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दिल्ली में तालिबानी फरमान: आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों पर प्रतिबंध से बवाल, MEA ने कहा, ‘हमारा कोई हाथ नहीं’

Taliban FM Muttaqi Presser: Women Journalists Barred, MEA Clarifies
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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को रोका गया, जिससे सोशल मीडिया पर तीखा विरोध भड़क उठा, MEA ने सफाई दी कि अफगान दूतावास का मामला, लेकिन विपक्ष ने केंद्र को घेरा।


 

दिल्ली। अफगानिस्तान के तालिबानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की दिल्ली यात्रा पर एक काला धब्बा लग गया। अफगान दूतावास में हुई उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश ही नहीं दिया गया, जो तालिबान की लिंग भेदभाव वाली नीतियों की नंगी तस्वीर पेश करता है।

2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पहली बार भारत आए मुत्ताकी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से द्विपक्षीय मुद्दों पर बात की, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस ने विवाद खड़ा कर दिया। केवल 15-16 पुरुष पत्रकारों को ही बुलाया गया, जबकि कई महिला पत्रकारों को गेट पर ही रोक दिया गया।

यह घटना तालिबान के अफगान महिलाओं पर लगाए प्रतिबंधों जैसे ‘शिक्षा और काम पर रोक’ की याद दिलाती है, जो अब भारतीय मिट्टी पर दोहराई गई।

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MEA की सफाई, ‘दूतावास का मामला, भारत का नहीं’

विदेश मंत्रालय (MEA) ने 11 अक्टूबर को सफाई देते हुए कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस अफगान दूतावास ने खुद आयोजित की थी और MEA का कोई हाथ नहीं था।

 

प्रवक्ता ने स्पष्ट किया, “निमंत्रण मुंबई के अफगान कांसुल जनरल ने भेजे थे और दूतावास का परिसर भारतीय क्षेत्राधिकार से बाहर है।”

 

जयशंकर-मुत्ताकी की बैठक के बाद कोई जॉइंट प्रेस ब्रीफिंग नहीं हुई और अफगान पक्ष ने अलग से इवेंट किया। MEA ने जोर दिया कि भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण के लिए समर्थन दिया, लेकिन इस घटना में कोई भूमिका नहीं। फिर भी, विपक्ष ने केंद्र को निशाना बनाया कि तालिबान को भारत में ऐसी छूट क्यों दी गई।

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सोशल मीडिया पर आक्रोश

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सोशल मीडिया पर तूफान आ गया। इंडिया टुडे की पत्रकार गीता मोहन ने X पर लिखा,

“महिला पत्रकारों को आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित नहीं किया गया।”

कई पत्रकारों ने बताया कि उन्होंने ड्रेस कोड का पालन किया था, फिर भी रोका गया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने शॉक जताते हुए कहा, “मैं स्तब्ध हूं कि अफगानिस्तान के आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिलाओं को बाहर रखा गया। पुरुष पत्रकारों को बहन-बेटियों के सम्मान में वॉकआउट कर देना चाहिए था।”

 

प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीएम मोदी से सवाल किया, “महिलाओं के अधिकारों की मान्यता अगर चुनावी ड्रामा नहीं है, तो भारत की सक्षम महिलाओं का यह अपमान कैसे बर्दाश्त हुआ? पीएम जी, अपनी स्थिति स्पष्ट करें।”

 

राहुल गांधी ने कहा, “महिलाओं को बाहर रखकर पीएम हर भारतीय महिला को बता रहे हैं कि वे उनके लिए खड़े होने में बहुत कमजोर हैं।”

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कूटनीतिक दौरा, सहयोग के बीच विवाद

मुत्ताकी का 9-16 अक्टूबर का दौरा तालिबान के बाद पहला है, जो संयुक्त राष्ट्र की छूट पर हुआ। जयशंकर से बातचीत में अफगानिस्तान के विकास, व्यापार, क्षेत्रीय अखंडता, लोगों के बीच संबंध और क्षमता निर्माण पर चर्चा हुई।

भारत ने काबुल में अपनी तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास में अपग्रेड करने का ऐलान किया। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस ने सहयोग के बीच तालिबान की महिलाविरोधी नीतियों को उजागर कर दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना भारत की अफगान नीति पर सवाल खड़ी कर रही है, जहां तालिबान को मान्यता न देने के बावजूद कूटनीतिक संवाद जारी है।

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