मुजफ्फरनगर में RDF ईंधन को लेकर चल रहे विवाद के बीच उत्तर प्रदेश पेपर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि RDF जलाने से प्रदूषण बढ़ने का दावा गलत है। CQAM रिपोर्ट के हवाले से बताया कि इंडस्ट्री से मात्र 20% प्रदूषण फैलता है, जबकि 50% से ज्यादा वाहनों की देन है।
NCR में वाहन ज्यादा तो प्रदूषण ज्यादा
पंकज अग्रवाल ने तर्क दिया कि दिल्ली, मेरठ, गाजियाबाद समेत मुजफ्फरनगर NCR में होने से वाहन संख्या ज्यादा है, इसलिए AQI ऊंचा रहता है। बिजनौर, गुरुग्राम, लखनऊ में RDF जलता है, फिर भी वहां AQI अलग-अलग है। कानपुर में उद्योग ज्यादा, लेकिन वहां AQI बहुत कम है, जबकि बागपत में एक भी पेपर मिल नहीं, इसके बावजूद वहां पर AQI ज्यादा है, क्योंकि वो भी NCR का हिस्सा है।
RDF साफ और नियंत्रित
अग्रवाल ने सफाई दी कि RDF MSW से छना हुआ 25% माल है। मिलें सिर्फ साफ-सुथरा लेती हैं। आधुनिक प्रदूषण नियंत्रण यंत्र लगे हैं, हवा पूरी तरह फिल्टर होकर निकलती है। चिमनियों पर ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम 24 घंटे UPPCB और CPCB को डेटा भेजता है।
सर्दियों का मौसमी प्रदूषण
अध्यक्ष ने कहा कि सर्दियों में AQI हर साल बढ़ता है। पहले चूल्हे-अंगीठी का धुआं था, अब वाहन और अन्य स्रोत है। हवा भारी होने से धुआं नीचे रह जाता है। RDF का इसमें कोई बड़ा रोल नहीं है।
लापरवाही पर सख्ती
अग्रवाल ने माना कि कभी लेबर गीला और खराब माल (RDF) लोड कर देती है, लेकिन मिलें ट्रक खोलकर चेक करती हैं। खराब माल वापस भेजा जाता है। उन्होंने ये भी बताया कि गीला RDF जलाने से भारी नुकसान होता है।




