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बलूचिस्तान में पाकिस्तानी पुलिस पर हमला: दो जवान शहीद, टीटीपी का सैन्य चौकी पर कब्जे का दावा; दोहा समझौते के बीच तनाव

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नई दिल्ली. पाकिस्तान के अस्थिर बलूचिस्तान प्रांत में सुरक्षा बलों पर हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के हालिया हमले में पाकिस्तानी सेना के सात जवान शहीद होने के बाद, बुधवार को नोश्की जिले में अज्ञात हमलावरों ने पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी कर दो जवानों को मौत के घाट उतार दिया। हमलावर मौके से फरार हो गए, और किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन स्थानीय पुलिस ने इसे आतंकी घटना करार दिया।

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सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नोश्की जिले में अज्ञात बंदूकधारियों ने पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें कई गोलियां लगने से दोनों जवान मौके पर शहीद हो गए। जिला पुलिस के बयान में कहा गया कि सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और अपराधियों की तलाश में व्यापक अभियान शुरू कर दिया है।

यह घटना बलूचिस्तान के संसाधन-समृद्ध क्षेत्र में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को और गहरा रही है, जहां अलगाववादी और उग्रवादी समूहों ने हाल के महीनों में हमलों की तीव्रता बढ़ा दी है।

पाकिस्तान इस समय आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहा है। एक ओर बीएलए सेना पर हमले कर रही है, वहीं तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने भी तबाही मचा रखी है। टीटीपी ने दावा किया है कि उसने पाकिस्तानी सेना के एक सैन्य ठिकाने पर हमला कर 27 जवानों को मार गिराया और एक चौकी पर कब्जा कर लिया।

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यह हमला अफगानिस्तान सीमा के पास उत्तर वजीरिस्तान के मिर अली क्षेत्र में हुआ, जहां एक सुसाइड कार बॉम्बर ने हमला किया। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि हमला नाकाम कर दिया गया और चार हमलावर मारे गए, लेकिन टीटीपी ने भारी हताहतों का दावा किया है।

पाकिस्तानी सेना या सरकार ने टीटीपी के दावे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हाल ही में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हुए भीषण सीमा संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने दोहा में कतर और तुर्की की मध्यस्थता में युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

समझौते के तहत दोनों देशों ने तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई और आगे की बैठकों का वादा किया। कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह समझौता “स्थायी शांति और स्थिरता” के लिए तंत्र स्थापित करने का पहला कदम है। हालांकि, टीटीपी जैसे समूहों की बढ़ती गतिविधियां सीजफायर की मध्यस्थता को चुनौती दे रही हैं, जहां पाकिस्तान अफगानिस्तान पर टीटीपी को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है।

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