डिजिटल दुनिया के इस खतरनाक जाल में फंसकर एक व्यक्ति को 3.78 लाख की चपत लगी, लेकिन मुजफ्फरनगर पुलिस ने आरोपी को दबोचकर साइबर ठगी की इस कड़ी को तोड़ दिया, जो पूरे देश में फैल रही है।
- ‘द एक्स इंडिया’ के लिए प्रधान संपादक अमित सैनी की रिपोर्ट
कल्पना कीजिए, आपका फोन बजता है और व्हाट्सएप पर आता है एक संदेश: ‘ट्रैफिक चालान का नोटिस, तुरंत डाउनलोड करें!’ उत्सुकता में क्लिक करते ही आपका बैंक खाता खाली।
यही हुआ मुजफ्फरनगर के एक व्यक्ति के साथ, जब अज्ञात नंबर से भेजी गई E-CHALLAN.APK फाइल ने उनके फोन को हैक कर लिया।
नतीजा? 3,78,500 रुपये की चोरी। यह कोई साधारण धोखा नहीं, बल्कि सुनियोजित साइबर अपराध था, जो देशभर में सैकड़ों को लूट चुका है।
हालिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2025 में ऐसे APK स्कैम ने लाखों लोगों को निशाना बनाया, खासकर लखनऊ और हैदराबाद जैसे शहरों में।
पुलिस की तेज तलवार चली, शातिर दबोचा
SSP संजय कुमार वर्मा के सख्त निर्देशों पर साइबर क्राइम थाने की टीम ने कमर कस ली। एसपी अपराध इंदु सिद्धार्थ और सीओ अपराध ऋषिका सिंह की निगरानी में थाना प्रभारी सुल्तान सिंह की अगुवाई वाली यूनिट ने पंजाब के जरिकपुर से आरोपी गुरप्रीत उर्फ गगन (पिता परमजीत, मूल निवासी इंदौर, मध्य प्रदेश) को धर दबोचा।
उसके पास से दो मोबाइल, पांच सिम, एक आधार कार्ड और उसकी कॉपी बरामद हुई। मुकदमा 23/2025 के तहत BNS की धाराओं 318(4), 336(3), 338, 339, 340(2) और आईटी एक्ट 66डी में दर्ज था। यह गिरफ्तारी न सिर्फ स्थानीय स्तर पर राहत है, बल्कि राष्ट्रीय साइबर अपराध नेटवर्क को हिलाकर रख देने वाली है।
मुजफ्फरनगर में मीनाक्षी चौक पर विवादित होर्डिंग एक्शन में आई पुलिस ने तुरंत हटवाएं
साथी संग रची साजिश, सोना बेचकर कमाई
पूछताछ में गुरप्रीत ने कबूल किया कि वह धनबाद निवासी साथी पंकज के साथ मिलकर सैकड़ों लोगों को निशाना बनाता। फर्जी चालान फाइल भेजकर फोन हैक, फिर बैंक से लूट। चुराई गई रकम से ऑनलाइन गोल्ड और कीमती सामान खरीदकर बेचना… यह उनका धंधा था।
पुलिस जांच से साफ हुआ कि इसका आपराधिक जाल पंजाब, हरियाणा से उत्तर प्रदेश तक फैला। फरार साथियों की तलाश तेज, जो इसी तरह के स्कैम से 2025 में करोड़ों की ठगी कर चुके।
नागपुर और बेंगलुरु जैसे मामलों से प्रेरित होकर ये ठग लगातार नए तरीके अपना रहे थे।
सावधानी का संदेश: APK न डाउनलोड करें, सतर्क रहें
मुजफ्फरनगर पुलिस की यह सफलता साइबर दुनिया में एक मिसाल है, लेकिन खतरा अभी बरकरार है। अधिकारी चेतावनी दे रहे हैं कि अज्ञात लिंक या APK कभी न खोलें, हमेशा आधिकारिक ऐप स्टोर से डाउनलोड करें।
यह गिरफ्तारी न केवल एक व्यक्ति की, बल्कि पूरे गिरोह को नेस्तनाबूद करने की दिशा में कदम है। नागरिकों से अपील कि संदिग्ध संदेश मिले तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें।