अंबिकापुर . राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में जनजातीय गौरव दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का इतिहास आदिवासी समुदायों के बिना अधूरा है और यही समुदाय हमारे लोकतंत्र की सच्ची जननी हैं।
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राष्ट्रपति ने कहा, “प्राचीन काल के गणराज्यों से लेकर आज तक आदिवासी परंपराओं में लोकतांत्रिक मूल्य जीवंत रहे हैं। बस्तर का मुरिया दरबार इसका जीता-जागता उदाहरण है, जो सदियों से आदिवासियों की अपनी संसद के रूप में काम कर रहा है।”
उन्होंने छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों में आदिवासी विरासत की गहरी जड़ों का जिक्र करते हुए खुशी जताई कि छत्तीसगढ़ सरकार ने इस साल 1 से 15 नवंबर तक पूरे राज्य में भव्य आदिवासी गौरव पखवाड़ा मनाया।
केंद्र सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने बताया:
- गांधी जयंती 2024 पर शुरू ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ 5 करोड़ से अधिक आदिवासी भाई-बहनों तक पहुंचेगा।
- 2023 में शुरू प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के लिए है।
- बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर शुरू ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ के तहत 20 लाख स्वयंसेवकों का नेटवर्क तैयार हो रहा है, जो गांव-गांव जाकर सीधे योगदान देंगे।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में लोग अब उग्र वामपंथी हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। हाल ही में हुए बस्तर ओलंपिक्स में 1.5 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी इसका सुखद संकेत है।
राष्ट्रपति ने भरोसा दिलाया कि आदिवासी आइकॉनों के आदर्शों पर चलते हुए छत्तीसगढ़ के लोग मजबूत, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में अमूल्य योगदान देंगे।
समारोह में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग मौजूद रहे और राष्ट्रपति के हर संदेश पर तालियों की गड़गड़ाहट हुई।





