मुजफ्फरनगर में पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक की श्रद्धांजलि सभा में हजारों लोग एकत्र हुए। जाट समुदाय के साथ-साथ दलित और अन्य वर्गों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा व्यक्त की।
सभा में किसान नेता नरेश टिकैत, सांसद हरेंद्र मलिक, कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार, भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन और जाट महासभा के महासचिव युद्धवीर सिंह ने मलिक के किसान हितैषी और साहसी व्यक्तित्व को याद किया। यह सभा न केवल उनकी स्मृति में थी, बल्कि उनके सत्यनिष्ठ और बेबाक नेतृत्व को सलाम करने का भी अवसर थी।
- सभा में नेताओं के विचार
‘नक्शेकदम पर चलने का संकल्प’ :विनय रतन
भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन ने कहा कि सत्यपाल मलिक ने सत्ताधारी पार्टी की गलत नीतियों का डटकर विरोध किया और हमेशा किसानों के साथ खड़े रहे। उन्होंने मलिक के जीवन से प्रेरणा लेते हुए कहा, “मैं उनके पदचिह्नों पर चलकर समाज और किसानों के लिए काम करूंगा।”
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‘सम्मान से वंचित करना शर्मनाक’ :हरेंद्र मलिक
मुजफ्फरनगर के सांसद हरेंद्र मलिक ने मलिक के 30 साल के BJP के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी मृत्यु पर BJP ने उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया। सत्यपाल मलिक सम्मान के मोहताज नहीं थे, लेकिन उनके साथ किया गया व्यवहार शर्मनाक है।” उन्होंने मलिक को किसान, मजदूर, और समाज का सच्चा हितैषी बताया।
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‘किसानों का सच्चा योद्धा’ :युद्धवीर सिंह
अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह ने मलिक के किसान और समाज हित में किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, “सत्यपाल मलिक ने पूरा जीवन किसानों को समर्पित किया। उनकी ईमानदारी और साहस बेमिसाल था। ICU में समन देकर डराने की कोशिश शर्मनाक है।” यह बयान मलिक के खिलाफ कथित राजनीतिक साजिशों की ओर इशारा करता है।
सत्यपाल मलिक का योगदान
किसानों का बुलंद आवाज: सत्यपाल मलिक, जो बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा, और मेघालय के गवर्नर रहे, ने 2020-21 के किसान आंदोलन का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने MSP की कानूनी गारंटी की मांग उठाई और सरकार को किसानों की बात सुनने की सलाह दी। उनकी बेबाकी ने उन्हें किसानों का नायक बनाया।
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सत्ता के खिलाफ सच: मलिक ने जम्मू-कश्मीर में गवर्नर रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और पुलवामा हमले में खुफिया नाकामी का मुद्दा उजागर किया। उनकी यह निडरता उन्हें सत्ता के सामने सच बोलने वाला नेता बनाती है
लोगों में नाराजगी
श्रद्धांजलि सभा में जाट, दलित, और अन्य समुदायों की भागीदारी ने मलिक की व्यापक स्वीकार्यता को दिखाया। उनकी मृत्यु पर सरकारी सम्मान न मिलने की बात ने लोगों में नाराजगी पैदा की। यह सभा मुजफ्फरनगर में सामुदायिक एकता और किसान आंदोलन की भावना को मजबूत करने का प्रतीक बनी।
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