1बी वीजा के लिए 1 लाख डॉलर की नई आवेदन फीस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कई अपवाद और छूट शामिल हैं।

यह कदम उन पेशेवरों को सुरक्षा देता है जो पहले से एच-1बी पर हैं या अमेरिका के अंदर स्थिति बदल रहे हैं, खासकर भारतीय आईटी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए।

कौन बचेगा इस फीस से?

नए दिशा-निर्देशों के तहत, फीस केवल उन नए आवेदनों पर लागू होगी जो 21 सितंबर 2025 के बाद दाखिल किए जाते हैं और आवेदक अमेरिका के बाहर हैं तथा उनके पास वैध एच-1बी वीजा नहीं है। अगर आपका आवेदन इससे पहले का है या आप अमेरिका के अंदर हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं। विशेष रूप से:

  • एफ-1 से एच-1बी स्विच करने वाले छात्र: इस फीस से पूरी तरह मुक्त।
  • अमेरिका में रहकर स्थिति बदलने, संशोधन या अवधि बढ़ाने वाले: कोई फीस नहीं, जब तक आवेदन स्वीकृत हो।
  • मौजूदा एच-1बी धारक: देश से बाहर जाने-आने पर कोई रोक या फीस नहीं। अगर आपका वीजा वैध है, तो सामान्य रूप से यात्रा जारी रखें।

डीएचएस ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई अमेरिका के अंदर आवेदन करता है और स्थिति बदलाव या एक्सटेंशन स्वीकृत हो जाता है, तो बाद में बाहर जाकर वीजा लेने पर भी फीस लागू नहीं होगी। अगर आवेदन अस्वीकृत होता है या आप बीच में देश छोड़ देते हैं, तो फीस का मामला अलग से देखा जाएगा। ऑनलाइन पेमेंट के लिए नया लिंक भी जारी किया गया है, और अपवाद के लिए H1BExceptions@hq.dhs.gov पर सबूत भेज सकते हैं।

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कानूनी चुनौतियां और ट्रंप का तर्क

यह स्पष्टीकरण तब आया है जब अमेरिकी वाणिज्य मंडल ने 16 अक्टूबर 2025 को ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया। संगठन का कहना है कि यह फीस ‘अवैध’ है और अमेरिकी कंपनियों पर भारी आर्थिक दबाव डालेगी—या तो श्रम लागत बढ़ेगी या विदेशी टैलेंट की भर्ती घटीगी। इससे पहले 3 अक्टूबर को श्रमिक संघों, शिक्षा विशेषज्ञों और धार्मिक समूहों ने भी याचिका दायर की थी।

ट्रंप ने 19 सितंबर 2025 को इस घोषणा पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि इसका मकसद ‘अमेरिकी नागरिकों को रोजगार प्रोत्साहन’ देना है। व्हाइट हाउस ने 20 सितंबर को स्पष्ट किया था कि यह ‘एक बार की फीस’ है, जो केवल नए आवेदनों पर लागू होगी, न कि नवीनीकरण या मौजूदा धारकों पर।

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भारतीय पेशेवरों पर असर

2024 में एच-1बी वीजाओं में भारतीय मूल के पेशेवरों को 70% से ज्यादा हिस्सा मिला था। बैकलॉग और उच्च कौशल वाले आवेदकों की संख्या के कारण यह आंकड़ा महत्वपूर्ण है। नई फीस से कंपनियां जैसे टेक जायंट्स प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन मौजूदा धारकों के लिए राहत है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास है, लेकिन मुकदमों से इसमें बदलाव संभव है।

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