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‘द लैंसेट’ का खतरनाक शोध: दुनियाभर में हर तीसरी मौत की वजह ‘दिल, दिमाग और डायबिटीज’!

Heart, Stroke, Diabetes: Killing One-Third Globally, Lancet Warns
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‘द लैंसेट’ के ताजा शोध ने चौंकाया, हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह वैश्विक स्तर पर एक तिहाई मौतों और दिव्यांगता का कारण। उच्च शर्करा और मोटापा रोककर टाली जा सकती हैं आधी मौतें!


 

नई दिल्ली। ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) अध्ययन ने खुलासा किया कि हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोग (NCDs) दुनियाभर में एक तिहाई मौतों और दिव्यांगता के लिए जिम्मेदार हैं।

बर्लिन में विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत यह शोध 1990 से 2023 तक 204 देशों और 660 उप-राष्ट्रीय स्थानों के स्वास्थ्य आंकड़ों का विश्लेषण करता है। इस्केमिक हृदय रोग (दिल का दौरा) 2023 में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण रहा, जिसकी आयु-मानकीकृत मृत्यु दर (ASMR) 127.82 प्रति लाख जनसंख्या थी।

1990 में डायरिया (300.53 प्रति लाख) शीर्ष पर था, जबकि 2021 में कोविड-19 नंबर एक था, जो 2023 में 20वें स्थान पर खिसक गया।

इसके बाद क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), निचले श्वसन संक्रमण और नवजात विकार प्रमुख कारण बने।

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आधी मौतें टालने की राह

शोधकर्ताओं ने बताया कि उच्च रक्त शर्करा, उच्च बॉडी मास इंडेक्स (BMI), वायु प्रदूषण और धूम्रपान जैसे जोखिम कारकों को नियंत्रित कर लगभग आधी मौतें और दिव्यांगता रोकी जा सकती हैं।

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के निदेशक डॉ. क्रिस्टोफर मरे ने कहा कि बढ़ती उम्र की आबादी और उभरते जोखिम कारकों ने वैश्विक स्वास्थ्य के लिए नई चुनौतियां खड़ी की हैं।

भारत में 2023 में 1.2 करोड़ लोग हृदय रोग से प्रभावित थे और स्ट्रोक ने 9 लाख मौतें लीं। मानसिक स्वास्थ्य विकारों में भी खतरनाक वृद्धि हुई, जिसमें चिंता विकार 63% और अवसाद 26% बढ़ा।

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20 वर्ष बढी औसतन आयु!

शोध के अनुसार, 1950 से 2023 तक वैश्विक आयु-मानकीकृत मृत्यु दर में 67% की कमी आई। वैश्विक औसत आयु महिलाओं के लिए 76.3 वर्ष और पुरुषों के लिए 71.5 वर्ष हो गई, जो 1950 से 20 वर्ष अधिक है। शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई।

 

युवाओं में आत्महत्या का संकट

हालांकि, किशोरों और युवा वयस्कों में मृत्यु दर बढ़ी, जिसके मुख्य कारण आत्महत्या, नशीली दवाओं का ओवरडोज और अत्यधिक शराब सेवन हैं। शीशे की अधिकता, वायु प्रदूषण और गर्मी का स्वास्थ्य पर असर बढ़ रहा है। भारत में मधुमेह की चपेट में 17% पुरुष और 12% महिलाएं हैं, जो चिंताजनक है।

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तत्काल रणनीति जरूरी

डॉ. मरे ने चेतावनी दी कि यह शोध सरकारों के लिए एक जागने का कॉल है। भारत जैसे देशों में हृदय रोग और मधुमेह की रोकथाम के लिए स्क्रीनिंग, जागरूकता और जीवनशैली सुधार पर जोर देना होगा।

शोध ने 375 बीमारियों और 88 जोखिम कारकों का विश्लेषण किया, जो नीति निर्माताओं को स्वास्थ्य रणनीतियां बनाने में मदद करेगा। गैर-संचारी रोगों पर नियंत्रण के बिना वैश्विक स्वास्थ्य संकट गहरा सकता है।

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