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बांग्लादेश में डेंगू का प्रकोप: 24 घंटों में चार और मौतें, कुल 249 हुए मृतक; अस्पतालों पर नए दिशानिर्देश

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ढाका. बांग्लादेश में डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। सोमवार सुबह तक पिछले 24 घंटों में चार और लोगों ने इस वायरल बुखार से दम तोड़ दिया, जिससे इस साल की मौतों की संख्या बढ़कर 249 पहुंच गई।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने बताया कि इसी अवधि में 942 नए मरीजों को भर्ती किया गया, जिससे कुल संक्रमितों की तादाद 60,791 हो गई है। यह आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं, खासकर जब पिछले साल 575 मौतें और 101,214 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें से 100,040 मरीज ठीक हुए थे।

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अस्पतालों के लिए सख्त निर्देश: डेंगू वार्ड अनिवार्य

डीजीएएस ने डेंगू संकट से निपटने के लिए 16 सितंबर को सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए। इनके तहत हर अस्पताल को डेंगू मरीजों के लिए अलग वार्ड या कमरा बनाना होगा, जहां एनएस-1 टेस्ट, आपातकालीन सुविधाएं और दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। डीजीएचएस के निदेशक (अस्पताल एवं क्लिनिक) अबू हुसैन मोहम्मद मैनुल अहसन ने इन नियमों को लागू करने का आदेश दिया है।

अस्पतालों को निर्देश हैं कि डेंगू या चिकनगुनिया के संदिग्ध मरीजों को अलग रखा जाए और जरूरत पड़ने पर आईसीयू में प्राथमिकता दी जाए। हर अस्पताल में मेडिसिन, बाल रोग और अन्य विशेषज्ञों की एक समिति गठित होगी, जो प्रशिक्षित डॉक्टरों, मेडिकल ऑफिसरों और रेजिडेंट्स के साथ मरीजों की देखभाल करेगी। ओपीडी में आने वाले संदिग्धों का भी इसी टीम द्वारा इलाज किया जाएगा। डॉक्टरों और नर्सों को विशेष जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, ताकि मरीजों को तुरंत राहत मिल सके।

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मच्छर नियंत्रण और साप्ताहिक बैठकें

अस्पताल निदेशकों को शहर निगम या नगर पालिका को पत्र लिखकर परिसर के आसपास मच्छर उन्मूलन और सफाई अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, हर शनिवार को अस्पताल निदेशक, अधीक्षक और सिविल सर्जन की अगुवाई में डेंगू समन्वय बैठक आयोजित होगी। ये कदम डेंगू के प्रसार को रोकने और इलाज को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, ये उपाय चिकित्सा सुविधाओं की कमी को दूर करने का प्रयास हैं। हालांकि, मानसून के बाद भी डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर निगरानी और जागरूकता ही इस महामारी को काबू करने का रास्ता है।

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