दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा ‘वोट चोरी’ और चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों के जवाब में भाजपा ने तीखा पलटवार किया। भाजपा ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डिंपल यादव और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की लोकसभा सीटों रायबरेली, कन्नौज, वायनाड, मैनपुरी और डायमंड हार्बर में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाया।
भाजपा ने इसे ‘घुसपैठिया वोट बैंक’ का मामला बताते हुए विपक्षी नेताओं की जीत पर सवाल उठाए हैं। यह जवाबी हमला बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और ‘मिंता देवी’ जैसे मामलों पर विपक्ष के प्रदर्शन के बाद आया है।
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भाजपा के आरोप: संदिग्ध मतदाताओं का आंकड़ा
भाजपा ने दावा किया कि विपक्षी नेताओं की सीटों पर लाखों संदिग्ध मतदाता पाए गए हैं, जिनमें डुप्लिकेट मतदाता, फर्जी पते, मिश्रित परिवार और सामूहिक रूप से जोड़े गए मतदाता शामिल हैं। उनके द्वारा जारी आंकड़े निम्नलिखित हैं:
रायबरेली (राहुल गांधी): 2,00,089 संदिग्ध मतदाता, जिनमें 19,512 डुप्लिकेट, 71,977 फर्जी पते, 15,853 मिश्रित परिवार और 92,747 सामूहिक मतदाता। राहुल ने इस सीट से 3,90,030 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
कन्नौज (अखिलेश यादव): 2,91,798 संदिग्ध मतदाता, जिनमें 16,163 डुप्लिकेट, 1,53,919 फर्जी पते, 25,772 मिश्रित परिवार, और 74,531 सामूहिक मतदाता। अखिलेश ने 1,70,922 वोटों से जीत दर्ज की थी।
वायनाड (प्रियंका गांधी): 93,499 संदिग्ध मतदाता, जिनमें 20,438 डुप्लिकेट, 17,450 फर्जी पते, 4,246 मिश्रित परिवार, और 51,365 सामूहिक मतदाता।
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मैनपुरी (डिंपल यादव): 2,55,914 संदिग्ध मतदाता, जिनमें 14,088 डुप्लिकेट, 1,76,078 फर्जी पते, 16,216 मिश्रित परिवार, और 49,532 सामूहिक मतदाता। डिंपल ने 2,21,639 वोटों से जीत हासिल की थी।
डायमंड हार्बर (अभिषेक बनर्जी): 2,59,779 संदिग्ध मतदाता, जिनमें 3,613 डुप्लिकेट, 1,55,365 फर्जी पते, 290 फर्जी रिश्तेदार, 43,947 मिश्रित परिवार, और 56,564 सामूहिक मतदाता।
भाजपा ने इन आंकड़ों के आधार पर दावा किया कि विपक्ष ने ‘घुसपैठिया वोट बैंक’ के जरिए वोट चोरी की है, खासकर उन सीटों पर जहां उनकी जीत का अंतर संदिग्ध मतदाताओं की संख्या से कम या करीब है।
भाजपा का पलटवार और विपक्ष पर हमला
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी के आरोपों को ‘चुनावी हार की निराशा’ और ‘चुनावी क्रोध’ करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस केवल उन सीटों पर सवाल उठा रही है जहां वह हारी, लेकिन अपनी जीती सीटों पर चुप है।
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केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने राहुल के दावों को गलत ठहराते हुए कहा कि महाराष्ट्र में मतदाता वृद्धि 40 लाख थी, न कि 1 करोड़ जैसा राहुल ने दावा किया। गौरव भाटिया ने राहुल, सोनिया और प्रियंका से इस्तीफे की मांग की, यह कहते हुए कि अगर वे चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं करते, तो उन्हें लोकसभा से इस्तीफा दे देना चाहिए। अनुराग ठाकुर ने भी कांग्रेस पर संवैधानिक संस्थानों को बदनाम करने का आरोप लगाया।
विपक्ष के आरोप और मिंता देवी मामला
राहुल गांधी ने 7 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 वोटों की चोरी का दावा किया था, जिसमें डुप्लिकेट मतदाता, फर्जी पते और फॉर्म 6 का दुरुपयोग शामिल था।
‘मिंता देवी’ (124 वर्षीय कथित मतदाता) का मामला बिहार में एसआईआर के खिलाफ विपक्ष के प्रदर्शन का केंद्र रहा। अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी ने 18,000 हलफनामे जमा कर बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने का आरोप लगाया।
प्रियंका गांधी और डिंपल यादव ने भी इन आरोपों का समर्थन किया, जिसके जवाब में भाजपा ने उनकी सीटों पर उल्टा अनियमितताओं का दावा किया।
चुनाव आयोग का रुख
चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मतदाता सूची पारदर्शी तरीके से तैयार की जाती है और सभी दलों को ड्राफ्ट सूची दी गई थी। आयोग ने राहुल से शपथपत्र के साथ सबूत मांगते हुए कहा कि बिना सबूत के आरोप निराधार हैं।
कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी राहुल के दावों को खारिज किया, यह कहते हुए कि 2024 में ड्राफ्ट और अंतिम मतदाता सूची सभी दलों को दी गई थी।
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सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
यह विवाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले गर्माया है, जहां विपक्ष और भाजपा दोनों एक-दूसरे पर मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर #StopSIR और #VoterFraud जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
भाजपा का जवाबी हमला विपक्ष की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने की रणनीति का हिस्सा है, जबकि विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमले के रूप में पेश कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर याचिकाएं लंबित हैं, और 12 अगस्त से सुनवाई शुरू हो चुकी है।
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राजनीतिक जंग
भाजपा ने राहुल गांधी, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, और डिंपल यादव की लोकसभा सीटों पर संदिग्ध मतदाताओं का हवाला देकर ‘वोट चोरी’ के आरोपों का जवाब दिया है। यह राजनीतिक जंग न केवल मतदाता सूची की विश्वसनीयता, बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाती है।
दोनों पक्षों के दावों की सत्यता के लिए स्वतंत्र जांच जरूरी है। बिहार चुनाव से पहले यह विवाद और तीखा होने की संभावना है, जो लोकतंत्र की पारदर्शिता पर बहस को और गहरा करेगा।
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