9 अक्टूबर की रैली की भीड़ से उत्साहित बसपा अब गांव-गांव अभियान छेड़ने को तैयार है। मायावती 16 अक्टूबर की बैठक में ब्राह्मण-ठाकुर-मुस्लिम गठबंधन का फॉर्मूला नीचे तक पहुंचाने का टास्क देंगी, जो सपा के PDA को चुनौती देगा।
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती की 9 अक्टूबर की लखनऊ रैली ने पार्टी को नई जान फूंकी। निराश कैडर में जोश लौट आया और अब बसपा गांव-गांव अभियान छेड़ने की तैयारी में जुट गई है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मायावती ने मंच से ब्राह्मण, क्षत्रिय, पिछड़ा और मुस्लिम का ‘गुलदस्ता’ बनाकर सोशल इंजीनियरिंग का नया समीकरण रचा, जो सपा के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को काट सकता है।
पार्टी नेताओं ने रैली के तुरंत बाद गांव-गांव जाकर मीटिंगें शुरू कर दीं और 16 अक्टूबर की राज्य स्तरीय बैठक में मायावती इस फॉर्मूले को अमल का टास्क सौंपेंगी। यह रणनीति यूपी विधानसभा चुनाव 2027 से पहले बसपा की साख बचाने का हथियार बन सकती है।
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‘ब्राह्मण-मुस्लिम’ गठबंधन का जादू
मायावती ने रैली में कुर्सी पर ब्राह्मण, ठाकुर, मुस्लिम और पिछड़ों का प्रतीकात्मक गुलदस्ता रखकर वोटरों को संदेश दिया कि बसपा अब सिर्फ दलितों की नहीं, सभी का दल है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि बहन जी का हर शब्द जमीन पर उतरता है।
रैली की भीड़ मार्च से चली बूथ लेवल मीटिंग्स का नतीजा है। कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर कांशीराम के सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले को समझा रहे हैं और सेक्टर गठन कर रहे हैं।
पाल ने सपा के PDA पर तंज कसा कि यह सिर्फ नाम है, जो बार-बार बदलता रहता है, ‘कभी आदिवासी, कभी अगड़ा’। बसपा का फॉर्मूला साफ और मजबूत है।
16 अक्टूबर की बैठक, नई रणनीति का ऐलान
बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि रैली ने सपा-भाजपा दोनों को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया। 16 अक्टूबर की बैठक में मायावती दिशा-निर्देश जारी करेंगी, जो गांव-गांव अभियान को गति देंगी।
कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि ब्राह्मण-मुस्लिम गठबंधन का टास्क मिलेगा, जो PDA की काट बनेगा। पाल ने कहा कि आगे की रणनीति मायावती तय करेंगी और उसका 100% अमल होगा।
विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बसपा 13 साल से सत्ता से दूर है, महज एक विधायक बचा है। रैली की भीड़ ने दलित यूथ में आकाश आनंद का क्रेज जगाया, जो बुआ-भतीजे की जोड़ी को हिट बना सकता है।
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राजनीतिक समीकरण में बदलाव, BSP की वापसी की उम्मीद!
रावत ने कहा कि मायावती ने छोटी मीटिंग्स के संकेत दिए, जो यूपी राजनीति में उथल-पुथल मचा सकती हैं। बसपा का गांव-गांव अभियान सपा के PDA को कमजोर करेगा और भाजपा को भी सतर्क करेगा।
2023 विधानसभा में बसपा को 12.45% वोट मिले, लेकिन रैली ने दिखाया कि सोशल इंजीनियरिंग से वापसी संभव है। आकाश आनंद के यूपी भ्रमण से युवा वोटर जुड़ रहे हैं। यह अभियान बसपा को 2027 चुनावों में मजबूत बनाएगा।